नई दिल्ली: Priyanka Gandhi Wayanad Election: कांग्रेस ने फैसला कर लिया है कि राहुल गांधी यूपी की रायबरेली लोकसभा सीट से सांसद रहेंगे. वे केरल की वायनाड सीट खाली करेंगे, यहां से उनकी बहन और पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी उपचुनाव लड़ेंगी. प्रियंका गांधी करीब दो दशक से राजनीति में सक्रिय हैं. लेकिन पहली बार उनकी चुनावी एंट्री हो रही है. हालांकि, इसी बीच सवाल ये उठता है कि इतने सालों तक पर्दे के पीछे से पार्टी की रणनीति बनाने वाली प्रियंका को अब संसद में क्यों लाया जा रहा है?


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16 साल की उम्र में दिया पहला सार्वजिनक भाषण
प्रियंका गांधी सबसे पहले 16 साल की उम्र में पॉलिटिकल मंच पर दिखी थीं. इंदिरा गांधी की हत्या के 4 साल बाद 988 में प्रियंका ने अपना पहला सार्वजनिक भाषण दिया था. साल 2004 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव का प्रचार किया था. फिर 2007 के यूपी विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने कांग्रेस की कमान संभाली. साल 2019 में वे कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव बनीं.


पर्दे के पीछे हमेशा रहा रोल
प्रियंका गांधी को कांग्रेस के क्राइसिस मैनेजर के रूप में जाना जाता है. बीते कुछ सालों में जब-जब कांग्रेस मुश्किल में आई है, प्रियंका ने पार्टी को उबारने का पूरा प्रयास किया. हाल में लोकसभा चुनाव से पहले सपा और कांग्रेस के बीच सीटों का बंटवारा नहीं हो पा रहा था. लेकिन प्रियंका गांधी ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव से फोन पर बात की और मामला आसानी से सुलझ गया. इससे पहले जब हिमाचल की कांग्रेस सरकार और CM सुखविंदर सिंह सुक्खू की कुर्सी पर खतरा मंडराया, तब भी प्रियंका ने क्राइसिस को मैनेज किया. कहा जाता है कि उन्होंने वीरभद्र परिवार से बातचीत की और बगावत वहीं रुक गई. 


प्रियंका गांधी को संसद लाने की तैयारी क्यों?


1. उत्तर में राहुल, दक्षिण में प्रियंका: किसी जमाने में दक्षिण कांग्रेस का मजबूत किला हुआ करता था. पहले के मुकाबले पार्टी यहां कमजोर हुई है, लेकिन अब भी भाजपा से ज्यादा मजबूत है. इस बार भाजपा ने यहां सेंधमारी करने की कोशिश की है. केरल में पहली बार भाजपा का खाता भी खुला है. अब कांग्रेस यहां से गांधी परिवार के ही किसी सदस्य को आगे बढ़ाना चाहती है ताकि यहां का परफॉर्मेंस बरकरार रहे. 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को दक्षिण में 42 सीटें मिली हैं. 


2. जिम्मेदारियों का बंटवारा: कांग्रेस नेता और प्रियंका गांधी के भाई राहुल गांधी पार्टी के सेंटर पॉइंट बन गए हैं. भले पार्टी को यात्रा निकालनी हो या नेता विपक्ष चुनना हो, राहुल गांधी का नाम सबसे पहले आता है. एक व्यक्ति सभी जिम्मेदारियों को नहीं उठा सकता. प्रियंका के चुनाव जीतने से जिम्मेदारियां बंट जाएंगी. राहुल फोकस के साथ एक काम में जुटे रह सकते हैं. जैसे- राहुल 'भारत जोड़ो' जैसी यात्रा में फिर सक्रिय हो सकते हैं और प्रियंका संसद में मोर्चा संभाल सकती हैं. पार्टी छोड़ने वाले कई नेताओं का आरोप रहा कि राहुल से उनकी बातचीत नहीं हो पाती थी. लेकिन अब प्रियंका पार्टी के मसलों में सक्रिय भूमिका निभा सकती हैं, जनसुलभ नेता बन सकती हैं.


3. तीन फेस, तीन राज्य: सोनिया गांधी राजस्थान से राज्यसभा सांसद हैं, यहां पर 25 लोकसभा सीटें हैं. राहुल यूपी की रायबरेली लोकसभा सीट से सांसद हैं. यूपी में 80 लोकसभा सीटें हैं. प्रियंका को केरल के वायनाड से प्रत्याशी बनाया है. केरल में 20 लोकसभा सीटें हैं. इस तरह से गांधी परिवार के तीन दिग्गज तीन राज्यों में अपना प्रभाव दिखाकर वोट मांग सकते हैं और इन्हें कांग्रेस के लिए मजबूत बना सकते हैं.


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