नई दिल्ली. बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने देश की सर्वोच्च अदालत में एक हलफनामा दाखिल कर अपनी 'केवल गुजराती ही ठग हो सकते हैं' वाली टिप्पणी बिना शर्त वापस ले ली है. अपने हलफनामे में तेजस्वी यादव ने कहा कि उनकी टिप्पणी का उद्देश्य गुजराती लोगों को ठेस पहुंचाना या किसी विशेष राज्य के समुदाय को निशाना बनाना नहीं था.


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मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति अभय एस. ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने की. पीठ ने शिकायतकर्ता हरेश मेहता की ओर से पेश वकील से निर्देश लेने को कहा कि क्या तेजस्वी यादव के खिलाफ मुकदमा चलाना अब जरूरी रह गया है, क्योंकि राजद नेता ने अपनी कथित मानहानिकारक टिप्पणी वापस ले ली है. पीठ में न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां भी शामिल थे. उन्‍होंने संकेत दिया कि वह पार्टियों के बीच 'पूर्ण न्याय' करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत प्रदत्त असाधारण शक्तियों का प्रयोग करते हुए अहमदाबाद में एक मजिस्ट्रेट की अदालत के समक्ष लंबित आपराधिक मानहानि के मुकदमे को रद्द कर देगी. मामले की अगली सुनवाई 29 जनवरी को होगी.


तेजस्वी ने सुनवाई स्थानांतरित करने की मांग की थी
दरअसल तेजस्वी यादव द्वारा आपराधिक मानहानि मामले को गुजरात से बिहार स्थानांतरित करने की मांग के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमे की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी. शिकायत तेजस्वी यादव की पिछले साल मार्च में पटना में की गई कथित टिप्पणी से जुड़ी है. आरोप है कि यादव ने कहा था कि 'आज के समय में केवल गुजराती ही ठग हो सकते हैं और उन्हें माफ भी कर दिया जाएगा. 


क्या थी तेजस्वी की टिप्पणी
तेजस्वी ने यह टिप्पणी मेहुल चोकसी के लिए रेड कॉर्नर नोटिस को रद्द किए जाने के संदर्भ में की थी. इस पर अपनी शिकायत में एक सामाजिक कार्यकर्ता और अखिल भारतीय भ्रष्टाचार विरोधी और अपराध निवारक परिषद नामक संगठन के उपाध्यक्ष मेहता ने आरोप लगाया कि ये टिप्पणियां गुजरातियों को सार्वजनिक रूप से बदनाम और अपमानित करती हैं.


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