Sitaram Yechury: जब इंदिरा गांधी से इस्तीफा मांगने उनके आवास पर पहुंच गए थे सीताराम येचुरी, फिर जो हुआ वो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया

Sitaram Yechury Passed Away: सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी का गुरुवार को दिल्ली एम्स में निधन हो गया. वह देश में वामपंथ के सर्वाधिक पहचाने जाने वाले चेहरों में से एक थे, जानिए उनके बारे मेंः

ज़ी हिंदुस्तान वेब टीम Thu, 12 Sep 2024-6:15 pm,
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72 साल की उम्र में निधन

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) के महासचिव सीताराम येचुरी का 72 साल की उम्र में दिल्ली एम्स में निधन हो गया. वह करीब 25 दिनों से अस्पताल में भर्ती थे. येचुरी भारत में वामपंथ के सबसे ज्यादा पहचाने जाने वाले चेहरों में से एक थे. 

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तेलुगु भाषी परिवार में हुआ था जन्म

येचुरी का जन्म 12 अगस्त 1952 को चेन्नई में एक तेलुगु भाषी परिवार में हुआ था. उनके पिता सर्वेश्वर सोमयाजुला येचुरी आंध्र प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में इंजीनियर थे और उनकी मां कल्पकम येचुरी सरकारी अधिकारी थीं.

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ऑल इंडिया टॉपर रहे थे येचुरी

हैदराबाद में पले-बढ़े येचुरी का परिवार 1969 में दिल्ली आ गया था. वह छात्र जीवन से ही काफी मेधावी थी. सीताराम येचुरी ने सीबीएसई की परीक्षाओं में अखिल भारतीय स्तर पर पहला स्थान हासिल किया था. उसके बाद दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन किया. 

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जेएनयू से की आगे की पढ़ाई

उन्होंने जेएनयू से एक बार फिर प्रथम श्रेणी के साथ स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की. आपातकाल के दौरान गिरफ्तारी के कारण वह अपनी पीएचडी की डिग्री पूरी नहीं कर सके.

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तीन बार जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष बने

राजनीति में उनका सफर स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) से शुरू हुआ था. आपातकाल के दौरान कुछ महीने बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. जेल से रिहा होने के बाद वह तीन बार जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए. वर्ष 1978 में वह एसएफआई के अखिल भारतीय संयुक्त सचिव बने और उसके तुरंत बाद अध्यक्ष बने. 

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जब खुद इंदिरा गांधी मिलने आ गईं

येचुरी ने 1977 में विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ इंदिरा गांधी के आवास तक मार्च किया था और उनसे जेएनयू चांसलर के तौर पर इस्तीफे की मांग करते हुए एक ज्ञापन सौंपा था. इंदिरा गांधी चुनाव हारने के बाद भी जेएनयू की चांसलर बनी रही थीं. येचुरी इंदिरा गांधी के आवास के गेट पर उनके इस्तीफे की मांग करते हुए ज्ञापन चिपकाने के इरादे से गए थे. जब इंदिरा गांधी स्वयं उनसे मिलने आईं तो येचुरी ने उनके सामने ज्ञापन पढ़ा था. इसके बाद इंदिरा गांधी ने जेएनयू के चांसलर के तौर पर इस्तीफा दे दिया था.

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12 साल तक राज्यसभा के सदस्य रहे

सीताराम येचुरी 1985 में माकपा की केंद्रीय समिति के लिए चुने गए और 1992 में 40 वर्ष की आयु में पोलित ब्यूरो के लिए चुने गए. वह 2015 को विशाखापत्तनम में पार्टी के 21वें अधिवेशन में माकपा के पांचवें महासचिव बने. येचुरी 12 साल तक राज्यसभा के सदस्य रहे. वह 2005 में उच्च सदन के लिए चुने गए और 2017 तक सांसद रहे. 

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