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नई दिल्ली.  इंसान तो बड़ा मासूम होता है. जो भी खराब होता है, पैसा होता है. पैसा प्यार भी कराता है और पैसा नफरत भी. पैसे के कारण लोग अजनबी अपने बन जाते हैं तो पैसे के कारण अपने भी अजनबी बन जाते हैं. इंग्लैण्ड की नागरिकता प्राप्त भारत का प्रसिद्ध उद्योगपति हिंदुजा परिवार अब इसी पैसे के कारण एक दूसरे का शत्रु बन गया, लगता है. 



 


अरबों की सम्पत्ति ने परिवार को तोड़ा


एकता शक्ति है किन्तु जिनके पास पैसा है उनको ये बात समझ नहीं आती. वो समझते हैं कि पैसा शक्ति है. दुनिया के टॉप अमीरों वाली फोर्ब्स की सूची में शामिल हिंदुजा भाइयों में पैदा हुई आपसी शत्रुता इसी कारण आसानी से समझी जा सकती है. यदि मामला अरबों रुपयों का है तो यह शत्रुता कितने आगे तक जा सकती है, अनुमान असम्भव है. 


कौन हैं ये हिंदुजा भाई 


हिंदुजा भाइयों के नाम से प्रसिद्ध यह एक उद्योगपति परिवार है जो मूल रूप से भारतीय हैं किन्तु इस परिवार को इंग्लैण्ड में नागरिकता प्राप्त है. लंदन में रहने वाले इस परिवार में चार भाई हैं जिन्हें श्रीचंद, गोपीचंद, प्रकाश और अशोक हिंदुजा नाम से जाना जाता है. हिंदुजा भाइयों का व्यापार ब्रिटेन और भारत सहित दुनिया के कई देशों में फैला हुआ है. हिंदुजा ग्रुप चालीस देशों में ​फाइनेंस, हेल्थकेयर और मीडिया जैसे कई तरह के कारोबारों से जुड़ा हुआ है.


एक लेटर ने शुरू कराया विवाद 


दरअसल अभी तक इन भाइयों में आपसी प्रेम हो या न हो, दुनिया में इनको एक ही परिवार के रूप में देखा जाता रहा है और यही इनकी ताकत थी. लेकिन एक लेटर की वजह से इनकी ताकत की दीवार में छेड़ हो गया है. अरबों डॉलर की संपत्ति को लेकर हिंदुजा भाइयों में आपसी विवाद शुरू हो गया है.  इस लेटर में जो लिखा हुआ है, उस पर इस परिवार के सबसे बड़े भाई 84 वर्षीय श्रीचंद हिंदुजा और उनकी बेटी वीनू ने आपत्ति दर्ज कराई है और अदालत में इसे खारिज करने की मांग कर डाली है. 


लेटर ने किया बम का काम 


इस लेटर के प्रकाश में आते ही हिंदुजा भाइयों में पिछले कई वर्षों से चल रही फुट सामने आ गई है. छह साल पुराने इस लेटर पर 2 जुलाई, 2014 की तारीख लिखी हुई है और इसमें ये कहा गया है कि चारों भाइयों में से किसी भी एक भाई के पास मौजूद संपत्ति चारों की सम्पत्ति मानी जाएगी और कोई भी भाई किसी दूसरे भाई को अपने वसीयत प्रबंधक की जिम्मेदारी दे सकता है. 


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