Farmers Protest: 25 जनवरी की रात बना दिल्ली गदर का `फाइनल प्लान`!
देश के सामने किया गया शांतिप्रिय ट्रैक्टर मार्च का उनका वादा झूठा था और गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में गदर की साजिश पक्की थी.
नई दिल्लीः 25 जनवरी की शाम जब ये खबर आई कि दिल्ली के अंदर ट्रैक्टर मार्च पर अड़े किसान नेता मान गए हैं और शांतिपूर्ण ट्रैक्टर मार्च के लिये तय किये गये रूट के साथ 37 शर्तों पर लिखित भरोसा दे दिया है, तो देश को ये उम्मीद बंधी थी कि इस बार दुनिया गणतंत्र दिवस पर 'जय जवान, जय किसान' का परेड ऐतिहासिक होता देखेगी. लेकिन सामने आ रहे सबूत ये बता रहे हैं कि 25 जनवरी की शाम देश को शांतिपूर्ण भरोसा दिलाकर परदे के पीछे देर रात तक साजिश की बिसात बिछाई जा रही थी.
बेहद शातिराना अंदाज में प्लान बनाया जा रहा था कि कैसे चकमा देकर दिल्ली में अंदर घुसपैठ करनी है! कैसे तय समय से पहले मार्च कर हंगामा करना है! कैसे पुलिस के सुरक्षा इंतजाम पर हमला बोलना है! कैसे तय रूट को छोड़ लाल किले तक पहुंचना है! कैसे 'लाठी-डंडे-तलवार' के साथ धावा बोलना है! कैसे पुलिस को निशाने पर लेकर उपद्रव करना है! और कैसे हिंसा का जिम्मेदारी सरकार को ठहराना है!
किसान नेता सरदार वीएम सिंह ने खोली पोल !
इसका पहला कबूलनामा राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसान नेता सरदार वीएम सिंह की ओर से आया. उन्होंने किसान आंदोलन से अपने गुट के हटने का एलान किया और दो टूक कह दिया कि 'हम आंदोलन को वैसे लोगों के साथ आगे नहीं ले जा सकते, जिनका रास्ता अलग तरह का है.'
इस दौरान सरदार वीएम सिंह ने किसान नेता राकेश टिकैत की भूमिका पर सवाल उठाते पूछा कि अगर प्रदर्शन शांतिपूर्ण था तो हंगामा क्यों किया गया? 'डंडा लेके आओ और बक्कल उखाड़ देंगे' जैसे बयान क्यों दिए गए. 25 जनवरी की देर रात बैरिकेड्स से तोड़फोड़ और उसे ट्रैक्टर से खींचकर रास्ते से हटाने की कोशिश सिंघु बॉर्डर पर हुई थी.
देर रात के वीडियो में दिखी साजिश की रणनीति !
दिल्ली पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सिंघु बॉर्डर से चलकर मुकरबा चौक पर सतनाम सिंह पन्नू व दर्शन पाल, टीकरी बॉर्डर से चलकर नांगलोई टी पाइंट पर किसान नेता हुड्डा सिंह, गाजीपुर में राकेश टिकैत ने भड़काऊ भाषण दिया, जिससे माहौल बिगड़ने लगा था. 26 जनवरी की हिंसा के बाद सोशल मीडिया पर किसान नेताओं के वीडियोज वायरल भी वायरल होने लगे.
रात के एक वीडियो में राकेश टिकैत अपने समर्थकों को डंडा-झंडा लेकर ट्रैक्टर मार्च में पहुंचने कह रहे थे तो वहीं रात के दूसरे वीडियो में किसान नेता गुरनाम चढूनी ये कहते सुनाई दे रहे थे कि बैरिकेड्स को कैसे तोड़ कर आगे जाना है. यही नहीं, योगेंद्र यादव का भी एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा था, जिसमें वो तय रूट से अलग ट्रैक्टर मार्च की बात कहते सुनाई दे रहे थे.
ये सारे वीडियो बता रहे थे कि 26 जनवरी को दिल्ली में हुए हंगामे का उकसावा कहां से आया था. कैसे एक ओर गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में गदर काटने की तैयारी चोरी छिपे की जा रही थी और दूसरी ओर देश को कागज पर लिखित भरोसा देकर बहलाया जा रहा था.
ट्रैक्टर मार्च से पहले साजिश ने बोला धावा !
सोशल मीडिया पर वायरल किसान नेताओं के रात के वीडियो में जो शातिर प्लानिंग सुनाई दे रही थी, 26 जनवरी की सुबह वो दिल्ली की सड़कों पर हकीकत में बदलता दिख रहा था. पुलिस से तय बातचीत के मुताबिक किसान ट्रैक्टर मार्च दोपहर 12 बजे से निकलना था. जबकि सिंघु बॉर्डर पर फर्जी किसानों ने 26 जनवरी की सुबह साढ़े आठ बजे ही अचानक धावा बोल दिया. पुलिस बैरिकेड्स को रौंदते हुए दिल्ली के अंदऱ घुसते चले गए. हजारों की भीड़ के सामने पुलिस की टुकड़ी बेबस दिख रही थी.
26 जनवरी - सुबह 9:30 बजे - गाजीपुर बॉर्डर
गाजीपुर बॉर्डर पर लगे बैरिकेड्स के पास सुबह साढ़े नौ बजे जेसीबी, ट्रैक्टर और ट्रॉलियों के साथ प्रदर्शनकारियों का झुंड पहुंचा और बैरिकेड्स गिराकर धड़धड़ाते हुए अक्षरधाम फ्लाईओवर की ओर बढ़ गए. पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की. समझाया भी और लाठी भी चलाई, लेकिन हंगामेबाज नहीं रुके. फ्लाईओवर पर तांडव मचाने के बाद हुड़दंगियों के ट्रैक्टर का एक रेला अक्षरधाम को पार कर आईटीओ की तरफ बढ़ गया. आईटीओ से पहले पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की, तो ट्रैक्टरबाजों का एक जत्था वहां हंगामा मचाने लगा.
जबकि ट्रैक्टरबाजों का दूसरा जत्था पीछे लौटकर लालकिले वाले रास्ते की ओर निकल गया. सुबह पौने ग्यारह बजे ट्रैक्टर सवार उपद्रवियों का जत्था दिल्ली के भैरोमार्ग तक पहुंच चुका था, जहां से महज 4 मिनट की दूरी पर परेड हो रही थी. कुछ प्रदर्शनकारी ट्रैक्टर के साथ रिपब्लिक परेड में घुसने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन दिल्ली पुलिस ने रास्ते मे बस खड़ा कर के रास्ता बंद कर दिया था. जिससे प्रदर्शनकारी अंदर नही घुस पाए. इसके बाद प्रदर्शनकारी ITO की तरफ मुड़ गए.
26 जनवरी - सुबह 10:30 बजे - लालकिले में घुसपैठ
सुबह साढ़े दस बजे तक लालकिले के रास्ते में ट्रैक्टरों के जमावड़े के साथ हंगामे के आसार दिखने लगे थे. उसके बाद वहां क्या हंगामा बरपा, उसे सारे देश ने देखा. लालकिले में तैनात पुलिसवालों को घेर-घेरकर पीटा गया. बरसती लाठियों और लोहे के रॉड से खुद को बचाने की कोशिश में कई पुलिस वाले खाई वाले हिस्से में गिरते पड़ते नजर आए.
26 जनवरी - सुबह 11:30 बजे - नांगलोई, मुकरबां में हंगामा
उधर सुबह साढ़े ग्यारह बजे नांगलोई और मुकरबां में प्रदर्शनकारियों ने गदर मचाना शुरू किया. पुलिस उनके निशाने पर थी. तब तक दिल्ली से लगे फरीदाबाद में भी हंगामा शुरू हो चुका था. जाहिर है, पूरे सुनियोजित तरीके से दिल्ली पुलिस का ध्यान भटकाकर गणतंत्र पर गदर की साजिश को अंजाम दिया गया, जिसे करीब साढ़े ग्यारह घंटे तक देश 1सांस रोके देखता रहा. दिल्ली पुलिस की जांच जारी है, सुप्रीम कोर्ट में न्यायिक जांच कराने की अर्जी लग चुकी है. अब देखना ये है कि होने वाली जांच में गणतंत्र के गदर के गुनहगारों की क्या तस्वीर उभर कर सामने आती है.
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