नई दिल्ली. कर्नाटक विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राज्य में टीपू सुल्तान और वीर सावरकर के नामों का जिक्र होना शुरू हो चुका है. वहीं लव जिहाद के मुद्दे पर भी नई चर्चा शुरू हुई है. दरअसल कर्नाटक बीजेपी के अध्यक्ष नलिन कुमार कतील पार्टी के सबसे फायरब्रांड नेता बनकर उभर रहे हैं. कुछ ही दिनों पहले उन्होंने मंगलुरु में एक बैठक के दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि विकास के बजाए 'लव जिहाद' के मुद्दे पर फोकस करें. अब उन्होंने कहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में सावरकर और टीपी के विचारों में जंग होगी. 


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एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शिवमोगा की चुनावी रैली में कतील ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा- 'उन्होंने टीपू जयंती मनाने की छूट दी जिसकी राज्य को कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने सावरकर के बारे में अपमानजनक शब्द कहे. आइए बहस करते हैं और निष्कर्ष निकालते हैं कि देश के लिए सावरकर जरूरी हैं या फिर टीपू.' कतील ने पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को चुनौती दी. कतील बोले- टीपू या सावरकर में कौन जरूरी है, इस मुद्दे पर सिद्धारमैया मेरे साथ बहस करके दिखाएं. कर्नाटक से लोकसभा सांसद कतील के इन बयानों को कांग्रेसी दिग्गज डीके शिवकुमार ने देश को बांटने वाला करार दिया है. 


कतील ने कांग्रेस को बताया 'आतंकी संगठन'
बेहद आक्रामक भाषणों के लिए पहचान रखने वाले कतील ने कांग्रेस को 'आतंकी संगठन' करार दे डाला है. उन्होंने आरोप लगाया कि डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया जैसे कांग्रेसी नेता आतंकी गतिविधियों का समर्थन करते हैं. एक रैली में उन्होंने कहा है- 'कांग्रेस ने आतंक को जन्म दिया. सिद्धारमैया के राज्य का मुख्यमंत्री रहते कई हिंदुओं की हत्या हुई. डिप्टी एसपी गणपति और आईएएस अफसर डीके रवि की मौत की जिम्मेदार कांग्रेस है. दक्षिण कन्नड में कई हिंदुओं की मौत के जिम्मेदार सिद्धारमैया हैं. उनके प्रशासन के दौरान आम लोगों की आंखों में आंसू थे.'


येदियुरप्पा ने पोंछे आंसू
कतील ने कहा है कि राज्य में येदियुरप्पा की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार ने आम लोगों की आंखों से आंसू पोछे. उन्होंने कहा- येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की सरकार का भी दिशानिर्देशन किया. 


चुनावी फिजा में संवेदनशील मुद्दे
बता दें कि कर्नाटक में मई महीने तक चुनाव होने के आसार हैं. ऐसे में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे राजनीतिक बयानबाजी तेज होती जा रही है. बीते एक साल से राज्य में हिजाब से लेकर लव-जिहाद जैसे मुद्दों पर बहुत राजनीतिक सरगर्मी रही है. वहीं टीपू जयंती भी राज्य में एक विवादित मुद्दा बन चुकी है. अब चुनाव के नजदीक आने के साथ ही ये संवेदनशील मुद्दे तेजी के साथ चर्चा के केंद्र में आ रहे हैं.


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