नई दिल्लीः सारा विश्व आज योग दिवस को अपने-अपने तरीके से मना रहा है. कोरोना संकट के बीच यह एक सबसे जरूरी कदम है कि खुद को स्वस्थ रखा जाए. जिस तरह की आपदाजनक स्थिति है उससे निपटने के लिए जरूरी है कि शरीर के पुर्जे, विभिन्न कब्जे (कोहनी, टखनेस घुटनेस कमर) और इंद्रियां सुचारु रूप से काम करें और इनका क्षमता में बढ़ोतरी हो.


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हाथ-पैर इधर-उधर घुमाकर, पुश अप्स के जरिए, दंड बैठक कर या अन्य तमाम भी इंसान कर आप तन सुघड़ कर लेंगे, लेकिन मन का क्या? 


मन का इलाज कैसे करेंगे?
वह मन जिस पर आपदा का सबसे अधिक असर पड़ा है. जो निराशा के गर्त में खुद को ले जा रहा है. जहां शुद्ध वायु पहुंच ही नहीं रही है और महीनों पहले की खुली हवा में ली गई सुकून की सांस अब बासी और जहरीली हो चली है. इसका उपचार कैसे करेंगे.



यह तो एक ही होता है, सूरदास गोपियों के मुख से कहलाते भी हैं, उद्धव मन न भए दस-बीस. तो इस मन पर जो निराशा जम रही है, उसका इलाज कैसे? उसका सरल इलाज है, संगीत, हंसी-खुशी, स्फूर्ति, तनाव से दूरी, हैपी हार्मोन्स


ये चारों ही महज शब्द नहीं हैं, समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश में पड़े पंच मेवे हैं. वाकई एक खुशहाल जीवन के लिए यह पांचों  घटक तो चाहिए ही और इनका आपस में संबंध भी है. 


योग का विस्तार है संगीत
दरअसल योग सिर्फ सांसों को साधने, आसन की स्थिति और कुछ कठिन व्यायाम का ही संगम नहीं है. बल्कि वह हर उस तत्व और घटक सम्मिलित स्वरूप है जो किसी को जोड़ने की प्रक्रिया की ओर ले जाए. शरीर में जहां-जहां जोड़ होते हैं, योग का तनाव बिंदु वहीं होता है. संगीत भी योग का ही एक विस्तार स्वरूप है. 



संगीत के स्वर आंतरिक तनाव बिंदुओं पर जोर डालते हैं. महज सुनने भर से ही शरीर की तंत्रिकाओं का योग हो जाता है, स्वर लहरियों के तीव्र स्वर, हल्के नाद वाले स्वर, उच्च नाद वाले स्वर कान के रास्ते प्रवेश कर मस्तिष्क की तंत्रिकाओं में अलग-अलग आवृत्ति की गति करते हैं.


इसके बाद मस्तिष्त हृदय को सब कुछ सामान्य और रुचिकर होने का संकेत निकलता है, धीरे-धीरे सुनने वाला डूबता जाता है और स्त्रावित होते हैं हैपी हार्मोन्स, जो सुखद स्तर को बढ़ाते हैं.  मन का इलाज होता जाता है. 


यह तो हुआ संगीत सुनकर योग करना, लेकिन खुद ही सुर साधना और गाना योग की सबसे बड़ी प्रक्रिया है. 


पहचाननी होगी कोमल संगीत की असीम शक्ति
वेदों में तीसरे वेद सामवेद में संगीत शास्त्र ज्ञान की दर्जे से लिखा गया है. इसकी अधिष्ठात्री हैं देवी सरस्वती और अधिष्ठाता हैं महादेव. प्राचीन काल में शिक्षा पद्धति का विशेष अंग होता था संगीत शिक्षा. जब किसी भीषण युद्ध में गांडीवधारी अर्जुन के धनुष की प्रत्यंचा कट जाती थी, तो उनकी उंगलियां बहुत तेजी से नई प्रत्यंचा चढ़ा लेती थीं और किसी को भान भी नहीं होता था.



इसकी एक वजह थी वीणा बजाने में उनकी उंगलियां सिद्ध हस्त थीं और तारों पर नाचती हुई सी गति करती थीं. मृदंग बजाने से उनके हाथ चट्टान की तरह मजबूत हो गए थे. 


कबीर के शब्दों में योग
ब्रह्मा ने जब सृष्टि की रचना की तो देवी सरस्वती ने इसके कण-कण में संगीत भर दिया. फिर चाहे यह बहती हुई नदी की धारा हो या किनारे से टकराकर लौटती समंदर की तेज लहरें. बहती हुई हवा और उस पर झूमते-लहराते पत्ते भी मन के तार छेड़ देते हैं. इस तरंग से मन खुद को अभिव्यक्त करता है.



दूसरे शब्दों में कहें कि संगीत आपको प्रकृति से जोड़ देता है, यानी कि योग करा देता है. इसी को कबीर बाबा ने कहा है कि उन्मनि चढ़ा, मगन रस पीवै, यानी कि सारी चिंताएं छोड़कर, कहीं मग्न हो जा और इस रस का पान कर. 


संगीत देता है मानसिका शांति
आज के तनाव भरे दौर में हम यही तो नहीं कर रहे हैं. नकारात्मकता हमारे चारों ओर बिखरी हुई है. अभी बीते दिनों अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या ने हमें आहत किया. घायल और पीड़ित मन का उदाहरण समझिए.



दवाइयों-औषधियों में इसका क्षणिक इलाज ही हो पाता है, लेकिन जिस तरह की हीलिंग की जरूरत होती है, वह सिर्फ संगीत दे सकता है. दुख व्यक्त करने वाले धीमे संगीत दर्द बांट लेते हैं और फिर मन खुद कहता है कि अब कुछ मजेदार सुना जाए. लेकिन इसके लिए प्रेरित होना जरूरी है. 


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हर तरफ बिखरा है संगीत
यह भी समझना होगा कि सिर्फ राग व लय बद्ध ही संगीत नहीं है. हमारे आस-पास की दैनिक आवाजों में भी संगीत है. एक सीमित आवृत्ति तक का शोर, संगीत बन सकता है. रसोई में भोजन के पकने-उबलने की सूक्ष्म आवाज में संगीत है, बर्तनों के टकराने की ध्वनि में ताल है.


दरवाजे का जोर से बंद हो जाना नाद है. परिवार जनों के साथ हंसना-बोलना स्वर लहरियां, कभी-कभी नाराजगी जताना रौद्र संगीत है, छोटे बच्चों को रोना, किलकारी भरना वात्सल्य संगीत है. यही तो है जो आपको अपनों के बीच होने का अहसास कराता है. दिल पर हाथ रखकर सब ठीक होने का अहसास कराता है. 


चारों ओर संगीत है, बस महसूस करके देखिए, अंतराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर अपने मन के लिए संगीत योग जरूर कीजिए. 


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