हिंदू-धर्म से प्रेम के चलते औरंगजेब ने कटवाया था सिर फिर लाल दरवाजे पर लटकाया, जानें कौन है वो मुगल राजा जिसकी कब्र ढूंढ रही है सरकार
Dara Shikoh: भारत का पुरात्तव इतिहास आज भी रहस्यों से भरा पड़ा है और हर रोज इन रहस्यों को खोजने की कोशिश हो रही है. फिर चाहें दिल्ली के पुराने किले में इन्द्रपस्थ की खोज की कोशिश हो या फिर राखीगढ़ी और सिनौली में प्राचीन भारतीय सभ्यता की खोज. इतिहास के पन्नों में डूबकर लापता चीजों और राज को खोजने की इसी कड़ी में भारत सरकार ने साल 2020 में 7 पुरातत्व विशेषज्ञों की एक टीम बनाई और उन्हें उस मुगल शासक की कब्र खोजने का जिम्मा दिया जिसे मारकर क्रूर मुगल शासक औरंगजेब ने सत्ता हथियाई थी.
Dara Shikoh: भारत का पुरात्तव इतिहास आज भी रहस्यों से भरा पड़ा है और हर रोज इन रहस्यों को खोजने की कोशिश हो रही है. फिर चाहें दिल्ली के पुराने किले में इन्द्रपस्थ की खोज की कोशिश हो या फिर राखीगढ़ी और सिनौली में प्राचीन भारतीय सभ्यता की खोज. इतिहास के पन्नों में डूबकर लापता चीजों और राज को खोजने की इसी कड़ी में भारत सरकार ने साल 2020 में 7 पुरातत्व विशेषज्ञों की एक टीम बनाई और उन्हें उस मुगल शासक की कब्र खोजने का जिम्मा दिया जिसे मारकर क्रूर मुगल शासक औरंगजेब ने सत्ता हथियाई थी. यह मुगल राजा रिश्ते में औरंगजेब का बड़ा भाई था लेकिन उसका व्यवहार उसके बिल्कुल उलट था.
हिंदू धर्म से प्यार के लिये कलम कर दिया था सिर
जहां औरंगजेब की प्रसिद्धि हिंदुओ का नरसंहार करने, मन्दिरों को तोड़ने और हिंदुओं के धार्मिक ग्रन्थों के अपमान करने वाले की थी, तो इस मुगल राजा का किरदार हिंदुओं के नरसंहार का नहीं प्रेम का था, मन्दिरों के विध्वंस का नहीं जीर्णोद्धार का था, दान का था और हिंदुओं के धार्मिक ग्रन्थों को नष्ट करने का नहीं बल्कि उसका फ़ारसी में अनुवाद करने का था. हम बात कर रहे हैं मुगल राजा शाहजहां और मुमताज महल के बड़े बेटे दारा शिकोह की जिनका औरंगजेब ने सत्ता हथियाने और हिंदू धर्म के प्रति प्यार जताने वालों के खिलाफ सख्त संदेश देने के लिये सिर कलम करवा दिया था और खूनी दरवाजे के नाम से मशहूर लाल दरवाजे पर लटका दिया था.
3 साल पहले सरकार ने दिये थे कब्र खोजने के आदेश
भारत सरकार ने इसी मुगल राजा दारा शिकोह की कब्र को खोजने के लिए यह समिति बनाई थी, लेकिन अफसोस इस बात का है कि देश के बड़े पुरातत्व विशषज्ञों की कमेटी बनाने के 3 वर्ष बाद भी आज दारा शिकोह की कब्र आधिकारिक रूप की आधिकारिक घोषणा ना ही भारत सरकार ने की और ना ही ASI ने. ऐसे में क्योंकि हम Zee News पर हमेशा पड़ताल को महत्व देते हैं तो हमने दारा शिकोह की कब्र को खोजने के पड़ताल शुरू की.
400 साल पहले लिखे गये साहित्यों में है कब्र का पता
पड़ताल के पहले चरण में हमारी टीम ने भारत सरकार के भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद पहुंच कर भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के निदेशक डॉ ओमजी उपाध्याय से मुलाकात की और उसने जानना चाहा कि दारा शिकोह की मौत और उसकी कब्र पर आज से 400 वर्ष पहले लिखे गए प्राथमिक आधिकारिक स्रोत क्या कहते हैं क्योंकि डॉ ओमजी उपाध्याय भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के रिसर्च एंड डेवलोपमेन्ट विभाग के निदेशक हैं ऐसे में उन्होंने हमारे लिए दारा शिकोह की मौत और उसकी कब्र पर मौजूद ऐतिहासिक साक्ष्यों की खोजबीन औरंगजेब के समय मे लिखे गए दर्जनों साहित्यों के पन्नो को पलट कर शुरू की.
लगभग 4 घंटे तक औरंगजेब के समय लिखे गए आज से 400 वर्ष पुराने दर्जनों ऐतिहासिक साहित्यों को पढ़ने के बाद 2 ऐसे आधिकारिक ऐतिहासिक साहित्य मिले जहां दारा शिकोह की मौत के स्थान से लेकर उसकी कब्र के स्थान का विस्तृत वर्णन था. ये दो आधिकारिक साहित्य थे आलमगीरनामा और मासिर-ए-आलमगीरी.
भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के निदेशक डॉ ओम जी उपाध्याय ने कहा,’इस समय मेरे पास आलमगीरनामा और मासिर-ए-आलमगीरी की प्रतियां मौजूद हैं और हम बार बार इन्हें आधिकारिक ऐतिहासिक साहित्य इस लिए कह रहे हैं क्योंकि इन दोनों साहित्यों को औरंगजेब के दरबारी इतिहासकारों ने लिखा है. जहां आलमगीरनामा औरंगजेब के शासनकाल पर मौजूद आधिकारिक ऐतिहासिक साहित्य है जिसे खुद औरंगजेब के आदेश पर उसके दरबारी इतिहासकार मिर्ज़ा मोहम्मद काज़िम ने फारसी में 1668 में लिखा था, इसी तरह मासिर-ए-आलमगीरी औरंगजेब के शासनकाल में उसके द्वारा दिये गए आदेशो पर आधारित अखबारात है जिसे औरंगजेब के एक और दरबारी इतिहासकार साक़ी मुश्ताक खान ने लिखा था. ये दोनों साहित्य फारसी में लिखे गए थे.’
दिल्ली के खिजराबाद में हुई थी दारा शिकोह की हत्या
उल्लेखनीय है कि मासिर-ए-आलमगीरी के अंग्रेजी अनुवाद के पेज 15 और 16 में दारा शिकोह की मौत और कब्र का विस्तृत करते हुए लिखा गया है कि 2 अगस्त 1659 को जब औरंगजेब का इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से जन्मदिन मनाया जा रहा था तब औरंगजेब का गुलाम बहादुर खान दारा शिकोह को औरंगजेब के पास पेश करता है और जिसके बाद दारा शिकोह को दिल्ली खिजराबाद के बाग में रखा जाता है और 30 अगस्त 1659 दिन मंगलवार की रात दारा खिजराबाद में शिकोह का सर कलम करके उसे हुमायूं के मकबरे में दफना दिया जाता है.
आलमगिरनामा में लिखा है कब्र का पता
यानी यह तो तय हो गया कि दारा शिकोह की हत्या दिल्ली के खिजराबाद में की गई, फिर दिल्ली के ही हुमायूं के मकबरे नाम की इमारत में उसे दफना दिया गया. लेकिन हुमायूं के मकबरे में तो 140 से 150 कब्र हैं और किसी भी कब्र पर यह नहीं लिखा है कि कौन सी कब्र किसकी है. ऐसे में आप सोच रहे होंगे कि आखिर इन 150 कब्रो में से दारा शिकोह की कब्र कौन सी है. इन बात का वर्णन औरंगजेब के दरबारी इतिहासकार मिर्ज़ा मुहम्मद काज़िम की किताब आलमगीरनामा में स्पष्ट रूप से मिलता है.
डॉ ओम ने कहा,’ यह मेरे पास इस समय आलमगीरनामा की फारसी में लिखी मूल प्रति है जिसके पेज 432 और 433 में दाराशिकोह की कब्र का स्थान स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है. फारसी में लिखे इस संदर्भ का हिंदी अनुवाद कुछ इस तरह है..आसमानी इशारे से जुनून से भरे हुए शैतानी पुतले को हजरत जन्नत आशियानी और जन्नत में आला मुकाम वाले हुमायूँ बादशाह अल्लाह उनके मकान को नूरानी देकर रौशन मकबरे में ले जाया गया. गुंबद के नीचे बने तहखाने में उन हजरत की मुबारक कब्र है और हज़रत अर्श आशियानी मुहम्मद जलालुदीन अकबर बादशाह के पुत्र शाहजादा दानियाल और शाहजादा मुराद दफ़न हैं, उस जगह दफना दिया गया.’
28 दिन की कैद के बाद कर दी थी हत्या
इतिहासकारों की माने तो यहां शैतानी पुतला यानी दाराशिकोह की बात हो रही है और इसके मुताबिक दारा शिकोह की कब्र उस तहखाने में है जहां हुमायूं की कब्र भी मौजूद है और दारा शिकोह को गुम्बद के नीचे उस स्थान पर दफनाया गया है जहां अकबर के बेटे दानियाल और मुराद की भी कब्र है यानी एक गुम्बद के नीचे सिर्फ 3 कब्र. मासिर ए आलमगीरी में जिस खिजराबाद का जिक्र है, यह दिल्ली के उत्तरपूर्व में स्थित वह खिजराबाद शहर है जहां दारा शिकोह को दिल्ली लाकर औरगंजेब ने बंदी बनाया था.
गौरतलब है कि दारा शिकोह को औरंगजेब ने खिजराबाद स्थित एक बाग में रखा था जिसका नाम भी खिजराबाद बाग था और वहीं पर ही 28 दिन रखने के बाद दारा शिकोह का सिर कलम कर दिया गया था हालांकि आज वह बाग शहरीकरण की वजह से लापता हो चुका है. औरंगजेब का मन दारा शिकोह का सर कलम करने से भी नहीं भरा था तो उसने दिल्ली में ही मौजूद लाल दरवाजा जिसे शेर शाह सूरी ने काबुली दरवाजा के नाम से बनवाया था वहां टँगवा दिया था ताकि उस लोगों के मन मे उसका डर पनप पाये, आज इस स्थान को खूनी दरवाजा कहते हैं.
हुमायूं के मकबरे में दफन हैं दारा शिकोह
अब आते हैं वहां जहां दारा शिकोह दफन है, यानी हुमायूं के मकबरे पर जहां कि शिलापट्ट पर लिखा है यहाँ मुगल परिवारों की 100 से ज्यादा कब्र मौजूद हैं. हुमायूं के मकबरे में वैसे तो लगभग 150 कब्र हैं लेकिन पहली मंजिल पर तहखाने में एक बड़ी सी विशाल कब्र है खुद हुमायूं की है यानी जैसा कि आलमगीरनामा में लिखा है कि दारा शिकोह की कब्र इसी के आसपास होनी चाहिए
हुमायूं की कब्र के दाएं ओर एक जगह पर गुम्बद के नीचे तीन कब्र हैं जैसा कि आलमगीरनामा में भी लिखा है और इन कब्रो की वास्तुकला को इतिहासकार शाहजहां और अकबर के समय की बताते हैं...और क्योंकि दो कब्र एक जैसी हैं और तीसरी बिल्कुल अलग है ऐसे में हो सकता है कि यह तीसरी कब्र दारा शिकोह की हो जैसा आलमगीरनामा में लिखा है. हुमायूं की कब्र के बाएं ओर भी गुम्बद के नीचे 3 कब्र हैं लेकिन इन कब्रो में 2 कब्र एक जैसी लम्बाई की और 1 छोटी ऐसे में इतिहासकारों की माने तो यहां दारा की कब्र होना मुश्किल है.
मौलवी अशरफ हुसैन की किताब में भी उसी कब्र का है जिक्र
Archeological Survey of India द्वारा 1947 में प्रकशित किताब Memoirs of The Archeological Survey of India जिसे मौलवी अशरफ हुसैन ने लिखा था उसके मुताबिक हुमायूं के मकबरे में खुले आसमान में अलग सी दिखने वाली एक कब्र दारा शिकोह की हो सकती है ऐसी आम मान्यता है. दारा शिकोह की मौत से लेकर कब्र तक की खोजबीन के लिए हमने प्राथमिक स्रोतों का उपयोग किया जो आज से 350 से 400 वर्ष पहले लिखे गए थे और इन्ही के द्वारा जैसा इतिहास में लिखा था वैसा ही आपको दिखाने की कोशिश की, अब इंतजार करना होगा कि भारत सरकार भी ऐतिहासिक दस्तावेजो के आधार पर दारा शिकोह की कब्र की निशानदेही करे. अब जब आज दारा शिकोह की कब्र की खोज में लगी टीम द्वारा रिपोर्ट दिए हुए लगभग ढाई वर्ष हो चुके हैं ऐसे में हम भी उम्मीद करते हैं कि ASI और भारत सरकार दारा शिकोह जैसे किरदार की कब्र की आधिकारिक घोषणा करके सभी सवालों को खत्म करेगी.
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