मनोज जरांगे की जिद के कारण महाराष्ट्र में भड़की हिंसा? हाई कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को साफ तौर पर कहा है कि विरोध करना जनता का मौलिक अधिकार है, लेकिन कानून व्यवस्था भी नहीं बिगड़नी चाहिए. अगर हिंसा होती है तो सरकार को एक्शन लेने का हक है.
नई दिल्लीः महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर हुई हिंसा मामले में बुधवार को बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने सख्त निर्देश दिए.हाई कोर्ट ने आंदोलनकारियों के प्रदर्शन को उनका मौलिक अधिकार बताया है, लेकिन साथ ही राज्य सरकार को भी हिंसा होने की हालत में एक्शन लेने का पूरा हक होने की बात कही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हाई कोर्ट में हुई बहस के दौरान यह साफ नजर आया कि हिंसा के लिए भूख हड़ताल पर बैठे मनोज जारांगे पाटिल की जिद जिम्मेदार है, जो राज्य सरकार के आरक्षण की राह खोलने का तरीका तलाशने के लिए आश्वासन देने के बावजूद भूख हड़ताल खत्म नहीं कर रहे हैं और पूरे राज्य में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर लोग सड़क पर उतरने लगे हैं.
राज्य में करोड़ों की संपत्ति को हुआ नुकसान
महाराष्ट्र के जालना जिले में 29 अगस्त को मनोज जारांगे के नेतृत्व में आरक्षण की मांग लेकर अनशन शुरू हुआ था. अनशन पर बैठे लोगों को जबरन उठाने की कोशिश में पुलिस के लाठीचार्ज से हिंसा भड़क गई थी, जिसके बाद जालना जिले में बहुत सारे वाहन जला दिए गए थे और तोड़फोड़ की गई थी. इसके बाद राज्य के 45 से ज्यादा बस डिपो बंद हो गए थे. अब तक इस हिंसा के कारण राज्य में कई करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति और राजस्व का नुकसान हो चुका है. साल 2018 और 2021 में भी मराठा आरक्षण के कारण बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी, जिससे 50 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान राज्य को हुआ था.
जिद पर अड़े हैं जारांगे
एक तरफ जहां राज्य सरकार बार-बार कह रही है कि मराठा आरक्षण की राह सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने रोक रखी है, जिसके चलते आरक्षण देने के बाद भी खत्म करना पड़ा था. राज्य सरकार ने आंदोलनकारियों को यह भी आश्वासन दिया है कि वह मराठा आरक्षण लागू करने की कोई न कोई राह तलाशेगी. इसके बावजूद मनोज जारांगे अड़े हुए हैं. मनोज जारांगे का स्वास्थ्य दिन प्रतिदिन बिगड़ता चला जा रहा है. इस कारण पुलिस ने उनसे अपनी भूख हड़ताल खत्म करने की अपील भी कि है पर वो आंदोलन की जगह पर जमे हुए हैं. जारांगे की मांग है कि शिंदे सरकार की पूरी कैबिनेट खुद आकर उनसे मिले.
जानें कोर्ट ने क्या कहा
हाई कोर्ट में चीफ जस्टि देवेन्द्र उपाध्याय और जस्टिस अरुण पेडनेकर की बेंच के निर्देश पर औरंगाबाद बेंच ने इस मुद्दे पर बुधवार को सुनवाई की. सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि हर किसी को अलग-अलग तरीके से विरोध जताने का मौलिक अधिकार हासिल है, लेकिन इससे राज्य की कानून व्यवस्था नहीं बिगड़ी चाहिए. प्रदर्शनकारी इस बात का ध्यान रखें कि राज्य की कानून व्यवस्था ना बिगड़े. सरकार भी प्रदर्शनकारियों के स्वास्थ्य का ख्याल रखे और कानून-व्यवस्था बिगड़ने की स्थिति में एक्शन लेना उसका हक और जिम्मेदारी है.
आंदोलन के कारण बिगड़े हालात
हाई कोर्ट में नीलेश शिंदे ने याचिका दायर की थी. याचिका में मराठा आरक्षण के मुद्दे पर 29 अगस्त से आंदोलन चलने की बात कही गई. यह भी बताया गया कि राज्य के अलग-अलग हिस्सों में आंदोलन के कारण कानून-व्यवस्था बिगड़ने की स्थिति पैदा हो गई है. अब तक 14-15 बसें जलाई जा चुकी हैं. जारांगे की तबीयत भी बिगड़ती जा रही है. राज्य सरकार को उनकी स्थिति पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है.
राज्य सरकार ने कोर्ट में क्या कहा
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने कहा कि राज्य सरकार जारांगे की सेहत को लेकर पूरी तरह चिंतित है. इसी तरह प्रदेश में जगह-जगह चल रहे आंदोलनों पर भी राज्य सरकार की नजर है.
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