नई दिल्ली: कांक्रीट के बने ये बंकर अब दुनिया भर के लोगों को अपनी ओर खींच रहे हैं. अल्बानिया में ऐसे एक नहीं बल्कि करीब 5 लाख बंकर हैं. बाहर सतह पर गोलाकार उभरी हुई छत और दरवाज़े और इनसे होकर नीचे उतरते ही इन बंकरों की अपनी दुनिया दिखाई देती है. कई बंकरों में छोटे छोटे कमरे भी हैं और लंबी सुंरगें भी.


एक सनकी तानाशाह का दिमागी फितूर


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इसके लिए इतिहास के पन्नों को पलटना ज़रूरी है. ऐसे तो अल्बानिया का हज़ारों साल पुराना इतिहास है लेकिन आज 40 साल पुराना इतिहास, हज़ारों साल की विरासत पर भारी पड़ रहा है. जब आप अल्बानिया के एड्रियाटिक तट से देश के भीतरी हिस्से की तरफ़ बढ़ेंगे, तो क़दम-क़दम पर आपको बंकर बने हुए दिखेंगे. ज़मीन पर दीवारों के ऊपर गोलाकार ताज सा रखा हुआ है. ये बंकर 1970 के दशक में बनाए गए थे. उस वक़्त अल्बानिया दुनिया से पूरी तरह से कटा हुआ देश था. इन्हें बनाने की सनक तानाशाह एनवर होक्सहा को उस वक़्त चढ़ी, जब अल्बानिया के रिश्ते सोवियत संघ से ख़राब हो गए थे.



दरअसल, एनवर को लगता था कि पड़ोसी देशों युगोस्लाविया और यूनान से लेकर अमरीका और सोवियत संघ तक, हर मुल्क उनके वतन पर चढ़ाई करने वाला है. इसी डर से एनवर होक्सहा ने पूरे देश की हिफ़ाज़त के लिए बंकर बनवाने शुरू कर दिए. ये बंकर व्लोर की खाड़ी से लेकर राजधानी तिराना की पहाड़ियों तक पर बनाए गए हैं. मोंटेनीग्रो की सीमा से लेकर यूनान के द्वीप कोर्फू तक आपको ये बंकर दिख जाएंगे. दावा किया जाता है कि पूरे देश में क़रीब पौने दो लाख बंकर एनवर होक्सहा के राज में बनवाए गए थे. हालांकि कुछ जगह इनकी संख्या 13 हज़ार के करीब बताई जाती है.


सुरक्षा के लिए बने बंकर खास डिज़ाइन


अल्बानिया में छोटे बड़े कई तरह के बंकरों को बनाया गया था जो कांक्रीट से बने हैं. छोटे बंकरों को क्यूज़ेड कहते हैं इसमें दो-दो की संख्या में जवान रह सकते थे. क्यूज़ेड बंकरों का डिज़ाइन जोसिफ ज़गाली ने तैयार किया था. ज़गाली दूसरे वर्ल्ड वॉर के दौरान अल्बानिया की बाग़ी सेना का हिस्सा रहे थे. इसके अलावा पी-ज़ेड यानी पाइक ज़जारी या फायरिंग प्वाइंट नाम से बड़े बंकर भी बनाए गए थे. ये 8 मीटर से भी ज़्यादा चौड़े थे.



जंग के दौरान पी-ज़ेड बंकरों को कमांड पोस्ट के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए बनाया गया था. हालांकि इससे भी बड़े बंकर एनवर ने बनवाए थे, इन बंकरों में इमरजेंसी में जनता को सुरक्षा के लिहाज़ से रखा जाना था, पर उसकी नौबत नहीं आई. इन अंडरग्राउंड बंकरों के अंदर सैकड़ों लोगों को छुपा सकते थे.


बंकरों ने अल्बानिया को बर्बाद कर दिया था


आज भी ये बंकर पूरे देश में बिखरे हुए हैं. पहाड़ियों से लेकर खेतों तक, हाइवे से लेकर समुद्र तट तक बंकरों का बोलबाला है. एक अनुमान के मुताबिक तब एक बंकर बनाने में दो बेडरूम का मकान बनाने के बराबर ख़र्च आया होगा. ज़ाहिर है इन्हें बनाने की वजह से ही अल्बानिया की अर्थव्यवस्था पर इसका असर पड़ा और अल्बानिया यूरोप का सबसे ग़रीब देश बन गया.बंकरों की वजह से देश की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई, जिससे उबरने में कई दशक लगे.


क्या है अल्बानिया के बंकरों का राज़?


  • बंकरों को 1970-1989 के बीच बनाया गया

  • तानाशाह एनवर होक्सहा ने बनवाया था

  • पड़ोसी देशों के हमले से बचने के लिए

  • 14 साल तक दिन रात बंकर बनाए जाते रहे

  • इनको बनाने में नागरिकों को जबरन लगाया जाता था


अब बंकर ही बन गए आमदनी का ज़रिया


अब यही बंकर अल्बानिया की ओर पर्यटकों को जिज्ञासा के साथ खींचते हैं. बदलते दौर के साथ इन बंकरों को कई जगहों पर म्यूज़ियम में तब्दील कर दिया गया है. जिससे ये आमदनी का ज़रिया बन गए हैं. बंकरों के भीतर विंटेज तस्वीरों को लगाया गया है, ये तस्वीरें बीते दौर की यादों को समेटे हुए हैं. साथ ही इन बंकरों से मिले चित्रों या दूसरे दस्तावेजों को भी दीवारों पर लगाया गया है.



आज एक एंटीक पीस जैसे दिखते हैं. बाहर से देखने पर ये जगहें बेहद साधारण सी दिखती हैं पर जैसे ही आप इनके भीतर दाखिल होते हैं, आपको एक अजीब सा एहसास होता है जो शीतयुद्ध के बेचैनी भरे माहौल से भरा दिखता है.


हालांकि वक्त के साथ इनमें से बहुत सारे बंकर ध्वस्त हो चुके हैं, फिर भी इनकी संख्या अल्बानिया में अच्छी खासी है. इनमें से कई बंकरों के रास्ते इतने संकरे हैं कि इमरजेंसी के दौरान इनसे होकर भीतर जाना मुश्किल है. बीते दौर में भले ही एनेवर होक्सहा की सनक ने अल्बानिया को आर्थिक बेज़ारी के जाल में फंसा दिया हो लेकिन अब यही बंकर कई लोगों के लिए रोज़ रोटी का ज़रिया हैं. इन बंकरों में बड़े पैमाने पर होटल और रेस्टोरेंट्स तक चलाए जा रहे हैं.



एनवर होक्सहा की बंकर का जाल बिछाने की सनक ने अल्बानिया को कई दशकों पीछे धकेल दिया था. एक तानाशाह का डर किस कदर एक देश पर हावी हुआ ये बंकर्स उसकी बानगी है. खास बात ये है कि जिस उद्देश्य के साथ इन बंकरों को बनाया गया था उसकी कभी नौबत ही नहीं आई.


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