अरे! महाराष्ट्र में कांग्रेस को लेकर यह क्या कह गए राहुल गांधी
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को प्रेस वार्ता की. उन्होंने इस दौरान मंगलवार को जारी महाराष्ट्र की सियासी सुहबुगाहट पर अपना तर्क रखा. लेकिन उनके यह तर्क इस सुगबुगाहट को बड़े हलचल में बदल सकने की क्षमता रखते हैं. राहुल गांधी ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार को कांग्रेस सपोर्ट कर रही है.
मुंबईः महराष्ट्र का मंगलवार का दिन बेहद ही अनिश्चितता भरा रहा है. कोरोना संकट के बीच यह एक बार और है जब महाराष्ट्र की चर्चा महामारी की त्रासदी के बजाय महाविकास अघाड़ी पर मंडरा रहे संकट को लेकर हो रही है. पहले NCP चीफ शरद पवार, राज्यपाल से मिल आते हैं.
फिर अचानक ही मातोश्री में बैठक कर लेते हैं. भाजपा राष्ट्रपति शासन की मांग कर रही है और शिवसेना के संजय राउत सबको अफवाह बता रहे हैं. इस बीच कांग्रेस की भी एंट्री हुई, लेकिन अब राहुल गांधी का जो बयान आया है, वह बेहद चौंकाने वाला है.
हम डिसीजन मेकर नहीं हैं-राहुल गांधी
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को प्रेस वार्ता की. उन्होंने इस दौरान मंगलवार को जारी महाराष्ट्र की सियासी सुहबुगाहट पर अपना तर्क रखा. लेकिन उनके यह तर्क इस सुगबुगाहट को बड़े हलचल में बदल सकने की क्षमता रखते हैं. राहुल गांधी ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार को कांग्रेस सपोर्ट कर रही है.
वहां पार्टी की बड़े फैसलों में भूमिका नहीं है, यह कहकर राहुल ने तिपाई सरकार की एकजुटता को लेकर मची अटकलों को हवा दे दी है. राहुल ने कहा, "हम महाराष्ट्र में सरकार को सपोर्ट कर रहे हैं मगर वहां की डिसिजन मेकर नहीं हैं. हम पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पुदुचेरी में की डिसिजन मेकर हैं. सरकार चलाने और सरकार का सपोर्ट करने में फर्क होता है.
कांग्रेस से दूर और भाजपा के नजदीक दिख रही हैं मायावती
...लेकिन थोराट ने कहा था कांग्रेस नाखुश नहीं
महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख बालासाहेब थोराट ने इस बारे में अपने कुछ और ही विचार रखे थे. वह सरकार में मंत्री भी हैं. उन्होंने कहा था कि कांग्रेस नाखुश नहीं हैं. उन्होंने कहा कि सभी तीन पार्टियां हर सप्ताह मीटिंग करती हैं जिसमें फैसले किए जाते हैं. सब पार्टियां मिलकर काम कर रही हैं.
थोराट का यह बयान राहुल के आज के बयान से उलट है जहां वो कह रहे हैं कि कांग्रेस केवल महाराष्ट्र में सपोर्ट करती है और फैसलों में उसकी बड़ी भूमिका नहीं है. इस तरह राहुल खुद ही कांग्रेस को सरकार से अलग-थलग कर रहे हैं. दूसरा यह एक संकेत भी है कि क्या वाकई महाविकास अघाड़ी में सब ठीक नहीं है?
अभी-अभी टला है उद्धव के सीएम पद से संकट
सीएम उद्धव ठाकरे के सीएम बनने का रास्ता आसान नहीं रहा है. कई बार जोड़-तोड़ और सियासी उठापटक के बाद वह 28 नवंबर 2019 को सीएम बन पाए थे. इसके बाद भी कई बार कुर्सी डोलती रही. अभी हफ्ते भर पहले ही सीएम पद पर मंडरा रहा एक बड़ा खतरा टला है. उन्होंने अभी 18 मई को ही एमएलसी पद की शपथ ली है.
यदि ऐसा नहीं होता तो 28 मई उनके मुख्यमंत्री पद का आखिरी दिन भी हो सकता था. उद्धव ठाकरे बतौर मुख्यमंत्री 27 मई को अपना कार्यकाल पूरा कर रहे थे, लेकिन वे दोनों में से एक भी सदन के सदस्य नही थे, जो 6 महीने अंदर होना अनिवार्य होता है. इस तरह से एक बड़ा सियासी संकट अभी ही टला है. हफ्ते भर में फिर से एक और सुहबुगाहट, क्या गुल खिलाएगी, वक्त ही बताएगा.
आखिर क्यों एक बार फिर डोल रहा है उद्धव ठाकरे का 'इंद्रासन'?