भारत में भी हुआ था नेपाल जैसा प्लेन हादसा, विमान में सवार थे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री
Nepal Plane Crash: नेपाल में जैसा प्लेन हादसा हुआ, वैसा ही भारत में साल 1977 में हुआ था. तब इस विमान में प्रधानमंत्री सवार थे. उनकी जान तो बच गई लेकिन एयरफोर्स के 5 अफसरों की मौत हो गई थी.
नेपाल प्लान क्रैश
नेपाल में एक प्लेन क्रैश हो गया है, इसमें 18 क्रू मेंबर्स की मौत हो गई. केवल 1 की जान बच पाई है, जो गंभीर रूप से घायल है. ये प्लेन नाक के बल जमीन पर गिरा, जो नोज डाइव की स्थिति भी कही जाती है. ठीक ऐसा ही हादसा भारत में भी हुआ था. तब विमान में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री और एक राज्य के मुख्यमंत्री सवार थे. उनकी जान बाल-बाल बची थी.
मोरारजी देसाई के साथ हुआ हादसा
दरअसल, 4 नवंबर, 1977 को देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई एक विमान से असम के जोरहाट के दौरे ओर जा रहे थे. तब उनके साथ अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पीके थुंगन भी थे. विमान शाम को सवा पांच बजे उड़ा था. इसकी लैंडिंग पौने आठ बजे होनी थी. लेकिन लैंडिंग से पहले अचानक प्लेन का संपर्क जमीन से टूट गया. फिर वह आकाश में चक्कर लगाने लगा.
नोज डाइव्
इसके बाद प्लेन के चालकों ने फैसला किया कि विमान को बांस के जंगलों में नोज डाइव कराया जाए, ताकि कम नुकसान हो. यह काफी रिस्की लैंडिंग थी, लेकिन दूसरा ऑप्शन न होने के कारण ऐसा करना पडा. लैंडिंग के समय प्लेन के कॉकपीट में एयरफोर्स के 5 अधिकारी थे. इन पांचों की जान चली गई.
प्रधानमंत्री को आईं चोटें
इस दौरान प्लेन में प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के अलावा उनके बेटे कांति देसाई, सर्वोदय नेता नारायण देसाई और अरुणाचल के मुख्यमंत्री पीके थुंगन सवार थे. उन्हें चोटें आईं. फिर एयरफोर्स इनके लिए जीप लेकर आई और उन्हें पास के एक केंद्र में जाया गया. तब प्रधानमंत्री देसाई की इन्द्रेश्वर बरूवा नाम के एक ग्रामीण ने मदद की थी. PM ने उन्हें आश्वासन दिया था कि उनके गांव का विकास कराया जाएगा. हालांकि, उस गांव की फाइल 26 साल तक PMO में पड़ी रही.
PM को आगाह किया था
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई को पहले से ही अफसरों ने आगाह किया था कि इस विमान से जाना खतरनाक हो सकता है, क्योंकि इसका फ्यूल टैंक काफी छोटा है. अफसरों ने उन्हें बोइंग-737 से यात्रा करने का सुझाव दिया था. लेकिन देसाई ने कहा कि इसका खर्च अधिक है.