Kargil Vijay Diwas: कारगिल युद्ध के 5 हीरो, जिनकी कहानी हर भारतीय को पढ़नी चाहिए
Kargil vijay Diwas 2024: आज कारगिल विजय दिवस है. भारत ने इस युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटाई थी. इस दौरान भारत के कई सैनिकों ने अपनी वीरता दिखाई थी. इनमें से कुछ ने अपनी जान का बलिदान तक दे दिया. आइए, जानते हैं कारगिल युद्ध के 5 हीरोज की कहानी.
आज, 26 जुलाई है. इस दिन कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है. साल 1998 में हुए युद्ध में हमारे देश के सैनिकों ने दुश्मन देश पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए थे. तब हमारे देश के 500 से अधिक जवान शहीद हुए और करीब 1300 सैनिक घायल हुए. इस दौरान भारतीय सैनिकों के शौर्य को सबने सलाम किया. इस युद्ध में कुछ जवान ऐसे भी थे, जिन्होंने अपनी जान पर खेलकर देश को बचाया. आइए, जानते हैं कारगिल युद्द के 5 जांबाज जवानों के बारे में...
कैप्टन विक्रम बत्रा
जब भी कारगिल युद्ध की बात आती है, कैप्टन विक्रम बत्रा का जिक्र जरूर आता है. कैप्टन बत्रा पर 'शेरशाह' नाम से फिल्म भी बनी है. युद्ध के दौरान कैप्टन बत्रा को पॉइंट 5140 को दुश्मनों के कब्जे से छुड़ाने का आदेश मिला था. ऊंचाई पर बैठे दुश्मनों कैप्टन बत्रा की टुकड़ी पर लगातार हमला कर रहे थे. लेकिन उन्होंने दुश्मनों को चित कर दिया और पॉइंट 5140 पर फिर से तिरंगा फहरा दिया. इसके बाद कैप्टन बत्रा ने पॉइंट 4875 भी जीती. लेकिन इस दौरान वे शहीद हो गए. अब इस पॉइंट को 'बत्रा टॉप' कहा जाता है.
कैप्टन मनोज कुमार पांडे
बटालिक सेक्टर में तैनात कैप्टन मनोज पांडे गोरखा राइफल की पहली बटालियन से जुड़े थे. जुबार टॉप पर उन्होंने दुश्मनों से लोहा लेते हुए बहादुरी दिखाई. उन पर गोलियों की बौछार होती रही, लेकिन वे निरंतर आगे बढ़ते रहे और दुश्मनों के बनकर में जा घुसे. वे एक के बाद एक बंकर पर हमला करते रहे. आखिरी बंकर पर कब्जा करने के दौरान वे शहीद हो गए. उन्हें मरणोपरांत सेना परम वीर चक्र मिला.
योगेंद्र सिंह यादव
टाइगर हिल की जीत का श्रेय योगेंद्र सिंह यादव को ही दिया जाता है. वे देश के सबसे कम उम्र में परमवीर चक्र से सम्मानित होने वाले सैनिक हैं. उन्हें टाइगर हिल को जीतने का आदेश मिला था. यह चोटी जमीन से 16,500 फीट की ऊंचाई पर थी. आधी ऊंचाई पर चढ़े तो दुश्मनों ने उन पर गोलीबारी शुरू कर दी. तभी योगेंद्र को कंधे और पेट के पास एक और जांघ पर दो गोलियां लगीं. फिर भी आगे बढे और ग्रेनेड फेंक कर पाकिस्तानी सेना के चार सैनिकों को ढेर कर दिया. ऐसे ही उन्होंने आगे के बंकरों को उड़ाया. आख्रिकार भारत ने टाइगर हिल जीत लिया.
संजय कुमार
पॉइंट 4875 को जीतने संजय कुमार का विशेष योगदान रहा. जब वे अपनी टुकड़ी के साथ इसे जीतने जा रहे थे, तब दुश्मनों ने ऑटोमेटिक गन से फायरिंग शुरू कर दी. फिर संजय ने अचानक से हमला करने की रणनीति बनाई. अचानक हुए हमले से दुश्मन देश के सैनिक वहां से भाग गए. वे घायल होने के बाद भी दुश्मनों से लड़ते रहे. जब तक पॉइंट फ्लैट टॉप दुश्मनों से खाली नहीं हुआ, वे लड़ते रहे. उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया.
कैप्टन एन केंगुरुसे
नागालैंड के कोहिमा जिले के कैप्टन एन केंगुरुसे की बहादुरी किस्सा भी जबरदस्त है.वे ऑपरेशन विजय में द्रास सेक्टर के एरिया ब्लैक रॉक पर हमले के दौरान घटक प्लाटून कमांडर थे. जैसे ही उनकी टीम चढ़ाई करने लगी, तो गोलीबारी शुरू हो गई. लेकिन फिर भी वे रॉकेट लॉन्चर साथ ले जाते हुए चट्टान की दीवार पर चढ़े. उन्होंने दो दुश्मनों को राइफल और दो दुश्मनों को कमांडो चाकू से मार गिराया था.