नई दिल्लीः भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जनता दल-यूनाइटेड (JDU) के गठबंधन पर आशंकाओं के बादल मंडराने लगे हैं, क्योंकि जदयू के शीर्ष नेताओं ने कहा है कि पार्टी का मकसद राज्य में सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत के रूप में वापसी करना है. 


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बताया जाता है कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन ने कुछ मीडिया संस्थानों से कुछ दिनों पहले कहा था कि उनकी पार्टी राज्य की सबसे बड़ी पार्टी होने के दर्जे को फिर से पाने की दिशा में कार्यरत है. 


विधानसभा चुनाव की हार को बताया साजिश
उन्होंने कहा था कि पार्टी वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में मिली हार को पीछे छोड़ देगी, जिसकी वजह उन्होंने एक ‘साजिश’ को बताया. तब चिराग पासवान की ‘लोक जनशक्ति पार्टी’ ने जदयू के सभी उम्मीदवारों के खिलाफ उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, जिनमें से कई भाजपा के बागी थे, और मुख्यमंत्री नीतीश की पार्टी की सीट संख्या पांच साल पहले के 71 से घटकर 43 रह गई थी.


राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, “राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में अंदरखाने बड़ी मुसीबत उभर रही है. उसकी नाव उस बाढ़ में डूब जाएगी जो बरसात के मौसम में आती है.” 


'हिंदुत्व एजेंडे के साथ नहीं खड़े होंगे नीतीश'
तिवारी का मानना ​​है कि अपनी समाजवादी पृष्ठभूमि के कारण नीतीश कुमार भाजपा के ‘हिंदुत्व एजेंडे’ के साथ खड़े होने में सक्षम नहीं होंगे. यह पूछे जाने पर कि क्या जदयू और राजद के बीच फिर से समायोजन की संभावना है, जिन्होंने वर्ष 2015 के विधानसभा चुनावों से पहले हाथ मिला लिया था. हालांकि दो साल बाद दोनों अलग हो गए थे. 


'बिहार को समाजवादी सरकार की जरूरत'
इस पर राजद प्रवक्ता ने कहा, ‘‘मैं केवल इतना कह सकता हूं कि बिहार को समाजवादी सरकार की जरूरत है, और इसे यह जल्द ही मिलेगी. लोग तेजस्वी यादव में नई उम्मीद देख रहे हैं. यह कहना जल्दबाजी होगी कि ऐसी सरकार की संरचना कैसी होगी.” 


'नीतीश के नेतृत्व में लड़ा जाएगा चुनाव'
माना जाता है कि ललन ने भाजपा के हालिया दावे के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में यह टिप्पणी की थी. भाजपा की ओर से कहा गया था कि वह वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव और एक साल बाद होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव का इंतजार कर रही है, जिसे नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. 


जाहिर तौर पर भाजपा ने यह बयान जदयू को शांत करने के उद्देश्य से दिया था, जिसके मन में भगवा पार्टी के दबंग रुख के कारण खटास आ गई है. फिलहाल भाजपा अभी अपने सबसे पुराने सहयोगी के साथ विवाद में पड़ने के मूड में नहीं दिख रही है. 


'बिहार में नीतीश को माना है राजग का नेता'
राज्य भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा, “हमारे संबंध नीतीश कुमार के साथ रहे हैं और ये वर्ष 1996 से हैं, जब उनकी पार्टी को समता पार्टी कहा जाता था. उनकी पार्टी के अन्य लोग क्या कहते हैं, हम उस पर ज्यादा ध्यान नहीं देते.’’ उन्होंने कहा कि भाजपा ने हमेशा नीतीश कुमार को बिहार में राजग का नेता माना है.


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