नई दिल्लीः उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह ने धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2022 को अपनी स्वीकृति दे दी है, जिसमें गैरकानूनी धर्मांतरण को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध बनाने के लिए अधिकतम 10 साल के कारावास की सजा का प्रावधान है. 


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पिछले महीने विधानसभा से पास हुआ था कानून
विधेयक को इस साल 30 नवंबर को राज्य विधानसभा की ओर से पारित किया गया था. आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को यहां बताया कि राज्यपाल ने इस सप्ताह के शुरू में कानून को अपनी मंजूरी दे दी. 


दस साल सजा और 50 हजार का जुर्माना लगेगा
उन्होंने कहा कि विधेयक को राज्यपाल की मंजूरी के बाद यह ऐसे मामलों में अपराधियों को कड़ी सजा देने का मार्ग प्रशस्त करने वाला अधिनियम बन गया है. दस साल तक की अधिकतम कैद के अलावा उत्तराखंड में जबरन और गैरकानूनी धर्मांतरण में लिप्त व्यक्तियों पर अब कम से कम 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया जाएगा. 


किसी के धर्मांतरण के लिए षड्यंत्र करना अपराध
विधेयक के अनुसार, ‘कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बल, प्रलोभन या कपटपूर्ण माध्यम से एक धर्म से दूसरे में परिवर्तित या परिवर्तित करने का प्रयास नहीं करेगा. कोई व्यक्ति किसी को ऐसे धर्म परिवर्तन के लिए उत्प्रेरित या षड्यंत्र नहीं करेगा.’


कानून में दो श्रेणी में बांटा गया है धर्मांतरण
बता दें कि इसमें धर्मांतरण को दो श्रेणियों में बांटा गया है. एकल धर्मांतरण के लिए सजा कम है, जबकि सामूहिक धर्मांतरण कराने पर कड़ी सजा है. एक व्यक्ति के धर्मांतरण पर 2 से 7 साल की सजा और 25 हजार जुर्माना है. वहीं, सामूहिक धर्मांतरण के दोषी पर 3 से 10 साल की सजा और 50 हजार के जुर्माने का प्रावधान है. 


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