नई दिल्ली: खगोल वैज्ञानिक अंतरिक्ष घटनाओं पर अपनी निगाहें बनाए रखते हैं. वैज्ञानिकों ने ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति से लेकर न जाने कितने रहस्य खोले हैं और आगे भी जानने की संभावनाएं जता रहे हैं.


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यह सुपरनोवा सामान्य सुपरनोवा से 10 गुना अधिक शक्तिशाली है बल्कि उससे करीब 500 गुना ज्यादा चमकदार भी है. बता दें कि सुपरनोवा दो विशाल तारों के आपस में टकरा से होने वाले विस्फोट की वजह से बनता है. वैज्ञानिकों ने इस सुपरनोवा को अब तक का सबसे चमकीला सुपरनोवा बताया है.


सुपरनोवा कैसे बनता है
दो तारे या किसी बुर्जुग तारे के टूटते व आपस में टकराते हैं तो नष्ट होने की प्रक्रिया के समय हुए शक्तिशाली विस्फोट को सुपरनोवा कहा जाता है. यह सुपरनोवा बहुत चमकदार होत है. कई बार एक तारे से जितनी ऊर्जा निकलती है वह हमारे सौरमंडल के सबसे शक्तिशाली ग्रह सूर्य के पूरे जीवनकाल में निकलने वाली ऊर्जा से भी ज्यादा होती है. कहा जाता है कि सुपरनोवा के बनने में व्हाइट ड्वार्फ की भूमिका अहम होती है जिसके एक चम्मच द्रव्य का वजन भी करीब 10 टन तक हो सकता है. 


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नए सुपरनोवा को SN2016aps नाम दिया गया


यह स्टडी बर्मिंघम यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोनॉर्म्स की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने की है. इस टीम ने इस सुपरनोवा को हाल ही में अब तक के देखे गए सबसे चमकदार सुपरनोवा से भी दोगुना चमकदार और शक्तिशाली सुपरनोवा देखने की बात कही गई है.


इसकी जानकारी नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित की गई है. इस नए सुपरनोवा को SN2016aps नाम दिया गया है. जिसके साथ यह भी बताया गया कि यह बहुत ही कम पल्सेश्नल पेयर इस्टेबिलिटी सुपरनोवा का उदाहरण हैं. 


पिछले 50 साल से वैज्ञानिक इसकी शोध में लगे हुए हैं 
वैज्ञानिक ने एक अध्ययन में पाया है कि अति विशालकाय तारों का जीवन चक्र समाप्त होने से पहले प्रचंड स्पंदन होता है जो तेजी से फैलते और सिकुड़ते हैं. यह पेयर इंस्टेबिलिटी नाम की प्रक्रिया की वजह से होता है.