`भोले बाबा` को तो जान लिया, अब पढ़िए उस धर्मगुरु की कहानी जिसके कहने पर 900 लोगों ने सुसाइड किया

Jim Jones: हाथरस की भगदड़ में हुई दुर्घटना के बाद से ही भोले बाबा की खूब चर्चा हो रही है. लेकिन आज हम आपको ऐसे धर्मगुरु के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके कहने पर करीब 900 लोगों ने सुसाइड कर लिया था.

ज़ी हिंदुस्तान वेब टीम Fri, 05 Jul 2024-3:46 pm,
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नारायण साकार

हाथरस में नारायाण साकार हरि के सत्संग में मची भगदड़ में 120 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. इस हादसे के बाद से ही नारायण साकार से जुड़े कई तथ्य सामने आ रहे हैं. उसकी काली चाय से लेकर हैंडपंप के पानी तक की चर्चा हो रही है. ये बताया जा रहा है कि वह भक्तों को कैसे बहलाता था. इसी बीच उस धर्मगुरु की बात करना जरूरी है, जिसके कहने पर 913 लोगों ने आत्महत्या कर ली थी.

 

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जिम जॉन्स

जिस कल्ट लीडर की हम बात कर रहे हैं, उसका नाम जिम जॉन्स था. जिस का जन्म 13 मई, 1931 को इंडियाना के क्रेटे सिटी में हुआ. उसका परिवार गुमनामी की जिंदगी जीता था, उन्हें ज्यादा लोग नहीं जानते थे. लेकिन जिम जैसे-जैसे बड़ा हुआ, उसमें फेम की भूख आने लगी. वह चाहता था कि कुछ ऐसा किया जाए, जिससे दुनिया उसे जानने लगे. इसी कारण उसने धर्मगुरु की बनने की ठानी, जो उसे प्रसिद्धि का शोर्टकट नजर आया.

 

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पादरी

जिम जॉन्स अमेरिका में एक फादर (पादरी) बन गया था. जिम ने अपना एक चर्च भी बनवा लिया था. इसका नाम उसने 'द पीपल्स टेंपल' रखा. जिम ने धीरे-धीरे अपना प्रभाव बढ़ाया और उसके चर्च में लोग आने लगे. उसकी बातों से लोग प्रभावित होने लगे थे, उसे फॉलो करने लगे थे. जॉन्स खुद को भगवान कहने लगा था और उसके फॉलोअर्स भी ये बात मानने लगे थे.

 

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कैलिफोर्निया

साल 1965 में जिम जॉन्स कैलिफोर्निया चला गया. यहां पर उसने लोगों को बहलाना-फुसलाना चालू कर दिया. धीरे-धीरे उसने राजनीति में भी पैठ जमा ली थी. लेकिन फिर अमेरिकी मीडिया ने उसके खिलाफ खबरें छापना शुरू कर दी. फिर सरकार भी उसके खिलाफ कार्रवाई कर रही थी. पोल खुलती देख जिम गुयाना भाग गया. तब वियतनाम और अमेरिका में युद्ध चल रहा था. गुयाना को डर था कि कहीं अमेरिका उस पर भी हमला न कर दे. इसके लिए गुयाना ने जिम को 3800 एकड़ जमीन दी ताकि वह यहां रहे, उसके अनुयायी भी आएं, जो अमेरिका से थे. फिर अमेरिका अपने ही लोगों को नहीं मार पाएगा और गुयाना पर हमला भी नहीं होगा.

 

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मास सुसाइड

जिम जॉन्स ने अपने आश्रम का नाम जॉन्सटाउन रखा. इसमें 1000 के करीब अफ्रीकी और अमेरिकी अनुयायी रहने लगे. जिम जॉन्स जो चाहता करता था, वह खुद को भगवान बताकर अनुयायियों पर अत्याचार करने लगा. अनुयायी बाहर भी नहीं जा सकते थे. कोई भागने की कोशिश करता तो गार्ड उसे खूब पीटते. लेकिन फिर कुछ लोग यहां से भागने में सफल रहे. वे अमेरिकी संसद तक पहुंचे और जिम के कारनामे बताए. फिर यहां से एक सांसद जिम के आश्रम का दौरा करने आया, लेकिन उसकी हत्या कर दी गई. फिर जिम को लगा कि अब उस पर अमेरिकी आर्मी का हमला होगा, इसलिए उसने खुद ही मरने का फैसला किया. अपने सभी अनुयायियों को उसने अंगूर के जूस में जहर मिलाकर दिया और उसे पीने के लिए कहा, सबने इसे पिया. नवजात बच्चों को इंजेक्शन से जहर दिया गया. अंत में जिम ने एक गार्ड से खुद को गोली मरवाई और उसकी भी मौत हो गई. करीब 913 लोगों ने एक साथ आत्महत्या की.

 

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