नई दिल्ली.   सवाल ये है कि देश की सरकार कोरोना वायरस से देश की जनता की मदद करना चाहती है या कोरोना महामारी के दौर में देश की दवा बनाने वाली कंपनियों की या दोनो की ही मदद नहीं करना चाहती? यदि सरकार देश को कोरोना संक्रमण से बचाना चाहती है तो उसे कोरोना की दवा बनाने वाली कंपनियों और उनके दावे पर विश्वास करके चलना होगा न कि उनका विरोध करके !


दरअसल आरोप है क्या ?


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आरोप ये लगा है पतंजलि कम्पनी पर कि उसने दवा बनाने के नियमों का पालन नहीं किया. किन्तु जिस तरह से अचानक आरोपों की बाढ़ आ गई है उससे ये लगता है कि पतंजलि कम्पनी पर आरोप ये है कि उसने दवा क्यों बनाई? भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने सरकारी स्तर पर कोरोनिल की जांच पूरी होने तक उसके प्रचार-प्रसार पर रोक लगा दी है. कहा जा रहा है कि पतंजलि को इम्यूनिटी बूस्टर, कफ और बुखार ठीक करने की दवा का लाइसेंस दिया गया था, कोरोना की दवा बनाने का नहीं. हास्यास्पद सी बात लगती है कि खांसी-बुखार की बीमारी में आपको खांसी की दवा बनाने का काम दिया था, आपने बुखार ठीक करने की दवा कैसे बना दी?


आयुष मंत्रालय ने जताया ऐतराज 


सबसे पहले आयुष मंत्रालय ने कोरोनिल पर ऐतराज जताया. जल्दबाज़ी में आयुष मंत्रालय कोरोना की दवा बनाने के लिए पतंजलि कम्पनी या स्वामी रामदेव को बधाई देना भूल गया. बाद में अपने आरोप में सुधर करते समय आयुष मंत्रालय ने भूल सुधारी और बधाई देने की औपचारिकता की पूर्ति कर दी. हालांकि आयुष मंत्रालय का क्रोध अभी भी पतंजलि कम्पनी पर बना देखा जा रहा है. और जिस तरह से आयुष मंत्रालय पतंजलि कम्पनी पर हमलावर हो रहा है उससे साफ़ दिख रहा है मंत्रालय कोरोना दवा के मामले में पतंजलि की मदद करने के मूड में नहीं लगता बल्कि उसे हतोत्साहित करने का उसका मंतव्य है. 


आयुष मंत्रालय है देश का आयुर्वेद आधारित चिकित्सा मंत्रालय?


भारत की पारम्परिक चिकित्सा आयुर्वेद को आधार बना कर देश के लिए जिस विशेष चिकित्सा मंत्रालय का गठन किया गया है उसका उद्देश्य भी भारतीय चिकित्सा पद्धति अर्थात आयुर्वेद को बढ़ावा देना है. किन्तु आयुष मंत्रालय का फिलहाल मूड ऐसा नज़र नहीं आता. लगता है आयुर्वेद पर आयुष मंत्रालय को विश्वास ही नहीं है. इसलिए बजाये उसकी तरफ मदद की हाथ बढ़ाने के आयुष मंत्रालय पतंजलि कम्पनी के हाथ बांध देना चाहता है. 


उत्तराखंड सरकार भी हुई खफा 


कोरोना वायरस के उपचार के लिए बनाई गई पतंजलि की दवा कोरोनिल को लेकर पैदा हुए विवाद में उत्तराखंड की सरकार भी कूद पड़ी है. जिस सरकार को उत्तराखंड की शान आयुर्वेद पर आधारित पतंजलि कम्पनी की सहायता करने के लिए आगे आना चाहिए था, उस सरकार ने अब इस कम्पनी के खिलाफ दवा बनाने के लाइसेंस को लेकर नोटिस जारी करने का फैसला किया है. 


राजस्थान दायर कर रहा है मुकदमा 


राजस्थान में तो कांग्रेस की सरकार है जिसे आयुर्वेद तो क्या देश की हर परंपरा और विरासत से विरोध है. जिस कांग्रेस को राष्ट्रवाद से विरोध हो और जिसके नेता देश के दुश्मन चीन के समर्थन में देश की सेना और देश की सरकार के खिलाफ सवाल खड़े करते हों, अगर राजस्थान की उस कांग्रेस सरकार ने आयुर्वेद की कोरोना-मारक दवा कोरोनिल का विरोध किया है तो हैरानी की क्या बात है. राजस्थान सरकार का कहना है कि प्रदेश के जिस अस्पताल से क्लिनिकल ट्रायल का दावा किया जा रहा है उसकी राज्य सरकार से अनुमति नहीं मांगी गई. प्रदेश के चिकित्सा मंत्री ने कोरोना की दवा ईजाद करने के मामले में भारत सरकार से पतंजली कंपनी के सर्वेसर्वा स्वामी रामदेव के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है.  


सोच जनहित की ही रखें तो बेहतर है 


अगर सरकार का आयुष मंत्रालय जन-लाभ की दृष्टि से न सोच सके तो जन-क्रोध की दृष्टि से अवश्य सोचें और जन-वोट पर भी थोड़ा गौर कर लें. स्वामी रामदेव देश के करोड़ों लोगों के योग गुरु हैं और खुल कर फ्री में दुनिया को योग बांटते हैं. स्वामी रामदेव का विरोध करके सरकार का यह मंत्रालय देश की जनता का विरोध बिना मतलब में ही मोल ले रहा है. पीएम मोदी के देशहित में किये जा रहे कार्यों पर पलीता लग सकता है. और सबसे बड़ी बात कोरोना के देश के साढ़े चार लाख मरीजों का क्रोध भी इस मंत्रालय पर टूट सकता है और बाकी  एक सौ साढ़े छत्तीस करोड़ लोगों का गुस्सा भी इस मंत्रालय के खिलाफ जा सकता है. बजाये इसके कि आप दवा का समर्थन करते हुए आवश्यक सरकारी औपचारिकताओं की पूर्ती करें और आपको इसके ट्रायल पर विश्वास नहीं तो ट्रायल करवा लें किन्तु इस सार्वजनिक रोष का प्रदर्शन तो ये जाहिर करता है कि आपको लगता है कि कोरोना की दवा बना करके पतंजलि ने घोर अपराध कर दिया है. 


 


विरोध दरअसल किसका हो रहा है


ये विरोध कोरोना की दवा का हो रहा है या कोरोना की दवा से ठीक होने वाले मरीजों का हो रहा है या आयुर्वेद का हो रहा है या आयुर्वेद पर आधारित पतंजली कंपनी का हो रहा है या स्वामी रामदेव का हो रहा है या इन सभी का हो रहा है - यह भी एक बड़ा सवाल है. 


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