वैज्ञानिकों ने स्पेस सूट के लिए बनाया खास डिवाइस, ये पेशाब को पीने के पानी में बदल देगा!
Urine to Water Device: न्यूयॉर्क के रिसर्चर्स ने एक ऐसा अनोखा डिवाइस बनाया है जो स्पेस सूट में फिट हो जाएगा और यूरिन को पानी में बदल देगा. फिर यह पानी सूट के ही वाटर स्टोरिंग बैग में डाल दिया जाता है.
स्पेस में यूरिन
अंतरिक्ष में जाने वाले यात्रियों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. भले हमें एस्ट्रोनॉट्स की जॉब रोचक लगे, लेकिन ये काफी एड्वेंचेर्स जॉब है, जिसमें छोटी-छोटी चीजों से समस्या खड़ी हो जाती है. मसलन, स्पेस में यूरिन पास करना एक मुश्किल भरा काम है. इसके बाद इसे डिस्पोज करना भी बेहद मुश्किल होता है. लेकिन अब अंतरिक्ष यात्रियों को इस परेशानी से और नहीं जूझना पड़ेगा.
यूरिन बन जाएगा पानी
दरअसल, न्यूयॉर्क के रिसर्चर्स ने ऐसा डिवाइस बनाया है, जो पेशाब को भी पीने के पानी में बदल देगा. ये सुनने में भले नामुमकिन लगता हो, लेकिन नामुमकिन को मुमकिन करना ही साइंस का काम है. Cornell University के रिसर्चर्स ने 8 किलो का एक ऐसा डिवाइस बनाया है जो स्पेस सूट में फिट हो जाएगा. Frontiers in Space Technology नामक जर्नल में इस डिवाइस के बारे में विस्तार से बताया गया है.
5 मिनट का प्रोसेस
वैज्ञानिकों द्वारा बनाया गया यह डिवाइस केवल 5 मिनट में पेशाब को पानी में बदल देता है. यह यूरिन को पानी से अलग कर देता है, उसे एकदम प्योर बना देता है. ताकि वह पानी पीने लायक हो सके. इस डिवाइस में एक ह्यूमिडिटी सेंसर लगा है, जो यूरिन का खुद ही पता लगा लेगा. शुद्ध पानी को यह डिवाइस स्पेस सूट में पहले से फिटेड ड्रिंकिंग बैग में डाल देता है.
डाइपर यूज करते हैं एस्ट्रोनॉट्स
फिलहाल एस्ट्रोनॉट्स के पास यूरिन पास करने के लिए कोई बेहतर सुविधा नहीं हैं. उन्हें डाइपर का इस्तेमाल करना होता है. ये एक शोर्ट-टर्म उपाय हो सकता है, लेकिन लंबे समय तक इसे चलाना मुश्किल है. फिर इन डाइपर को आसानी से डिस्पोज नहीं किया जाता. यदि इन्हें डिस्पोज नहीं किया जाता है तो ये सालों तक स्पेस में ही रह जाते हैं. इससे वहां कूड़ा-करकट इकट्ठा होता है.
नासा ये सर्विस देता है
NASA फिलहाल अपने एस्ट्रोनॉट्स को यूरिन पास करने के लिए मैग्जिमम एब्जॉर्बेंसी गार्मेंट नामक डाइपर देता है. ये एक ऐसा एडल्ट डाइपर है, जो यूरिन और मल को इकट्ठा कर लेता है. जब एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस से लौटना होता है तो वे इस्तेमाल किए गए डाइपर वेस्ट सिस्टम में छोड़ आते हैं, जहां इन्हें जला दिया जाता है. लेकिन अब इतनी जहमत नहीं करने पड़ेगी.