नई दिल्ली: पूर्व हवाई प्रतिनिधि तुलसी गबार्ड ने घोषणा की कि वह डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़ रही हैं और इसे 'युद्ध भड़काने वालों का अभिजात वर्ग' करार दिया. एबीसी न्यूज के मुताबिक, उन्होंने अन्य 'स्वतंत्र-दिमाग वाले डेमोक्रेट' से उनके साथ पार्टी से निकलने का आह्वान किया.


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तुलसी गबार्ड ने बयां किया अपना दर्द
तुलसी ने कहा, 'मैं डेमोक्रेटिक पार्टी में अब और नहीं रह सकती, जो एक कुलीन वर्ग के पूर्ण नियंत्रण में है, जो हर मुद्दे को नस्लीय बनाकर हमें विभाजित करते हैं और श्वेत-विरोधी नस्लवाद को भड़काते हैं, सक्रिय रूप से हमारे ईश्वर-प्रदत्त को कमजोर करने के लिए काम करते हैं. स्वतंत्रता, विश्वास और आध्यात्मिकता के लोगों के लिए शत्रुतापूर्ण हैं, कानून का पालन करने वाले अमेरिकियों की कीमत पर पुलिस का प्रदर्शन और अपराधियों की रक्षा करते हैं, खुली सीमाओं में विश्वास करते हैं, राजनीतिक विरोधियों के पीछे जाने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा राज्य को हथियार देते हैं, और सबसे बढ़कर, हमें परमाणु युद्ध के करीब खींचते हैं.'


तुलसी गबार्ड ने डेमोक्रेट के रूप में 2013 से 2021 तक हवाई के दूसरे कांग्रेसनल जिले का प्रतिनिधित्व किया और 2020 में उन्होंने पार्टी के राष्ट्रपति पद के नामांकन के लिए असफल बोली लगाई.


गबार्ड ने पार्टी पर लगाए गंभीर आरोप
एबीसी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार को ट्विटर पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में उन्होंने दावा किया कि वह जिस पार्टी से निकल रही हैं, वह शक्तिशाली अभिजात वर्ग के लिए है, न कि आम लोगों के लिए.


उन्होंने कहा, 'यदि आप अब उस दिशा को नहीं पचा सकते हैं जो तथाकथित डेमोक्रेटिक पार्टी के विचारक हमारे देश को ले जा रहे हैं. मैं आपको मेरे साथ जुड़ने के लिए आमंत्रित करती हूं.' गबार्ड ने बाइडेन का सीधे नाम तो नहीं लिया, लेकिन तंज जरूर किया.


डेमोक्रेटिक पार्टी की सदस्य ने कहा, 'ऐसा लगता है कि राष्ट्रपति (जो) बाइडेन और डेमोक्रेटिक पार्टी के कुलीन वर्ग ने हमें परमाणु युद्ध की चपेट में ले लिया है, जो कि जोखिम भरा है. जैसा कि हम जानते हैं, तृतीय विश्वयुद्ध दुनिया को नष्ट कर देगा.'


तुलसी गबार्ड को जानिए..
तुलसी डेमोक्रेटिक पार्टी की तेजतर्रार नेता रही हैं. वो अमेरिकी संसद में पहली हिंदू सांसद हैं. इससे पहले वो अमेरिकी आर्मी (US Army) में रिजर्व अफसर रही हैं. तुलसी मूल रूप से भारतीय नहीं है, उनकी मां हिंदू और पिता कैथोलिक ईसाई थे.


ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब उन्होंने बागी तेवर अख्तियार किए हो. इससे पहले भी वो पार्टी फोरम पर नस्लभेद और बेघरों का मुद्दा जोर-शोर से उठाती रही हैं.


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