जब अतीक के `खास आदमी` के दामाद को अशरफ ने चौराहे पर तड़पाया, तोड़े हाथ-पैर, किसी ने नहीं की थी मदद
यह अशरफ के खौफ का ही नतीजा था कि अतीक का खास आदमी होने के बावजूद गुलफूल अपने दामाद का पक्ष नहीं ले पाया था. उसके दामाद की पिटाई के पीछे एक और वजह यह भी बताई जाती है कि वह कभी राजू पाल का समर्थक रहा था.
नई दिल्ली. माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की शनिवार रात प्रयागराज में हुई हत्या ने पूरे उत्तर प्रदेश को झकझोर कर रख दिया. लगभग सभी विपक्षी दलों ने राज्य की कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं. अतीक और अशरफ को मेडिकल कराने के लिए पुलिस जिले के मेडिकल कॉलेज पहुंची थी जहां पर यह सनसनीखेज वारदात हुई. दोनों भाइयों को गोली मारने वाले तीनों हत्यारोपियों ने पुलिस ने मौका-ए-वारदात पर ही पकड़ लिया था.
अतीक-अशरफ पर भी यूपी में कई सनसनीखेज वारदातों को अंजाम देने का आरोप रहे हैं. इनमें से एक बहुचर्चित राजू पाल हत्याकांड है. 2005 में हुई इस घटना से पहले तक तक प्रयागराज और उसके आस-पास के इलाकों में लोग अतीक को तो जानते थे लेकिन उसके भाई अशरफ के बारे में कम लोग जानते थे. लेकिन उस हत्याकांड के बाद अशरफ का खौफ भी सिर चढ़कर बोलने लगा था. राजू पाल की हत्या के बाद इलाहाबाद शहर पश्चिमी सीट पर हुए विधानसभा उपचुनाव में भी अशरफ ने जीत हासिल की थी. कहा जाता है कि अपराध की दुनिया में अतीक का नाम भले ही बड़ा रहा हो लेकिन अशरफ अपने बड़े भाई से भी ज्यादा खूंखार था. प्रयागराज में हुई एक घटना अशरफ के खूंखार होने की बानगी है.
अतीक के खास के दामाद की बेरहम पिटाई
तकरीबन दस साल पहले अतीक अहमद ने अपने बेहद खास गुर्गे गुलफूल के दामाद को एक काम सौंपा था. गुलफूल के दामाद का नाम भी अशरफ है. अशरफ ने अतीक का काम करने से मना कर दिया था. इसके बाद उसे अतीक के भाई अशरफ ने झलवा के मुख्य IIIT चौराहे पर बुरी तरह पिटा था. अशरफ ने गुलफूल के दामाद का हाथ-पैर तोड़ दिया था. उसकी बंदूक चौराहे पर ही कटवा दी थी. गुलफूल का दामाद कई घंटों तक चौराहे पर तड़पता रहा. उसके मदद के लिए कोई भी नहीं आया.
अशरफ के खौफ पर अतीक का साम्राज्य
प्रयागराज के स्थानीय लोगों का मानना रहा है कि अपने छोटे भाई अशरफ की बदौलत ही अतीक ने अपनी बादशाहत कायम की है. गुलफूल के दामाद की घटना सिर्फ एक बानगी है. दरअसल यह अशरफ ही था जो अतीक के साम्राज्य को फैलाने के लिए दुर्दांत घटनाओं को अंजाम देने का काम करता था.
यह अशरफ के खौफ का ही नतीजा था कि अतीक का खास आदमी होने के बावजूद गुलफूल अपने दामाद का पक्ष नहीं ले पाया था. उसके दामाद की पिटाई के पीछे एक और वजह यह भी बताई जाती है कि वह कभी राजू पाल का समर्थक रहा था.
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