दिल्ली की पहली महिला सीएम ने भी सियासी संकट के समय संभाली थी कुर्सी, लेकिन चुनाव में मिली थी करारी हार, आतिशी लगा पाएंगी AAP की नैया पार?
Atishi Marlena: आतिशी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली है. वह इस केंद्र शासित प्रदेश की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनी हैं.
आतिशी ने ली सीएम पद की शपथ
आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनी हैं लेकिन दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने की कहानी दिलचस्प है. दिल्ली को अपनी पहली महिला सीएम तब मिली थी जब प्याज की बढ़ती कीमतों की वजह से मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा था.
संकट के समय सीएम बनी थीं सुषमा स्वराज
दरअसल बीजेपी की दिवंगत वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज के नाम दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड है. साल 1998 में प्याज की बढ़ती कीमतों की वजह से साहिब सिंह वर्मा को सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी. तब सुषमा स्वराज ने संकट के समय सीएम पद का कार्यभार संभाला था.
चुनौतियों से भरा रहा था कार्यकाल
सुषमा स्वराज 13 अक्टूबर 1998 से 3 दिसंबर 1998 तक दिल्ली की सीएम रहीं. बतौर सीएम 52 दिनों का उनका कार्यकाल उपलब्धियों से ज्यादा चुनौतियों से भरा रहा था. हालांकि अपने छोटे से कार्यकाल के दौरान सुषमा स्वराज ने महिला सुरक्षा और कानून व्यवस्था के मुद्दे पर तमाम बड़े फैसले किए, जो उनके राजनीतिक जीवन में मील का पत्थर साबित हुए.
चुनाव में नहीं जीत पाई थी बीजेपी
जिस तरह सुषमा स्वराज सियासी संकट के समय विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री बनी थीं, वैसे ही आतिशी भी पार्टी में संकट के समय विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले सीएम बनी हैं. हालांकि सुषमा स्वराज के सीएम बनने के कुछ समय बाद 1998 में हुए चुनाव में बीजेपी को बड़ी हार मिली थी.
शीला दीक्षित ने 15 साल तक संभाली सत्ता
1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी और शीला दीक्षित ने मुख्यमंत्री पद कुर्सी संभाली थी. वह 1998 से 2013 तक 15 सालों तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं. अब जब आतिशी सीएम बनी हैं तो विधानसभा चुनाव नजदीक हैं. ऐसे में उनके पास विकास के काम को आगे बढ़ाने के लिए ज्यादा समय नहीं है.
आतिशी के सामने कई बड़ी चुनौतियां
आतिशी के लिए सरकार की छवि को बरकरार रखना, प्रशासनिक मोर्चे के साथ-साथ अपने कैबिनेट सहयोगियों और उप राज्यपाल के साथ सामंजस्य बैठाना बड़ी चुनौती है. इसी तरह जनकल्याणकारी योजनाओं को लागू करना और जनता तक अपनी सरकार की उपलब्धियों को पहुंचाना भी बड़ी चुनौती है.