दुनिया के अंत की नई तारीख...21 जून!
पिछले कई सालों से दुनिया के अंत के खोज की सुई बार-बार माया सभ्यता और उसके कैलेंडर पर जा अटकती है. एक बार फिर यह सभ्यता चर्चा में है और इसके साथ ही चर्चा में है दुनिया खत्म होने की नई तारीख, यानी 21 जून 2020.
नई दिल्लीः दुनिया की रीति है जो आया है, वह जाएगा और दिलचस्प यह कि इस रीत से दुनिया भी अछूती नहीं है. विश्व में फैले हर तरह के धर्म और उनकी व्याख्या करने वाले ग्रंथ इस बात की स्पष्ट तस्दीक करते हैं कि एक रोज ऐसा जरूर होगा, जब दुनिया खत्म हो जाएगी. पुराणों में इसे प्रलय, इस्लाम में कयामत और बाइबिल इसे जजमेंट डे कहती है. खैर, इंसानी फितूर और फितरत खोजी रही है और इस खोज में शामिल है कि दुनिया कब बनी और कब खत्म होगी.
पिछले कई सालों से इस खोज की सुई बार-बार जाकर माया सभ्यता और उसके कैलेंडर पर जा अटकती है. एक बार फिर यह सभ्यता चर्चा में है और इसके साथ ही चर्चा में है दुनिया खत्म होने की नई तारीख, यानी 21 जून 2020.
जानिए, क्या है इस दावे का आधार
माया सभ्यता बीते कई दशकों से दिलचस्प विषय रही है. इसके कैलेंडर को लेकर पिछले कई साल से दुनिया को लेकर तरह-तरह के डरावन दावे कर रहे हैं और इस कड़ी में एक और नया दावा जुड़ गया है. सामने आया है कि 21 जून को यह दुनिया खत्म हो जाएगी. एक इंग्लिश न्यूज वेबसाइट के मुताबिक एक वैज्ञानिक हैं पाओलो टैगलोगुइन.
उन्होंने जूलियन कैलेंडर और ग्रेगोरियन कैलेंडर के बीच दिनों के अंतराल को देखते हुए निष्कर्ष सामने रखा है. जिस आधार पर यह नई तिथि सामने आई है. सनद रहे कि साल 2012 में भी दुनिया के खात्मे की भविष्यवाणी की जा चुकी थी.
तो क्या हम साल 2012 में हैं?
दुनिया के खात्मे का यह दावा इस बात पर आधारित है कि ग्रेगोरिअन कैलेंडर को वर्ष 1582 में लागू किया गया था. उस समय साल से 11 दिन कम हो गए थे. ये 11 दिन सुनने में तो बहुत कम लगते हैं कि लेकिन 286 साल में यह लगातार बढ़ता गया है. इस आधार पर समय के इस बड़े अंतराल को देखें तो लोगों का दावा है कि हमें साल 2012 में होना चाहिए था.
इस दावे को वैज्ञानिक पाओलो तगलोगुइन के एक ट्वीट से और ज्यादा बल मिला है. यानी कि माया सभ्यता के मुताबिक असल में साल 2012 अभी आया है.
इस तरह लगाया है गुणा-गणित
वैज्ञानिक ने अब अपना ट्वीट डिलीट कर दिया है, लेकिन उन्होंने जो लिखा उसका मजमून कुछ ऐसा था. अगर हम जुलियन कैलेंडर को फॉलो करें तो हम तकनीकी रूप से वर्ष 2012 में हैं. ग्रेगोरिअन कैलेंडर को लागू करने से हमें एक साल में 11 दिनों का नुकसान हुआ था. ग्रेगोरिअन कैलेंडर को लागू हुए 268 साल (1752-2020) बीत चुके हैं. इस तरह से अगर 11 से गुणा करें तो 2948 दिन होते हैं. 2948 दिन बराबर 8 साल होते हैं.
दुनिया के जीवंत और चमत्कारिक मंदिरों में प्रमुख: खजुराहो के मतंगेश्वर
नीबीरु ग्रह की खोज से उठा था दावा
दुनिया के खत्म होने की कई तारीखें इसके पहले भी आ चुकी हैं. इंटरनेट की दुनिया में इस वक्त अफवाहों का बाजार गर्म है. कहा जा रहा है कि 21 जून 2020 दरअसल, 21 दिसंबर, 2012 है. साल 2012 में इस तरह के दावे किए गए थे कि 21 दिसंबर 2012 को दुनिया खत्म हो जाएगी.
इसकी शुरुआत उस दावे से हुई जिसमें कहा जा रहा था कि सुमेरिअन लोगों ने एक ग्रह नीबीरु की खोज की थी. निबिरू ग्रह अब पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है. मई 2003 में भी दुनिया के खात्मे का दावा किया गया था, लेकिन जैसा कि सामने है कि 2003 और 2012 में कुछ नहीं हुआ.
अगले 30 दिनों में 3 ग्रहण, क्या होगा असर?