आखिर क्यों पीएम मोदी ने `जनता कर्फ्यू` की जरुरत बताई?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 22 मार्च यानी रविवार को `जनता कर्फ्यू` का आह्वान किया है. इस दिन सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक घरों से बाहर नहीं निकलने का आग्रह पीएम ने किया. कोरोना(CoronaVirus) के खिलाफ जंग के लिए पीएम मोदी का यह ऐलान परिस्थितियों को देखते हुए किया गया है.
नई दिल्ली: देश के लोग घर से बाहर नहीं निकलेंगे, तो कोरोना वायरस की चपेट में नहीं आएंगे. पीएम मोदी(PM Modi) ने देश को यही संदेश दिया है. लेकिन इसके लिए 19 मार्च का दिन एक खास वजह से चुना गया है. प्रधानमंत्री ने बेहद सही समय पर अपना संदेश दिया है. इसकी सख्त जरुरत थी.
इस वजह से प्रधानमंत्री करना पड़ा देश को संबोधित
हमारा देश के कोरोना वायरस(Coronavirus) के तीसरे चरण में पहुंचने का खतरा है. इसे कम्युनिटी स्टेज (Community Stage) कहते हैं. जिसमें यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलना शुरु होता है.
19 मार्च गुरुवार से अगले दो सप्ताह यानी अप्रैल के पहले सप्ताह तक यदि हम सब खुद को और अपने परिवार को कोरोना से बचा ले जाएं तो समझिए आधी से ज्यादा जंग हम सभी ने जीत ली है. इसलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस आह्वान के लिए गुरुवार 19 मार्च का दिन चुना.
'जनता कर्फ्यू' के ये हैं प्रावधान
रविवार 22 मार्च को 'जनता कर्फ्यू' लगाने की बात पीएम मोदी ने ऐसे ही नहीं कह दी. उन्होंने इसके लिए बकायदा तरीके बताए हैं. प्रधानमंत्री(Prime munister) ने धार्मिक, स्वयंसेवी, खेल संघों, स्थानीय निकायों से आह्वान किया है कि वो इसे सफल बनाने में मदद करें.
इसके पहले पीएम मोदी ने बुजुर्गों का विशेष तौर पर उल्लेख करते हुए कहा कि उन्हें घर से बाहर निकलने से परहेज करना चाहिए.
जरुरी सुविधाएं दे रहे लोगों का राहत देने की कोशिश
कोरोना जैसी वैश्विक महामारी की स्थिति में देश के नागरिकों को अपने अपने घरों में रहने की सलाह बेहद जरुरी थी. क्योंकि वायरस का फैलाव आपसी संपर्क से ही हो रहा है. इस परिस्थिति में वायरस का प्रसार तेजी से हो रहा है.
कोरोना वायरस(Coronavirus) बीमारों की संख्या बढ़ने और शक की वजह से मेडिकल चेकअप के लिए पहुंचने वालों के कारण डॉक्टरों पर दबाव बेहद ज्यादा बढ़ गया है. इसके अलावा एयरपोर्ट, मेट्रो, रेलवे, सार्वजनिक सुविधाओं से जुड़े लोगों को बीमारी के खतरे के बीच काम करना पड़ रहा है.
कोरोना वायरस के खतरे से जूझते हुए अपना कर्तव्य निभाने वाले इस तरह के सभी बहादुर लोगों का मनोबल बढ़ाने के लिए पीएम मोदी ने आह्वान किया है कि 22 मार्च को शाम 5 बजे घर से बाहर या बालकनी पर निकलकर बीमारी का सामना करने वाले लोगों के समर्थन में घंटे घड़ियाल या फिर ताली बजाएं.
देश के डॉक्टरों पर बहुत ज्यादा बोझ
देश में 11,082 की आबादी पर मात्र एक डॉक्टर उपलब्ध रहता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) के तय मानकों के अनुसार, यह अनुपात प्रति एक हजार व्यक्तियों पर एक होना चाहिए.
इस अनुपात में देखा जाए तो यह तय मानकों के मुकाबले 11 गुना कम है. यह स्थिति चिंताजनक है. इसकी वजह से डॉक्टरों पर बोझ बढ़ जाता है. खास तौर पर कोरोना(Coronavirus) जैसी महामारी की स्थिति में डॉक्टरों के पास काम बहुत ज्यादा हो गया है.
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के पास वर्ष 2017 तक कुल 10.41 लाख डॉक्टर पंजीकृत थे. इनमें से सरकारी अस्पतालों में 1.2 लाख डॉक्टर थे. जबकि देश की आबादी 125 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है.