Manipur में पुलिस के खिलाफ क्यों प्रदर्शन कर रही हैं महिलाएं? जानें पूरा मामला
आईएलटीएफ ने कहा, निष्पक्षता एवं तटस्थता बनाए रखने के लिए, सरकार से मोरेह से (राज्य के) सुरक्षा कर्मियों को वापस बुलाने का हम विनम्रतापूर्वक अनुरोध करते हैं.
नई दिल्लीः ‘इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम’ (आईटीएलएफ) ने सोमवार को धमकी दी कि अगर राज्य सरकार मोरेह से राज्य पुलिस बल के जवानों को तुरंत वापस नहीं बुलाती है तो मणिपुर के सभी आदिवासी जिलों में आंदोलन शुरू किया जाएगा. इससे कुछ घंटे पहले ही, राज्य के चुराचांदपुर जिले में एक हजार से अधिक महिलाओं ने म्यांमा की सीमा से सटे मोरेह कस्बे से राज्य पुलिस बलों को हटाने की मांग को लेकर विरोध-प्रदर्शन किया.
जानिए क्या है पूरा मामला
आईएलटीएफ ने कहा, निष्पक्षता एवं तटस्थता बनाए रखने के लिए, सरकार से मोरेह से (राज्य के) सुरक्षा कर्मियों को वापस बुलाने का हम विनम्रतापूर्वक अनुरोध करते हैं. इसके साथ ही संगठन ने कहा कि अगर यह मांग नहीं मानी गई तो, हम सभी आदिवासी जिलों में जन आंदोलन शुरू करने के लिए बाध्य होंगे.
आंदोलन की चेतावनी दी
आईएलटीएफ नेताओं ने एक प्रेस बयान में कहा कि वे मणिपुर सरकार द्वारा मोरेह शहर में राज्य सुरक्षा बलों को तैनात करने के सरकार के प्रयास से चिंतित है, जहां कुकी-ज़ो आदिवासी रहते हैं. कुकी समुदाय का आरोप है कि राज्य पुलिस में मेइती कर्मियों की खासी संख्या है और उसका रवैया पक्षपातपूर्ण है.
पुलिस पर लगाए ये आरोप
आईटीएलएफ ने कहा कि उसे आशंका है कि उग्रवादी समूहों के सदस्य पुलिस के साथ मिले हुए हैं और वे अगर मोरेह में प्रवेश करते हैं तो भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं. उसने कहा कि तेंगनौपाल में ज्यादातर पुलिसकर्मी बहुसंख्यक समुदाय से हैं. आईटीएलएफ ने कहा, मोरेह में आदिवासी महिलाएं राज्य बलों को सीमावर्ती कस्बे में प्रवेश करने से रोकने के प्रयास में राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध कर रही हैं.
कुकी-ज़ो समुदाय की हजारों महिलाओं ने पुलिस बलों को मोरेह कस्बे में दाखिल होने से रोकने के लिए 28 जुलाई को वहां जाने वाली सड़क को अवरुद्ध कर दिया था. इंडियन रिजर्व बटालियन और मणिपुर राइफल्स सहित अन्य सुरक्षा बलों का दस वाहनों का एक काफिला जब मोरेह कस्बे की तरफ बढ़ रहा था, तब महिलाओं ने उसे तेंगनौपाल में रोक दिया था.
एक दिन पहले ही, विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) ने कहा था कि अगर मणिपुर में जातीय संघर्ष की समस्या का जल्द समाधान नहीं किया गया, तो पूरे देश के समक्ष सुरक्षा संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं. मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.