नई दिल्ली. सीमा पर भारत के साथ सैन्य गतिरोध पैदा करने वाले चीन ने अपनी अंतर्राष्ट्रीय छवि पर और भी बट्टा लगा लिया है. भारत से विरोध करके चीन अब दुनिया में अलग-थलग पड़ गया है.  और इतना ही अहम समाचार ये भी है कि चीन के बहकावे और उसकी जहरीली चालों में फंसे देशों ने भी उससे किनाराकशी करनी शुरू कर दी है. 


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चीन के नापाक इरादे हुए बेनकाब 


भारत जैसे शांतिप्रिय देश से झगड़ा करके चीन ने सारी दुनिया को बता दिया है कि वह चाहता क्या है. चीन के विस्तारवाद पर पहले कभी वैश्विक स्तर पर चर्चा इतनी नहीं हुई थी जितनी अब हो रही है. भारत की छवि ने भी चीन की बची-खुची बेदाग़ छवि को धो डाला है और उसकी कुटिलता का चेहरा बेनकाब कर दिया है. शांतिप्रिय भारत की सीमा पर विवाद पैदा करके भारत की भूमि हथियाने की चीन की चाल सबके सामने आ गई है.


नेपाल-पाकिस्तान को मिला कर की साजिश


भारत की भूमि दबाने के उद्देश्य से पैदा किये सीमा-विवाद के बाद चीन ने अपनी विस्तारवादी कोशिश को अन्जाम देने के लिये औऱ भी घटिया हरकतों को अंजाम दिया. उसने भारत की सीमा से लगे पाकिस्ता और नेपाल को टुकड़े फेंक कर अपने साथ मिला लिया और उनके साथ मिल कर भारत-विरोधी एक और मोर्चा खोल दिया. पैसे के लालची दोनो देश चीन की चरणचाकरी करने लगे और बदले में चीन ने पीछे से उनको भड़का कर भारत के खिलाफ सभी घटिया हरकतों को अन्जाम देने के लिये शह दी और योजना भी दी. किन्तु भारत के भारी दाब के कारण ये दोनो टुटपुन्जिया देश कुछ भी कर पाने में नाकाम रहे. 


कोरोना में पहले ही था खलनायक 


चीनी वायरस से पैदा हुई दुनियावी महामारी की साजिश को लेकर वैसे भी सारी दुनिया में चीन एक खलनायक के रूप में देखा जाने लगा है. किन्तु उसके बाद अब अपनी सामरिक और आर्थिक ताकत के घमंड में पड़ कर भारत जैसे शांतिप्रिय पड़ोसी के साथ सीमा विवाद पैदा करने से चीन की विस्तारवादी नीयत और साफ़ हो गई है. 


हर पड़ोसी से रहा है सीमा विवाद 


ये बात पुरानी जरूर है लेकिन बिलकुल सच है जिस पर वक्त की धूल चढ़ गई थी. किन्तु भारत की जमीन हथियाने की चीनी कोशिश के बाद अब चीन के अपने दूसरे सभी पड़ोसियों के साथ चल रहे सीमा विवादों पर फिर से बात होने लगी है और स्पष्ट हो गया है कि चीन विस्तारवाद का इस दुनिया में इकलौता उदाहरण है जिसे दुनिया सहन करने वाली नहीं है.


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