कंधार हाईजैक: भारत के मंत्री नहीं ला पा रहे थे रुपिन कात्याल का शव, फिर इस तांत्रिक ने घुमाया बस एक फोन!

Kandahar Hijack: कंधार हाईजैक में एक भारतीय यात्री की मौत हुई थी, उनका नाम रुपिन कात्याल था. लेकिन जब इनका शव लाने भारत के मंत्री दुबई गए तो उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. तब एक तांत्रिक ने उनकी मदद की थी.

रौनक भैड़ा Sep 05, 2024, 11:21 AM IST
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नेटफ्लिक्स पर आई सीरीज

कंधार हाईजैक पर बनी सीरीज 'IC 814' नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई है, इस पर विवाद हो रहा है. कई लोगों ने दावा किया है इस सीरीज में कुछ तथ्यों को तरोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है. बहरहाल, आप ये तो जानते ही होंगे कि प्लेन को हाईजैक करने वाले आतंकियों ने एक यात्री को मार दिया था. उनका नाम रुपिन कात्याल था. हैरान करने वाली बात ये है कि एक तांत्रिक के कारण रुपिन का शव भारत पहुंचा पाया था. आइए, जानते हैं ये कहानी.

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दुबई में छोड़ा रुपिन का शव

दरअसल, 24 दिसंबर 1999 को काठमांडू से दिल्ली जाने वाले विमान को कुछ नकाबपोश आतंकियों ने हाईजैक कर लिया था. 8 दिन तक ये प्लेन हाईजैक रहा. इस दौरान उन्होंने प्लेन में सवार रुपिन कात्याल नाम के यात्री की चाकू गोद कर हत्या कर दी थी. आईसी 814 प्लेन को हाईजैकर्स ने दुबई में फ्यूल भरवाने के लिए लैंड करवाया था. तब उन्होंने रुपिन का शव भी दुबई के अधिकारियों को सौंप दिया.  

 

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शरद यादव दुबई गए

इसके बाद भारत ने अपने नागरिक उड्डयन मंत्री शरद यादव को अधिकारियों के साथ दुबई भेजा, ताकि वे रुपिन का शव लेकर आ सकें. शरद यादव दुबई तो चले गए लेकिन वहां उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. वे बहुत परेशान हो गए थे. वहां शासन करने वाली सल्तनत के अफसर लोकतांत्रिक देशों के मंत्रियों और ऑफिसर्स को कुछ खास तवज्जो नहीं देते थे. 

 

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शरद यादव ने चंद्रशेखर से मांगी मदद

फिर शरद यादव को किसी ने सलाह दी कि वे भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर से बात करें. उन्होंने चंद्रशेखर को फोन किया और पूरा मसला बताया. चंद्रशेखर जानते थे कि इस मुसीबत से चंद्रास्वामी ही निकाल सकते हैं. चंद्रास्वामी भारते के जानेमाने तांत्रिक थे, उनकी तूती भारत के सियासी गलियारों के लेकर विदेश तक बोलती थी. चंद्रशेखर ने उन्हें कॉल किया.

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तांत्रिक चंद्रास्वामी ने की थी मदद

चंद्रास्वामी ने सारी बात जानी और फिर दुबई में अपने नामचीन दोस्तों से संपर्क साधा. उनसे रुपिन कात्याल के शव को भारत लाने की प्रक्रिया में मदद मांगी. इसके बाद रुपिन का शव बेहद आसान प्रक्रिया के जरिये भारत लाया गया. गौरतलब है कि तांत्रिक चंद्रास्वामी की पहुंच सत्ता के शीर्ष नेताओं तक थी. कहा जाता है कि पीवी नरसिम्हा राव के PM रहते हुए चंद्रास्वामी को PM हाउस में जाने के लिए अपॉइंटमेंट भी नहीं लेनी पड़ती थी.

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