समुद्र में उतरा भारत का नया लड़ाकू जहाज `महेंद्रगिरी`, चीन के लिए बन सकता है नासूर
`निलगिरी` केटेगरी का आखिरी जहांज `महेंद्रगिरी` लॉन्च हुआ, यह कई आधुनिक हथियारों से लैस है. इसमें लगे अधिकतम हथियार भारत में ही बने हैं. अगले साल के मध्य में इसका परिक्षण शुरू हो जाएगा.
नई दिल्ली: देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankar) ने शुक्रवार को मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) के प्रोजेक्ट-17 अल्फा के चौथे स्टील्थ फ्रिगेट (गुप्त युद्धपोत) 'महेंद्रगिरी' को लॉन्च किया. उपराष्ट्रपति धनखड़ ने इस जहाज को मुंबई के समुद्र में इस स्वदेशी हथिया को उतारा. उम्मीद है कि साल 2024 में इसका समुद्री परीक्षण किया जाए. इस पर लगे सारे हथियार भारत में ही बने हैं, इन्हें बाहर से इम्पोर्ट नहीं किया गया है.
इसे भारतीय नौसेना (Indian Navy) के ब्यूरो ऑफ नेवल डिजाइन ने ही डिजाइन किया है. यह एक लड़ाकू जहाज है, जो निलगिरी केटेगरी का आखिरी जहाज है. इसे खासतौर पर युद्ध लड़ने के लिए ही बनाया गया है. भारत की सुरक्षा के लिए निलगिरी केटेगरी के तहत बने जहाजों को काफी अहम माना जा रहा है.
इस केटेगरी का पहला जहाज सितंबर 2019 में लॉन्च हुआ था. 'महेंद्रगिरी' के लॉन्च के मौके पर उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि मुझे यकीन है कि यह जहाज समुद्र में पूरे गर्व से तिरंगा लहराएगा. यह देश के समुद्री इतिहास में मील का पत्थर है.
जहाज की खासियत
यह जहाज चीन और पाकिस्तान की नौसेना के लिए सिरदर्द बन सकता है. इसमें लेटेस्ट टेक्नोलॉजी से लैस हथियार हैं, जो दुश्मन को धूल चटा सकते हैं.
-'महेंद्रगिरी' करीब 149 मीटर लंबा और 16 मीटर चौड़ा है.
-यह जहाज एक घंटे में 30 समुद्री मील पार कर सकता है.
-यह करीब-करीब 6600 टन का भार उठाने की क्षमता रखता है.
-इस जहाज का 75 प्रतिशत भारत में ही बना है.
दुश्मनों को कैसे ढेर करेगा 'महेंद्रगिरी'
-दुश्मन के विमानों को यह लंबी दूरी से डिटेक्ट कर लेता है.
-एंटी-शिप क्रूज मिसाइलों से निपटने में भी माहिर है.
-यह मिसाइलों और विमान को हवा में ही मार गिराने में सक्षम है.
-इसमें एंट्री सबमरीन मिसाइल और टोरपीडो लॉन्चर भी फिट किया गया है.
-जहाज पर 2 हैलीकॉप्टर आसानी से लैंड हो सकते हैं.
-इन्हें रखने के लिए हैंगर भी बनाए गए हैं.
-इसमें सोनार, रडार और कॉम्बेट मैनेजमेंट सिस्टम लगे हुए हैं.
चीन के लिए क्यों नासूर बन सकता है ये जहाज
चीन ने श्रीलंका की मजबूरी का फायदा उठाकर हंबनटोटा पोर्ट को हथिया लिया था. इसके बाद बीते साल यहां अपना जासूसी जहांज 'युआन वांग' भेजा था. उस वक्त भारत ने इस जहांज के आने पर आपत्ति भी जताई थी, लेकिन श्रीलंका कर्ज के बोझ तले दबा था. लिहाजा, चीन का जासूसी जहांज नहीं रुक पाया था. तब यह भी कहा गया था कि चीन के इस जहाज का मुकाबला करने के लिए भारत के पास आधुनिक तकनीक से लैस जहाज नहीं है. लेकिन 'महेन्द्रगिरी' लंबी दूरी के जहाजों को भी टारगेट कर सकता है. इसके परीक्षण के बाद यह चीन और पाक के लड़ाकू जहाजों का सामना करने लिए तैयार हो जाएगा, इससे भारत को मजबूती मिलेगी.
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