जयपुर: राजस्थान में एक जगह है भीलवाड़ा. बेहद खूबसूरत एक छोटा सा शहर. वो शहर जिसे राजस्थान के कपड़ा और करघा उद्योग का हब माना जाता है. इसके अलावा लोग एक रमणीय जगह के रूप में भी देखते हैं. एक ऐसी जगह जहां दूर-दूर से पर्यटक घूमने आते हैं, लेकिन हाल के दिनों में पर्यटकों ने उस जगह पर जाने से हाय तौबा कर लिया. 


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पर्यटक ही नहीं, उस जगह आसपास के लोग तक नहीं जाना चाहते. कारण कि भीलवाड़ा पर कोरोना का भारी कहर बरपा है. शहर में 27 मार्च तक कुल 19 मामले सामने आए हैं जिसमें से एक की मृत्यु भी हो गई है.


अब जरा इत्मीनान से समझते हैं कि कोरोना का कहर एक ऐसे जगह पर कैसे फैला जहां न तो कोई चीन से आया है और न ही इटली से. यहां चीन और इटली इसलिए कहा गया क्योंकि दुनिया जानती है कि सबसे ज्यादा कोरोना के मामले इन्हीं दोनों जगहों पर पाए गए हैं. भीलवाड़ा को भी भारत के इटली की उपमा दी जाने लगी है. ऐसा इसलिए कि सिर्फ 4.5 लाख की आबादी वाले इस शहर में कुल 450 सैंपल्स की जांच के बाद 19 कोरोना पॉजिटिव मामले मिले हैं. 



यह संख्या यूं तो काफी कम लगती है लेकिन अगर जब यह कहा जाए कि पूरे राजस्थान में जितने मामले आए हैं, उनका 50 फीसदी तो सिर्फ भीलवाड़ा में ही दर्ज किया गया है, तब यह आंकड़ा किसी को भी सकते में डाल सकता है. 


कैसे हुई भीलवाड़ा में इस त्रासदी की शुरुआत


भीलवाड़ा में इस सब की शुरुआत 8 मार्च को हुई जब दुनिया के आधे से अधिक देश यहां तक कि अपना भारत भी कोरोना का इतना विश्वव्यापी कहर हो सकता है, इससे अंजान था. 8 मार्च को भीलवाड़ा के प्रतिष्ठित ब्रिजेश बांगर हॉस्पिटल में एक 52 वर्षीय मरीज दाखिल हुआ, जिसे निमोनिया था. लेकिन निमोनिया के लक्षणों से इतर उस व्यक्ति को सांस लेने में भी काफी परेशानी हो रही थी. 



उस व्यक्ति का इलाज एक 58 वर्षीय डॉक्टर ने किया. वही डॉक्टर जो आज खुद कोरोना से संक्रमित हो चुका है और वहीं डॉक्टर जिसके लिए अब यह कहा जा रहा है कि उसी अस्पताल और उससे संपर्क में आए ज्यादातर लोगों को उसने कोरोना से संक्रमित कर दिया है. 


वार्ड में भर्ती 6 लोग हो गए संक्रमित


अब ब्रिजेश बांगर अस्पताल प्रबंधन की गलती कहें या इसे जानकारी का अभाव के हवाले टाल दें लेकिन चिकित्सकों से यह गलती हो गई कि उन्होंने उस व्यक्ति की ट्रैवल हिस्ट्री नहीं खंगाली. मामला यहीं खत्म हो जाता तो बेहतर, लेकिन हुआ यह कि डॉक्टर ने उस व्यक्ति को जयपुर रेफर कर दिया, लेकिन जयपुर के दो अलग-अलग अस्पतालों में ट्रीटमेंट से पहले, उस कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति की वजह से वार्ड में भर्ती अन्य 6 लोग संक्रमित हो गए.


इधर, डॉक्टर जो खुद भी कोरोना संक्रमित हो चुके थे, उन्होंने 9 मार्च को अपने परिवार के साथ होली खेली और अगले दिन अस्पताल लौट कर इलाज में लग गए. आलम यह था कि भीलवाड़ा के सबसे चर्चित अस्पताल के 19 मामलों में से 15 मामले अकेले इसी अस्पताल में पाए गए और इस तरह भीलवाड़ा राजस्थान में कोरोना का एपिसेंटर यानी धुरी बन गया.


एक कोरोना मरीज 59 हजार लोगों को कर सकता है संक्रमित


कितनी अजीब बात है न कि जो डॉक्टर इलाज करता है, उसी ने बीमारी दे दी हो. लेकिन यहीं तो कोरोना के असल लक्षण हैं. यह एक कम्युनिटी फोबिया वाली बीमारी है जो एक खूब संक्रमित होती है. रिपोर्ट के हवाले से देखा जाए तो मालूम होगा कि एक कोरोना पीड़ित व्यक्ति कम से कम 59,000 अन्य लोगों को संक्रमित कर सकता है. 



खैर, इस विपत्ति के बाद सब सुधरे या यूं कहें कि संभले. फिर चाहे वह स्थानीय प्रशासन हो या अस्पताल प्रशासन. पूरे भीलवाड़ा को सील कर दिया गया है. 24 मार्च को प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा से चार दिन पहले ही यानी 20 मार्च से ही शहर में कर्फ्यू लागू है. इसके अलावा प्रशासन शहर के सभी 75 हजार घरों की स्क्रीनिंग पर लगी हुई है. 


पूरे जिल में कुछ यूं चल रहा है अभियान


27 मार्च की शाम तक मिली जानकारी के मुताबिक शहर के 75 फीसदी घरों या यूं कहें कि आबादी की स्क्रीनिंग की जा चुकी है. और यह सिर्फ भीलवाड़ा शहर में नहीं बल्कि पूरे जिले में किया जा रहा है. इसके अलावा यही कहीं 6500 लोगों को क्वारांटाइन में रखा गया है और 300 के करीब मेडिकल टीम जिले में राउंड पर निकली है. 



इन सब के बावजूद कुछ सवाल अब भी ऐसे हैं जिनका जवाब आना बाकी है. मसलन कि आखिर यह संक्रमित किसके जरिए हुआ ? क्या इलाज करने वाले डॉक्टर के संपर्क में आ कर अन्य लोग भी इससे संक्रमित हो गए या फिर उस अस्पताल में उस वक्त भर्ती 80 मरीजों में से किसी ने इस संक्रमण को आगे बढ़ाया. बेशक अनजाने में ही सही, लेकिन इसने पूरे शहर को चपेट में ले लिया.


भारत के कुछ ऐसे जगह जहां घर कर चुका है कोरोना 
अब तक देखा जाए तो भारत में सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमण के मामले केरल के कसरगोड़, महाराष्ट्र के पुणे, कर्नाटक के बेंगलुरू में, राजस्थान के भीलवाड़ा और लेह में पाए देखे जा रहे हैं. और क्योंकि यह पैंडेमिक डिजीज है, तो इसको चार चरणों में बांटा गया है. 


अब विशेषज्ञों की इसपर भी अलग राय है. कुछ का कहना है कि भारत में यह अमूमन स्टेज 1 यानी विदेशों से आए लोगों में ही मामले देखे जा रहे हैं तो कुछ का कहना है कि यह दूसरे स्टेज (जिसमें पॉजिटिव लोगों से संक्रमित होता है) से आगे बढ़कर तीसरे दौर में पहुंच गया है. ऐसा दौर जिसमें यह बीमारी पूरी की पूरी कम्युनिटी को और एक बहुत बड़े भाग में रह रहे लोगों को संक्रमित करता है. 


खैर, अलग-अलग शोध, अलग-अलग दावे. आप बस घर में सुरक्षित रहें.