नई दिल्ली: UP News: उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में तैनात एक महिला सिविल जज ने मुख्य न्यायाधीश से इच्छा मृत्यु की मांग की है. उन्होंने इसके लिए चीफ जस्टिस को पत्र लिखा है. महिला जज अर्पिता साहू का आरोप है कि यूपी के बाराबंकी जिले में तैनाती के दौरान जिला जज ने शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना की. जिला जज ने महिला सिविल जज पर रात में मिलने का दबाव भी बनाया. महिला जज का दावा है कि उन्होंने जिला जज के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई थी, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई. 


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महिला जज ने पत्र में बताई आपबीती
सिविल महिला जज ने चीफ जस्टिस को पत्र में लिखा, 'मैं इस पत्र को बेहद दर्द और निराशा में लिख रही हूं. इस पत्र के माध्यम से मैं मेरी कहानी और प्रार्थना जाहिर करना चाह रही हूं, इसके अलावा मेरा कोई मकसद नहीं है. मेरे सबसे बड़े अभिभावक (सीजेआई) मुझे अपना जीवन समाप्त करने की अनुमति दें. मैं बहुत उत्साह और इस विश्वास के साथ न्यायिक सेवा में शामिल हुई थी कि मैं आम लोगों को न्याय दिलाऊंगी. लेकिन मैं ये नहीं जानती थी कि जिस कार्य के लिए जा रही हूं, वहां पर मैं खुद ही न्याय की भीख मांगूगी. मेरे साथ यौन उत्पीड़न किया गया. मेरे साथ बिल्कुल कूड़े जैसा व्यवहार हुआ. मेरी दूसरों को न्याय दिलाने की आशा थी, लेकिन मिला क्या. 


लिखी इमोशनल बात
उन्होंने आगे लिखा कि मैं भारत में काम करनी वाली महिलाओं से यह कहना चाहती हूं कि यौन उत्पीड़न के साथ जीना सीख लें. यही हमारे जीवन का सत्य है. मैं जज हूं, मैं अपने लिए निष्पक्ष जांच तक नहीं कर सकी. चलो न्याय क्लोज करें. मैं सभी महिलाओं को सलाह देती हूं कि वे खुद खिलौना या निर्जीव वस्तु बनना सीख लें.


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