कौन हैं सिर्फ 21 की उम्र में टेनिस में अपना `राज` स्थापित करने वाले कार्लोस अल्कारेज? क्रिकेट के भगवान ने भी लगाई मुहर
Carlos Alcaraz: स्पेन के कार्लोस अल्कारेज ने दूसरी बार विंबडलन जीता. दोनों बार उन्होंने फाइनल में दिग्गज खिलाड़ी नोवाक जोकोविच को हराया.
विंबलडन चैंपियन कार्लोस अल्कारेज
कार्लोस अल्कारेज ने विंबलडन के फाइनल में 24 ग्रैंड स्लैम जीतने वाले सर्बिया के दिग्गज टेनिस स्टार नोवाक जोकोविच को शिकस्त दी. उन्होंने करीब 2 घंटे 2 मिनट तक चले मैच में नोवाक जोकोविच को 6-2, 6-2, 7-6 से सीधे सेटों में हराया.
दूसरा विंबलडन जीता
कार्लोस अल्कारेज ने साल 2023 में भी विंबलडन का खिताब जीता था. तब भी उनके सामने नोवाक जोकोविच ही थे. टेनिस में अल्कारेज का दबदबा 2022 से कायम होना शुरू हुआ जब इन्होंने अपना पहला ग्रैंड स्लैम जीता था. उन्होंने 2022 में यूएस ओपन अपने नाम किया था.
कैसा रहा है सफर
साल 2022 में अल्कारेज ने मियामी, मैड्रिड, रियो और कोंडे गोडो ओपन भी जीते थे. इस साल वह टेनिस रैंकिंग में पहले नंबर पर भी पहुंचे थे. 2023 में अल्कारेज ने विंबलडन ओपन जीता तो 2024 में उन्होंने फ्रेंच ओपन और अब विंबलडन अपने नाम किया है. कार्लोस अब तक चार ग्रैंड स्लैम जीत चुके हैं. वह दो बार विंबलडन और एक-एक बार यूएस ओपन और फ्रेंच ओपन जीत चुके हैं.
कौन हैं कार्लोस अल्कारेज
टेनिस जगत की सनसनी कार्लोस अल्कारेज 2003 में स्पेन में जन्मे और 4 साल से ही वह टेनिस खेलने लगे. उनके पिता कार्लोस अल्कारेज गोंजालेज भी स्पेन में टेनिस खिलाड़ी रह चुके हैं. अल्कारेज को पूर्व टेनिस प्लेयर जुआन कार्लोस फेरेरो ने प्रशिक्षण दिया. उन्होंने 15 की उम्र में प्रोफेशनल टेनिस की दुनिया में कदम रख दिया था.
छोटी उम्र में बड़े मुकाम
कार्लोस अल्कारेज ने कम उम्र में बड़ा नाम हासिल कर लिया है. वह टेनिस के इतिहास में उन खिलाड़ियों की सूची में शामिल हो गए हैं जिन्होंने अपने डेब्यू ग्रैड स्लैम का पहला राउंड नहीं हारा. साथ ही वो अब तक 4 बार ग्रैंड स्लैम के फाइनल में पहुंचे हैं और चारों बार जीते हैं. यही वजह है उनकी काफी प्रशंसा हो रही है.
तेंदुलकर ने की तारीफ
क्रिकेट की दुनिया में भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने भी विंबलडन जीतने पर कार्लोस अल्कारेज को बधाई दी. सचिन ने उनकी तारीफ में सोशल मीडिया पर लिखा, 'अबसे टेनिस पे एक ही राज करेगा, वो है अल्कारेज.' सचिन ने आगे लिखा, विंबलडन फाइनल में वर्ल्ड क्लास प्लेयर के सामने सीधे सेटों में जीतना कोई मजाक नहीं है.