रईसों का पसंदीदा ठिकाना बना ये इस्लामी मुल्क, 4000 भारतीय करोड़पति इस साल छोड़ सकते हैं देश
करोड़पति या हाई नेटवर्थ वाले लोग सुरक्षा कारणों से पलायन करते हैं. वहीं कुछ टैक्स बेनिफिट्स या वित्तीय आधार को चुनते हैं. `हेनले एंड पार्टनर्स` की रिपोर्ट में कहा गया कि कुछ लोग बेहतर संभावनाओं की तलाश में माइग्रेशन के विकल्प को चुनते हैं.
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'हेनले एंड पार्टनर्स' की रिपोर्ट के मुताबिक भारत 326,400 HNWI (High NetWorth Individual) के साथ करोड़पतियों के मामलों में विश्व में 10वें पायदान पर है. चीन 862,400 के साथ HNWI में दूसरे स्थान पर है. वहीं 10 करोड़ की संपत्ति वाले 1,044 लोगों के साथ करोड़पतियों के मामले में भारत चौथे स्थान पर है और 120 अरबपतियों के साथ भारत सबसे ज्यादा अरबपतियों वाले देशों की लिस्ट में तीसरे नंबर पर है.
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रिपोर्ट के मुताबिक करोड़पतियों का प्रवास करना विशेष रूप से इतना चिंताजनक नहीं है क्योंकि भारत में माइग्रेशन के कारण होने वाले नुकसान के मुकाबले कहीं ज्यादा नए HNWI का बनना जारी रह सकता है. 'हेनले एंड पार्टनर्स' की रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि करोड़पतियों के प्रवास की वैश्विक तुलना में भारत चीन और ब्रिटेन के बाद तीसरे स्थान पर रह सकता है. साल 2023 में भी सबसे ज्यादा अमीर UAE में ही बसे थे.
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करोड़पति या हाई नेटवर्थ वाले लोग सुरक्षा कारणों से पलायन करते हैं. वहीं कुछ टैक्स बेनिफिट्स या वित्तीय आधार को चुनते हैं. 'हेनले एंड पार्टनर्स' की रिपोर्ट में कहा गया कि कुछ लोग रिटायरमेंट के बाद अच्छी लाइफस्टाइल, हेल्थ केयर, व्यापार के अवसर या बच्चों की पढ़ाई लिखाई समेत कई बेहतर संभावनाओं की तलाश में माइग्रेशन के विकल्प को चुनते हैं.
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रिपोर्ट के मुताबिक UAE में टैक्स की दरों में जबरदस्त छूट मिलती है. वहीं व्यापार के लिए बेहतर माहौल और अच्छे अवसर होने के कारण यह रईसों का पसंदीदी देश बन चुका है. यहां का दुबई शहर रईसों को जीरो इनकम टैक्स की सुविधा देता है. इसके साथ ही यहां बेहतर कानून व्यवस्था और उद्योगपतियों के लिए फ्लेक्सिबल टैक्स स्ट्रचर भी लोगों को काफी आकर्षित करता है.
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भारतीयों मे पिछले कुछ सालों से विदेश में बसने की लालसा तेजी से बढ़ते हुए देखने को मिली है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले 5 सालों में 8,34,000 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ी है. वहीं साल 2011-2019 के दौरान करीबन 132,000 भारतीय हर साल अपनी नागरिकता को छोड़ रहे थे. साल 2020 और 2023 के बीच यह संख्या 20 फीसदी से बढ़कर हर साल 2 लाख से अधिक हो गई. राज्यसभा में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक साल 2023 में 2,16,000 से ज्यादा भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ी है.