पीएम नरेंद्र मोदी क्यों कर रहे हैं जलशक्ति अभियान की शुरुआत, जानिए वजह
इस अभियान से सबसे अधिक फायदा उन क्षेत्रों को मिलेगा जहां पानी की कमी से जनजीवन प्रभावित है. इन क्षेत्रों में मध्यप्रदेश का बुंदेलखंड, पन्ना, टिकमगढ़, छतरपुर, सागर , दामोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी और रायसेन हैं. वहीं उत्तर प्रदेश का बांदा, महोबा, झांसी, ललितपुर भी पानी से जूझते रहते हैं.
नई दिल्लीः पीएम नरेंद्र मोदी विश्व जल दिवस (World Water Day) के मौके पर सोमवार को 'जल शक्ति अभियान' की शुरुआत करने जा रहे हैं. दोपहर 12.30 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रधानमंत्री अभियान को लॉन्च करेंगे. प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने इस बारे में बयान जारी किया कि 22 मार्च को विश्व जल दिवस के मौके पर देश भर में जल शक्ति अभियान शुरू होने जा रहा है.
सभी शहरी-ग्रामीण इलाकों में शुरू होगा अभियान
देश के सभी शहरी व ग्रामीण इलाकों में शुरू होने वाले इस अभियान का थीम 'catch the rain, where it falls, when it falls' है. इस अभियान के तहत वर्षा के पानी को बचाने का लक्ष्य है. 22 मार्च से 30 नवंबर तक चलने वाले इस अभियान का लक्ष्य मानसून है. इसके जरिए देश में मानसून शुरू होने से पहले और पूरे मानसून के मौसम को कवर किया जाएगा. इस मुहिम की शुरुआत जन आंदोलन के तौर पर की जाएगी ताकि जमीनी स्तर पर लोग इसमें शामिल होकर पानी बचा सकें.
इस अभियान से सबसे अधिक फायदा उन क्षेत्रों को मिलेगा जहां पानी की कमी से जनजीवन प्रभावित है. इन क्षेत्रों में मध्यप्रदेश का बुंदेलखंड, पन्ना, टिकमगढ़, छतरपुर, सागर , दामोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी और रायसेन हैं. वहीं उत्तर प्रदेश का बांदा, महोबा, झांसी, ललितपुर भी पानी से जूझते रहते हैं.
बारिश के पानी का बचाना क्यों जरूरी
भारत एक कृषि प्रधान देश है और इसकी कृषि लंबे समय तक वर्षा जल पर आधारित रही है. यह दोनों ही मानी गईं बातें हैं. इसके बाद हरित क्रांति हुई और उत्पादकता बढ़ाने के लिए सिंचाई के अन्य साधन आए, लेकिन वर्षा जल की उपयोगिता कम नहीं हुई. औद्योगिक क्रांति को बढ़ावा मिलने का असर यह हुआ कि भूगर्भ से पानी तो बड़ी मात्रा में खींचा जाने लगा, लेकिन वाटर रीचार्ज सोर्स बुरी तरह ठप हुए.
क्या कहती है नीति आयोग की रिपोर्ट
साल 2018 में नीति आयोग द्वारा किये गए एक अध्ययन में 122 देशों के जल संकट की सूची में भारत 120वें स्थान पर खड़ा था. जल संकट से जूझ रहे दुनिया के 400 शहरों में से शीर्ष 20 में 4 शहर (चेन्नई पहले, कोलकाता दूसरे, मुंबई 11वां तथा दिल्ली 15 नंबर पर है) भारत में है.
जल संकट के मामले में चेन्नई और दिल्ली जल्द ही दक्षिण अफ्रीका का केप टाउन शहर बनने की राह पर है. संयुक्त जल प्रबंधन सूचकांक के अनुसार देश के 21 शहर जीरो ग्राउंड वाटर लेवल पर पंहुच जायेंगे. यानी इन शहरों के पास पीने का ख़ुद का पानी भी नहीं होगा. जिसमें बंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली और हैदराबाद जैसे शहर शामिल हैं जिसके चलते 10 करोड़ लोगों की जिंदगी प्रभावित होगी.
इसलिए है अभियान की जरूरत
भारत में विश्व की लगभग 16 प्रतिशत आबादी निवास करती है, लेकिन उसके लिए मात्र तीन प्रतिशत पानी ही उपलब्ध है. एक अखबारी लेख के मुताबिक दिल्ली, मुंबई और चैन्नई जैसे महानगरों में पाइप लाइनों के वॉल्व की खराबी के कारण रोज 17 से 44 प्रतिशत पानी बेकार बहता है.
इजराइल में औसतन मात्र 10 सेंटीमीटर वर्षा होती है और इस वर्षा से ही वह इतना अनाज पैदा कर लेता है कि वह उसका निर्यात करता है, लेकिन भारत औसतन 50 सेंटीमीटर से भी अधिक वर्षा होने के बावजूद अनाज की कमी बनी रहती है. ऐसे में बारिश का पानी सहेज कर रखना बेहद जरूरी है. पीएम नरेंद्र मोदी इसी गंभीरता को समझते हुए जल शक्ति अभियान लॉन्च कर रहे हैं.