कर्नाटक का इलकल गांव क्यों पूरी दुनिया में है मशहूर, जहां AAP ने खेला मास्टरस्ट्रोक
कर्नाटक के बागलकोट जिले में एक गांव है इलकल, जो अपने नाम वाली (इलकल) साड़ियों के लिए मशहूर है, लेकिन इसे विडंबना ही कहेंगे कि अपने हुनर से इन साड़ियों को देश भर में पहचान दिलाने वाले बुनकरों की समस्या सुनने में किसी को दिलचस्पी नहीं है.
नई दिल्लीः कर्नाटक के बागलकोट जिले में एक गांव है इलकल, जो अपने नाम वाली (इलकल) साड़ियों के लिए मशहूर है, लेकिन इसे विडंबना ही कहेंगे कि अपने हुनर से इन साड़ियों को देश भर में पहचान दिलाने वाले बुनकरों की समस्या सुनने में किसी को दिलचस्पी नहीं है. केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी में जब अपना बजट भाषण दिया था, तब उन्होंने इलकल साड़ी ही पहनी थी.
आप ने बनाया उम्मीदवार
राज्य में इसी माह चुनाव होना है और आम आदमी पार्टी (आप) ने इसी समुदाय के एक व्यक्ति को अपना उम्मीदवार बनाया है. इलकल गांव हुनगुंड विधानसभा क्षेत्र में आता है और पूरे जिले में यहीं सबसे अधिक साड़ियां तैयार की जाती हैं. इसके अलावा बागलकोट, बादामी तथा तेरदल विधानसभा क्षेत्रों में भी ये साड़ियां बनाई जाती हैं. बागलकोट जिले में कुल छह विधानसभा क्षेत्र हैं.
जानिए सियासी समीकरण
वर्ष 2018 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पांच सीटें जीती थी, वहीं बादामी सीट पर कांग्रेस ने कब्जा किया था, जहां से पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया जीते थे. आप ने बुनकर समुदाय से ताल्लुक रखने वाले नागराज होंगल (55) को हुनगुंड सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है. होंगल 2005 से बुनकरों की समस्याओं को लेकर आवाज उठा रहे हैं. दिलचस्प बात यह है कि तेरदल विधानसभा क्षेत्र से बुनकरों के अनुरोध पर कुरुहिनाशेट्टी पीठ के जगदगुरु शिवशंकर शिवाचार्य स्वामीजी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर खड़े हैं.
भाजपा तथा मुख्य विपक्षी कांग्रेस ने बुनकर समुदाय से किसी उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है. आप उम्मीदवार ने इलकल गांव के बुनकरों के समक्ष चुनौतियों पर चर्चा करते हुए कहा कि उत्पादन लागत बढ़ने और कम मूल्य मिलने, पांच एचपी तक नि:शुल्क बिजली मिलने के बावजूद बिजली के बढ़े बिल आदि बुनकरों की प्रमुख समस्याएं हैं.
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