नई दिल्ली. कोरोना वायरस ने गाजियाबाद के रहने वाले महिम को बना दिया है सड़क का मसीहा क्योंकि उन्होंने जो मुहिम शुरू की है उसने दुनिया को दिखाए हैं फुटपाथ पे फ़रिश्ते. महिम जैन लाखों-करोड़ों आम हिन्दुस्तानियों की तरह नहीं थे, उन्होंने कोरोना की परेशानी का रोना नहीं रोया बल्कि वास्तविक रूप से कोरोना से परेशान गरीबों की मदद की..


रोज़ रोटी कमाने वालों की कल्पना से दुखी हुए महिम 


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कोरोना वायरस महामारी ने दुनिया भी बंद कराई और देश भी. भारत में हुए लॉकडाउन को लोगों ने अपनी जान बचाने का जरिया बनाया तो वहीं महिम जैन जैसे भी कुछ लोग थे जिन्होंने कहा कि 
 इस लॉकडाउन के कारण रोज़ कमाने-खाने वालों के बारे में जब भी वे सोचते थे तो उनका हृदय विचलित हो जाता था. बस इस मानवीय संवेदना ने उनको खड़ा कर दिया और उन्होंने खड़ी कर दी एक मुहिम.


भोजन दान महा दान मानते हैं महिम 


गाजियाबाद में वैशाली सेक्टर चार में रहते हैं महिम जैन जो कि समग्र जैन समाज संगठन उत्तर प्रदेश के महामंत्री भी हैं. ज़ाहिर है जब महिम ने शुरू की भूखे मजदूरों को खाना खिलाने की मुहिम, तो उनका साथ देने के लिए हज़ार हाथ आगे आ गए.  कोरोना लॉक डाउन ने बीमारी की समस्या तो पैदा ही की उससे हज़ार गुना ज्यादा भूख और बेरोजगारी की समस्या पैदा कर दी है. ऐसे में जो भूखे को भोजन कराये समझो भगवान को भोजन कराये. 


आठ सौ लोगों की बनाई टीम


बड़ा काम शुरू किया महिम ने. अपने आठ सौ साथियों के साथ उन्होंने समाज के सबसे निर्धन वर्ग के लिए भोजन की व्यवस्था करने की ठानी. उनके आठ सौ साथी भूखे बेरोजगार मजदूरों की सहायता हेतु सहर्ष तैयार हो गए और फिर सबने अपनी अपनी जेब से पैसे निकाल कर 27 मार्च से ट्रांस हिंडन में कच्चा राशन बांटना शुरू किया और सभी जरूरतमंदों को दाल, चावल, आटा, मसाला, नमक, तेल आदि वितरित किया. उन्होंने लगभग इक्कीस हज़ार किलो कच्चा राशन वितरित किया.


आर्थिक मदद भी की


कुछ लोगों को आर्थिक मदद की जरूरत थी तो महिम की टीम ने उनकी आर्थिक रुप से भी  सहायता की.  वैशाली में कोरोना वायरस के संक्रमितों की संख्या बढ़ने पर जिला प्रशासन ने एक जून को वैशाली को सील कर दिया जिसके कारण वैशाली में रहने वाले हजारों लोग घरों में ही बंद हो गए. इन लोगों में बहुत से रोज़ कमाने खाने वाले लोग भी थे. महिम जैन ने उन लोगों की भी कच्चा राशन देकर मदद की.


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