नई दिल्ली.  RAW के इस पूर्व प्रमुख का नाम है विक्रम सूद जिसने खुलासा किया है कुछ अहम जानकारियों का और भारत सरकार को आगाह करते हुए आग्रह किया है कि जब तक चीन का रुख न बदल जाए, तब तक हुवावेई को 5G की इजाजत न दी जाए.


विशेषज्ञों का भी यही विचार है 


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ऐसा नहीं है कि ऐसा पहली बार रॉ के पूर्व अधिकारी द्वारा कहा गया है. इससे पहले भी सैन्य और खुफिया एजेंसियों के विशेषज्ञों ने इस तरह की चेतावनी सरकार को दी है. उनका भी यही कहना है कि हुवावेई और जेडटीई जैसी चीनी कंपनियों पर भारत में कड़ी नज़र राखी जाए और इनको  5G या रक्षा-सुरक्षा से जुड़े अन्य क्षेत्रों में प्रवेश बिलकुल न दिया जाए. अब भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के पूर्व मुखिया विक्रम सूद ने भी यही बात सरकार से कही है. 


हुवावेई के पीछे है चीनी सरकार 


सूद ने साफ़ साफ़ कहा कि हुवावेई तो मुखौटा है लेकिन इसके पीछे है चीन सरकार और चीन की सेना ऐसी स्थिति में इस तरह की संदेहास्पद कंपनियों को टेलीकॉम के जैसे संवेदनशील क्षेत्र में अनुमति देना खतरनाक साबित हो सकता है. सूद का ये अहम बयान ऐसे वक्त पर आया है जब दूरसंचार कंपनियां भारत सरकार से 5जी ट्रायल के लिए स्पेक्ट्रम के आवेदन की मांग कर रही हैं.


किताब में भी किया खुलासा 


पूर्व रॉ प्रमुख की चेतावनी पर अभी सरकार की तरफ से कोई फैसला नहीं आया है. किन्तु ऐसा नहीं है कि सूद ने अचानक ही ऐसा महत्वपूर्ण बयान दे दिया है. उनकी हाल ही में प्रकाशित पुस्तक 'द अल्टीमेट गोल: अ फॉर्मर रॉ चीफ एंड डिकंस्ट्रक्ट्स हाउ नेशन कंस्ट्रक्ट नेरेटिव्स' में भी उन्होंने लिखा है कि चीनी कम्पनी हुवावे स्वतंत्र कंपनी होने का बहाना तो करती है, किन्तु उसका सच सब जानते हैं. चीन की सरकार ने हुवावेई को वित्तीय मदद दे कर खरीद रखा है. 


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