चलते-चलते तो कोई डांस करते हुए! आखिर फिट युवाओं की क्यों हो रहीं अचानक मौतें? ICMR की स्टडी में कारणों का खुलासा
ICMR Study on Sudden Death: स्टडी से ये समझ आता है कि कोरोना वायरस दिल की बीमारी और स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ा देता है. इसके लिए 18 से 45 साल के ऐसे युवाओं पर स्टडी की गई जिन्हें कोरोना की वजह से अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. भारत के 19 राज्यों में स्टडी की गई, जिसमें देश के 47 अस्पताल शामिल रहे. स्टडी का डाटा अक्टूबर 2021 से 31 मार्च 2023 के बीच का है. इस वर्ष मई से अगस्त 2023 के बीच डाटा का एनालिसिस करके ये स्टडी की गई है.
ICMR Study on Sudden Death: पिछले काफी समय से ऐसी घटनाएं आम लगने लगी हैं जब कोई चलते चलते गिर रहा है तो कोई डांस करते करते. किसी की जिम में एक्सरसाइज करते करते मौत हो रही है तो कोई कुर्सी पर बैठे ही चल बसा. ऐसे दृश्य सामने आने के बाद हर किसी के मन में ये चिंता थी कि युवाओं की मौत ऐसे क्यों हो रही है? खासतौर पर ऐसे लोग जो देखने में फिट लगते हैं उनके साथ भी अचानक ऐसी घटनाओं के क्या कारण हैं?
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) पिछले तीन साल से ये स्टडी कर रहा है कि युवाओं में अचानक मौत के लिए क्या कारण जिम्मेदार हैं. अब स्टडी के नतीजे आ गए हैं. इसमें कोरोना वायरस के गंभीर मरीजों में मौत के कई मामले देखे गए हैं. बताया गया कि ऐसे युवा जिन्हें कोविड की वजह से अस्पताल में एडमिट होने की नौबत आई, उनमें अचानक मौत का खतरा बढ़ा है.
सेफ है कोविड वैक्सीन
अचानक मौत की घटनाओं के बीच कई लोगों के मन में यह भी सवाल उठ रहा था क्या इसकी वजह कोविड वैक्सीन तो नहीं? हालांकि, स्टडी में वैक्सीन को क्लीन चिट दी गई है और बताया गया है कि वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने वालों को सुरक्षा मिली है.
ICMR के मुताबिक, पूरी दुनिया में हर साल औसतन एक लाख युवाओं पर 0.8 से लेकर 6.2 युवाओं की अचानक मौत हो रही है. ज्यादातर मामलों में हार्ट अटैक या हार्ट फेल जैसे कारण इन मौतों के लिए जिम्मेदार पाए गए हैं. 2019 में कोरोना वायरस की बीमारी आने के बाद ये मौतें तेजी से बढ़ी. इसलिए स्टडी करके ये देखा गया कि युवाओं में अचानक मौत होने के क्या कारण हैं?
कोराना वायरस ने पहुंचाई हानि?
स्टडी से ये समझ आता है कि कोरोना वायरस दिल की बीमारी और स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ा देता है. इसके लिए 18 से 45 साल के ऐसे युवाओं पर स्टडी की गई जिन्हें कोरोना की वजह से अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. भारत के 19 राज्यों में स्टडी की गई, जिसमें देश के 47 अस्पताल शामिल रहे. स्टडी का डाटा अक्टूबर 2021 से 31 मार्च 2023 के बीच का है. इस वर्ष मई से अगस्त 2023 के बीच डाटा का एनालिसिस करके ये स्टडी की गई है.
स्टडी में ये देखा गया कि वैक्सीन की कम से कम एक डोज लगने के 42 दिनों तक मरीज कैसा रहा. WHO की गाइडलाइंस के मुताबिक वैक्सीन के 42 दिन के अंदर होने वाले साइड इफेक्ट्स को वैक्सीन का असर माना जाएगा.
इस स्टडी के लिए भारत में 18 से 45 साल के ऐसे 1145 युवाओं को शामिल किया गया जिनकी 1 अक्टूबर 2021 से 31 मार्च 2023 के बीच अचानक हार्ट अटैक से मौत हुई थी. 87 प्रतिशत लोगों को कोविड वैक्सीन की कम से कम एक डोज लग चुकी थी. 2 प्रतिशत को अस्पताल जाने की जरूरत पड़ी थी. 2 प्रतिशत को कोरोना से रिकवर होने के बाद भी सांस फूलने, ब्रेन फॉगिंग या दूसरी दिक्कतें बनी रही थी.
इन लोगों में से 10 प्रतिशत लोग ऐसे थे जिनके परिवार में पहले भी किसी की सडन डेथ यानी अचानक मौत हो चुकी थी. मरने वालों में 27 प्रतिशत लोग यानी 713 लोग स्मोकर थे. 27 प्रतिशत यानी 715 लोग शराब पीते थे. मरने वालों में से 677 लोग ऐसे भी थे जिन्होंने मौत से 48 घंटे पहले 6 या उससे ज्यादा पैग शराब पी थी. इनमें ऐसे भी 18% यानी 692 लोग थे, जो मौत से एक साल पहले तक एक्सरसाइज कर रहे थे, लेकिन फिर छोड़ दी थी.
कंट्रोल ग्रुप
इसके अलावा इस स्टडी को कंट्रोल ग्रुप में भी किया गया. कंट्रोल ग्रुप में 18 से 45 वर्ष के 4850 लोगों को शामिल किया गया जिसमें से 2916 का डिटेल एनालिसिस किया गया. इनमें से 81 प्रतिशत युवा वैक्सीन की कम से कम एक डोज लगवा चुके थे. इनमें से 1 प्रतिशत लोग अस्पताल पहुंचे थे. 1 प्रतिशत को कोरोना से रिकवर होने के एक महीने तक कोरोना के साइड इफेक्टस जैसे सांस फूलने, स्मेल ना आने और ब्रेन फागिंग जैसी परेशानियां रहीं. 4 प्रतिशत के घर में किसी ना किसी की पहले भी सडन डेथ यानी अचानक मौत हो चुकी थी. कंट्रोल ग्रुप में 19 प्रतिशत स्मोकर थे. 13 प्रतिशत शराब पीते थे. 1 प्रतिशत ने किसी बीमारी से 48 घंटे पहले 6 या उससे ज्यादा पैग शराब पी थी. 17 प्रतिशत लोग 1 साल पहले से कोई ना कोई फिजीकल एक्टिविटी जैसे एक्सरसाइज कर रहे थे.
अचानक हुई मौतों के पीछे के कारण
ऐसे लोग जिन्हें कोरोना की वजह से अस्पताल जाने की नौबत आई उनमें कोरोना से जान जाने का खतरा बाकियों के मुकाबले 4 गुना ज्यादा था.
परिवार में पहले से किसी की सडन डेथ यानी पहले भी किसी की अचानक मौत हो चुकी हो ऐसे लोगों में मौत का खतरा 3 गुना ज्यादा था.
इसके अलावा स्मोकिंग और शराब जैसी आदतों को भी अचानक मौतों के पीछे जिम्मेदार पाया गया.
मौत से 48 घंटे पहले जमकर एक्सरसाइज (Intense Exercise) करने वाले या 48 घंटे पहले ज्यादा शराब पीने वाले मामले खासतौर पर अचानक मौत के लिए जिम्मेदार पाए गए.
कोविड वैक्सीन को मौतों के लिए जिम्मेदार नहीं माना गया, बल्कि स्टडी में ये बताया गया है कि वैक्सीन की वजह से लोगों को सुरक्षा मिली और उन्हें वैक्सीन लेने से फायदा हुआ. हालांकि ICMR ने साफ किया है कि विदेशों में ऐसी कुछ स्टडी हुई जिनमें ये देखा गया है कि कोविड वैक्सीन से दिल की आर्टरी में खून के क्लॉट जम रहे हैं, लेकिन इसका पता लगाने के लिए और गहन स्टडी की जरूरत होगी।
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