हरिद्वार: हरिद्वार में एक ट्रांजिट एवं पुनर्वास सेंटर बनाया गया है. जहां गुलदारों को आजीवन कारावास की सजा दी गई है. जी हां हरिद्वार नजीबाबाद हाईवे पर चिड़ियापुर ट्रांजिट एवं पुनर्वास सेंटर बनाया गया है. जिसमें इंसानी कत्ल या फिर इंसानी बस्ती में घुसने के जुर्म में नौ गुलदारों को जेल में रखा गया है.


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आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे हैं ये 9 गुलदार


ये 9 गुलदार सालों से पिंजरे में कैद हैं. कैद भी ऐसी जिसमें रिहाई की उम्मीद न के बराबर है. मतलब कि ये अब कभी वापस जंगल में नहीं जा पाएंगे. ये एक तरह से आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे हैं. इन सजायाफ्ता कैदियों को रूबी, रॉकी, दारा, मुन्ना, जाट, मोना, गब्बर, जोशी नाम से पुकारा जाता है.


रूबी नाम की मादा गुलदार पिछले सात सालों से सजा काट रही है. इन्हें दिन के उजाले में कुछ घंटे के लिए खुले बाड़े में छोड़ा जाता है और फिर पिंजरे में कैद कर दिया जाता है. हफ्ते में एक दिन चिकन, एक दिन मटन और एक दिन मोटा मांस खाने को दिया जाता है. लेकिन, मंगलवार को नौ के नौ कैदियों को उपवास रखना होता है. यानि की मंगलवार को इन्हें खाने को कुछ नहीं दिया जाता है. रूबी को 2015 में इंसानी कत्ल के आरोप में तब पकड़ा गया था, जब वो मात्र छह साल की थी. तेरह साल के आदमाखोर रॉकी को 2017 में टिहरी के संतला गांव से पकड़ा गया था.


इन वजहों से सजा काट रहे हैं ये गुलदार


दारा, उम्र 12 साल को 2017 में कोटद्वार के लाल पानी से पकड़ा गया था. चार साल का मुन्ना गुलदार मां से बिछड़ने कारण जन्म से ही यहां बंद है. वहीं 6 साल की मोना गुलदार का दोष सिर्फ इतना था कि 2020 में वह ऋषिकेश के डीपीएस स्कूल में घुस गई थी, जिसकी वजह से मोना अब सजा काट रही है. वहीं दस साल के गब्बर को 2020 में हरिद्वार वन प्रभाग से पकड़ा गया था. 2020 में जोशीमठ से पकड़े गए आठ साल के गुलदार को जोशी नाम दिया गया है.


उत्तराखंड के चीफ वाइल्ड लाइफ समीर सिन्हा कहते हैं कि यह वाइल्ड लाइफ का पुर्नवास सेंटर है. यहां पर अलग-अलग घटनाओं में घायल हुए जानवरों को उपचार के लिए लाया जाता है. जहां, उपचार के बाद उनको फिर उनके नेचुरल हैवीटेट में छोड़ दिया जाता है.


इस कारण बेहद खूंखार हो गए हैं ये गुलदार


गुलदार के मामले में चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन समीर सिन्हा का कहना है कि यह मैन ईटर हो चुके हैं, इसलिए इन गुलदारों को यहां पिंजरे में कैद कर दिया जाता है और फिर उनकी रिहाई नामुमकिन हो जाती है. लंबे समय तक ह्यूमन टच और पिंजरे में रहने के कारण ये गुलदार मानसिक तनाव में कई अधिक खूंखार हो गए हैं. अब इन्हें जंगल में छोड़ा जाना भी संभव नहीं है. 


मंगलवार के उपवास पर चीफ वाइल्ड लाइफ वॉर्डन का कहना है कि जानवरों को जंगल में रोज शिकार नहीं मिलता, इसलिए एक दिन उपवास पर रखा जाता है. इससे उनके स्वास्थ्य में भी सुधार रहता है.


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