Farmers' protest clash: खनौरी सीमा पर बुधवार को सुरक्षाकर्मियों और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच झड़प में भटिंडा के 21 वर्षीय किसान शुभकरण सिंह की मौत हो गई. झड़पों में 12 पुलिसकर्मी भी घायल हो गए. पटियाला स्थित राजिंदरा अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक एचएस रेखी ने कहा कि मृतक के सिर पर चोट लगी थी. हालांकि, उनकी मौत का सही कारण पोस्टमार्टम के बाद पता चलेगा.


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अधिकारियों के मुताबिक शुभकरण सिंह की मौत गोली लगने से हुई है. रेखी ने कहा, 'उन्हें मृत लाया गया था और प्रारंभिक जांच में ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हें गोली लगी थी. हम पोस्टमार्टम के बाद ही गोली की प्रकृति का पता लगा पाएंगे.'


सीमा पर किसानों ने कहा कि पुलिस आंसू गैस के गोले के साथ रबर की गोलियां भी चलाती है. हरियाणा पुलिस ने कहा कि किसानों ने सुरक्षाकर्मियों पर पत्थरों और लाठियों से हमला किया.


पुलिस ने यह भी कहा कि प्रदर्शनकारियों ने खनौरी सीमा पर तैनात सुरक्षाकर्मियों को घेरने के बाद पराली पर मिर्च पाउडर डाला और आग लगा दी.


AAP, कांग्रेस ने क्या कहा?
आप नेता और पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह ने पुलिस कार्रवाई को 'लोकतंत्र की हत्या' बताया.


शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने दावा किया कि सिंह की मौत पुलिस की गोलीबारी में हुई. हालांकि, उनकी मौत के कारण की कोई पुष्टि नहीं हुई है.


वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने दावा किया कि शुभकरण सिंह की मौत पुलिस द्वारा चलाई गई रबर की गोली से हुई.
 
शुभकरण सिंह कौन थे?
शुभकरण सिंह रामपुरा फूल शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर भटिंडा के बल्लोह गांव के रहने वाले थे. उनके दोस्त पाला ने उन्हें एक मेहनती अनुबंधित किसान बताया.


वह और उनके चाचा चरणजीत सिंह 20 एकड़ जमीन ठेके पर लेकर खेती करते थे. शुभकरण के पास पशुधन भी था. वह स्कूल ड्रॉप आउट था.


माता-पिता के तलाक के बाद शुभकरण सिंह का पालन-पोषण उनके दादा ने किया. उनकी दो बहनें हैं.


शुभकरण सिंह के पास दो एकड़ जमीन थी. स्थानीय लोग उनकी चार भैंसों और पांच बछड़ों की देखभाल कर रहे हैं क्योंकि फिलहाल बहन, भाई की मौत के बाद सदमे में है.


उनके एक अन्य ग्रामीण मित्र ने कहा कि शुभकरण सिंह भारतीय किसान यूनियन सिधुपुर का कार्यकर्ता था और विरोध प्रदर्शनों और सभाओं में शामिल होता था.


शुभकरण सिंह 2021 के किसान आंदोलन में भी शामिल हुआ था. शुभकरण सिंह अपने गांव के उन 15 किसानों में शामिल थे जो दिल्ली चलो मार्च में शामिल हुए थे.


सिंह के पिता मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं. शुभकरण परिवार का कमाने वाला था. 13 फरवरी को शुभकरण सिंह खनौरी पहुंचा. वह रसोई में काम करता था. उसकी बड़ी बहन की शादी हो चुकी है.उनका अगला लक्ष्य अपनी छोटी बहन की शादी करना था.


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