नई दिल्ली: मुलायम सिंह यादव के साथ-साथ देश की राजनीति का एक अध्याय समाप्त हो गया. धरतीपुत्र कहे जाने वाले मुलायम का भारत की सियासत में कितना बड़ा कद था, ये शायद किसी से नहीं छिपा है. मोदी और मुलायम का रिश्ता भी काफी गहरा बताया जाता है. मगर शायद उस रहस्य के बारे में आज तक कोई नहीं जान पाया कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुलायम सिंह यादव के बीच क्या खिचड़ी पकी थी.


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मोदी और मुलायम का रिश्ता कैसे बना खास?
लोकसभा चुनाव 2014 के बाद पीएम मोदी से मुलायम सिंह यादव का रिश्ता कुछ ज्यादा ही खास बन गया. खुद नरेंद्र मोदी ने कई बार अपने और मुलायम के रिश्तों का बखान किया, कई सारी तस्वीरें दोनों नेताओं के मजबूत रिश्तों को सार्वजनिक करती रही.


हालांकि मुलायम सिंह यादव और पीएम मोदी के बीच एक गुत्थी आज तक कोई नहीं सुलझा पाया. जब मुलायम ने सारी दुनिया के सामने पीएम मोदी के कानों में कुछ बोलते नजर आए थे. हर किसी ने अपने-अपने तुक्के लगाए, लेकिन बातचीत की सटीक जानकारी किसी को भी नहीं है.



तस्वीर देख कर सभी के जेहन में ये सवाल उठ रहे थे कि आखिर मोदी के कानों में मुलायम ने क्या कहा होगा. साल 2012 में मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी ने विधानसभा चुनाव के नतीजों में दमदार जीत हासिल की थी. उस वक्त उन्होंने अपने बेटे अखिलेश को सीएम की कुर्सी सौंपी थी. हालांकि 5 साल बाद ही समाजवादी पार्टी का ऐसा हश्र हुआ, जो खुद मुलायम ने कभी नहीं सोचा होगा.


2017 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में सपा, बसपा और कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था. भाजपा ने प्रचंड जीत के साथ सपा को बुरी तरह हराया था. इसके बाद भाजपा की तरफ से योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया गया. शपथ ग्रहण समारोह में अखिलेश यादव के साथ मुलायम सिंह यादव भी पहुंचे थे. इस कार्यक्रम में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पहुंचे थे.


मुलायम ने मोदी के कानों में क्या कहा?
मंच पर मौजूद पीएम मोदी के कानों में मुलायम सिंह यादव ने कुछ कहा, जिसके बाद नरेंद्र मोदी मुस्कुराए और इसका बाद उन्होंने अखिलेश यादव के कंधे पर हाथ रख दिया. उस वक्त चर्चा का बाजार गर्म हो गया और हर कोई ये जानने की चाहत बयां करने लगा. सवाल पूछे जाने लगे कि नेताजी ने पीएम मोदी के कानों में क्या कहा.


उस वक्त कई सारे नेता अपने-अपने दावे पेश करने लगे. रिपोर्ट्स में अलग-अलग बात कही जाने लगी. टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट में ये कहा गया कि 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कानों में मुलायम सिंह यादव ने अपने बेटे अखिलेश यादव का ख्याल रखने के लिए कहा था.' हालांकि, अखिलेश ने इस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया.


बाद में एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में अखिलेश ने ये बताया था कि 'मैं बता तो दूं कि पिताजी ने क्या कहा था लेकिन आप यकीन नहीं करेंगे. मुलायम सिंह ने मोदी के कान में कहा था कि वो मेरा बेटा है, उससे बचकर रहना.' अखिलेश का दावा वाकई अजीबो-गरीब था और शायद इस पर यकीन करना भी काफी हद तक संभव नहीं है.


समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन से पूरा देश सदमे में है. धरतीपुत्र कहे जाने वाले मुलायम सिंह यादव अपनी जिंदादिली के लिए जाने जाते थे. सियासी मतभेदों को कभी भी मुलायम ने रिश्तों पर हावी नहीं होने दिया. यही कारण है कि गुजरात दौरे पर जैसे ही पीएम मोदी को मुलायम सिंह के निधन की जानकारी मिली, उन्होंने पूरी शिद्दत के साथ उन रिश्तों को याद किया.


मोदी का मुलायम से रहा खास नाता
मुलायम सिंह यादव और पीएम मोदी जब भी मिलते थे, पूरी गर्मजोशी के साथ एक-दूसरे की हौसला अफजाई करते थे. पीएम मोदी वो पल कभी नहीं भूलते जब 2019 के लोकसभा के आखिरी सत्र में मुलायम सिंह ने फिर से प्रधानमंत्री बनने का आशीर्वाद दिया था. हम आपको मुलायम सिंह का वो ऐतिहासिक भाषण सुनाते हैं, जिसमें उन्होंने पीएम मोदी की तारीफ की थी.


शायद यही वजह है कि पीएम मोदी ने उनके निधन पर एक के बाद एक कई सारे ट्वीट किए और लिखा, 'मुलायम सिंह यादव जी ने यूपी और राष्ट्रीय राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाई. वह आपातकाल के दौरान लोकतंत्र के लिए एक प्रमुख सैनिक थे.'



मुलायम सिंह यादव भी पीएम मोदी की अक्सर सराहना करते रहे हैं. साल 2019 में संसद सत्र के दौरान मुलायम सिंह यादव पीएम मोदी के फिर से प्रधानमंत्री बनने की बात कही थी.


यादव पिछड़ों और वंचितों के रहनुमा थे मुलायम
समाजवाद के नायक मुलायम सिंह यादव पिछड़ों और वंचितों के रहनुमा थे. यूपी में उनके उदय के साथ ही एक ऐसे युग की शुरुआत हुई जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था. मुलायम सिंह राजनीति के पटल पर जब उभरे तो फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उनका कद कितना बड़ा था ये इस बात से साफ हो जाता है कि उनके निधन के बाद यूपी में 3 दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है.


धरतीपुत्र मुलायम सिंह यादव का कद देश की राजनीति में बहुत बड़ा था. 1980 के दशक के बाद जिस तरह से यूपी की राजनीति के शिखर पर मुलायम सिंह उभरे, उससे कई सियासी दल पीछे छूट गए, लेकिन इन सबके बीच मुलायम सिंह ने कभी भी सियासी मतभेदों को 'मनभेद' नहीं बनाया.


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