नई दिल्ली: Manoj Jarange Patil: महाराष्ट्र में मराठा आंदोलन हिंसक रूप ले चुका है. दो दिन के लिए बीड जिले में इंटरनेट बंद कर दिया गया है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आंदोलनकारी नेता मनोज जारांगे से बातचीत की और मराठा समुदाय को कुनबी जाति की कैटिगरी में शामिल करने का वादा किया है. सीएम शिंदे के आश्वासन के बाद मनोज जारांगे पाटिल ने आमरण अनशन खत्म कर दिया है. जारांगे पहले एक होटल में काम किया करते थे, आइए जानते हैं कि कैसे एक होटल कर्मी आंदोलन का इतना बड़ा चेहरा बना गया कि उसने पूरे राज्य की सियासत में उठापटक मचा दी.  


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12वीं में पढ़ाई छोड़ी 
मनोज जारांगे पाटिल मूल रूप से बीड जिले के मातोरी गांव से हैं. फिलहाल वे अपने परिवार के साथ जालना में रहते हैं. साल 2010 में जारांगे ने 12वीं क्लास में थे, इस दौरान उन्होंने पढ़ाई छोड़ी थी. फिर वे आंदोलन से जुड़ गए. उन्होंने अपनी आजीविका चलाने के लिए होटल में काम किया. बीते 12 साल में जारांगे ने 30 से ज्यादा बार आरक्षण आंदोलन किया है. साल 2016 से 2018 तक भी उन्होंने जालना में आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व किया. आरक्षण से जुड़े मुद्दे उठाने के लिए जारांगे ने 'शिवबा' नामक संगठन बनाया है 


2 एकड़ जमीन बेचीं
मनोज जारांगे के परिवार की आर्थिक स्थिति खास अच्छी नहीं है. उनके परिवार में माता-पिता, पत्नी, तीन भाई और चार बच्चे हैं. जब संगठन चलाने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे, तब उन्होंने अपनी 2 एकड़ जमीन बेच दी थी. मनोज के नेतृत्व में साल 2021 में जालना के पिंपलगांव में तीन महीने तक आरक्षण के लिए धरना दिया था. बता दें कि  पाटिल ने कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में शुरुआत की थी. हालांकि, कुछ समय बाद वे कांग्रेस से अलग हो गए.


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