नई दिल्ली.  भारत अगर चीन से उम्मीद कर रहा है कि वह भारत की भूमि पर अतिक्रमण न करे तो इसमें अनुचित कुछ भी नहीं. अब स्थिति गंभीर इसलिए है कि चीन पीछे हटने को तैयार नहीं है और भारत उसके रुकने के लिए तैयार नहीं है. अब तो फैसला करना ही होगा कि प्यार से पीछे जाओगे या मार खा के पीछे जाओगे.


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चीन नहीं माना तो कार्रवाई को भारत विवश 


सीमा पर भारत-चीन सैन्य गतिरोध में कोई कमी नज़र नहीं आ रही है. भारत ने अपने प्रमुख सहयोगी देशों को जानकारी दी है कि अगर भारत के रणनीतिक रूप से अहम इलाकों से यदि चीन पीछे नहीं जाता है तो टकराव फिर से हो सकता है. भारत मध्यस्थता की अपेक्षा किसी से नहीं रखता है किन्तु अमेरिका और अन्य प्रमुख मित्र राष्ट्रों से भारत की चीन को लेकर बातचीत चल रही है और उनको स्थिति की जानकारी देना भारत की रणनीति का अंग है. 


भारत के पास दो ही विकल्प हैं 


भारत के पास विकल्प दो से अधिक नहीं हैं. या तो बात करके पीछे हटो या मार खा के पीछे हटो-  बस यही दो विकल्प हैं भारत के पास. अब तक की सभी कांग्रेस सरकारों की तरह यदि भारत चीन से डर कर इस घुसपैठ को नहीं रोकता है तो आने वाले दिनों में चीन भारत के अंदर तक घुस आएगा. 



 


चीनी सेना भारत के अहम इलाकों में घुसी हुई है 


भारत ने कहा है कि हम घुसपैठ नहीं करते किन्तु घुसपैठ को बर्दाश्त भी नहीं करते. चीनी सैनिक ऐसे भारतीय क्षेत्रों में घुसे हुए हैं जो भारत के लिए महत्वपूर्ण हैं, चूंकि वह भूमि भारत की है इसलिए भारत की मांग है कि चीन पीछे हटे. भारत विशेष रूप से पेंगोंग इलाके से चीन को पहले खदेड़ने के मूड में है.


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