अभी बिहार में प्रवासी पहुंचे नहीं हैं, उससे पहले 30 जिलों में पहुंचा कोरोना संकट
देशभर में फंसे अपने प्रवासियों को लाने के संबंध में पहले तो बिहार सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही, लगातार हुई आलोचनाओं के बाद सरकार जब मजदूरों और छात्रों को लाने के लिए राजी हुई तो अब राज्य में कोरोना के संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े हैं.
पटनाः सिर मुंड़ाते ही ओले पड़ना किसे कहते हैं, कोई बिहार सरकार से समझे. अभी तक तो बिहार की नीतीश सरकार कोरोना लॉकडाउन का हवाला देकर जो जहां है, वहीं रहे के मंत्र पर काम कर रही थी. उप्र की योगी सरकार जब दूसरे प्रदेशों में फंसे अपने मजदूरों को लाने की योजना पर काम कर रही थी तब बिहार सरकार ने इसकी आलोचना भी की थी, लेकिन सीएम नीतीश कुमार को नहीं पता था कि वह खुद आलोचनाओं में घिर जाएंगे.
आलोचना होने पर की लाने की तैयारी
बिहार के मजदूरों और कोटा में फंसे छात्रों को लाने के लिए जब उन्होंने कोई कवायद नहीं कि तो वह बुरी तरह आलोचनाओं में घिर गए. कोटा में फंसे छात्रों को लाने के लिए राज्य के अन्य नेताओं ने जोर दिया, वहीं देश भर के अलग-अलग जगहों पर फंसे लोग भी बिहार सरकार की आलोचना करते रहे.
इसके बाद जब राज्य सरकार छात्रों और मजदूरों के लाने के लिए जुटी तो प्रदेश में कोरोना ने तेजी से पांव पसार लिए हैं. अभी तो प्रवासी पहुंचे भी नहीं उससे पहले यह बड़ा संकट आ गया है.
बिहार के 30 जिलों में है कोरोना संक्रमण
देश के अलग-अलग राज्यों से हजारों प्रवासियों को वापस लाने की बिहार सरकार की योजना के बीच वहां के 38 में से 30 जिलों में कोविड-19 के केस आने के बाद राज्य सरकार के सामने चुनौती और बढ़ गई है. पहले लॉकडाउन की अवधि यानी 14 अप्रैल तक बिहार के सिर्फ 12 जिलों में कोविड-19 के केस आए थे, लेकिन दूसरी बार लॉकडाउन के खत्म होने तक ये राज्य के 30 जिलों में फैल चुका है, जिनमें पिछले 10 दिनों में संक्रमण के फैलने की रफ्तार सबसे ज्यादा रही.
लॉकडाउन के प्रथम चरण में कम थे मामले
बिहार में 14 अप्रैल तक संक्रमित लोगों की संख्या मात्र 66 थी और ये आंकड़ा 2 मई तक बढ़कर 474 हो गया है, जिनमें 243 नए मामले 25 अप्रैल से लेकर 1 मई के बीच आए हैं. इस बारे में एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि “यह दिखाता है कि राज्य की चुनौती तो अब शुरू हुई है जब राज्य में बाहर से लोगों की वापसी हो रही है तो हमें इसके लिए तैयार रहना होगा. ”
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स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों की छुट्टियां 31 मई तक रद्द
कोरोना के बढ़ते मामले और सर्विलांस स्क्रीनिंग बढ़ाने की आवश्यकता को देखते हुए राज्य सरकार ने पहले ही डॉक्टरों, स्वास्थ्य अधिकारियों और स्वास्थ्य विभाग में काम कर रहे कांट्रैक्चुअल कर्मचारियों की छुट्टियां 31 मई तक खत्म कर दी हैं, लेकिन, अधिकारी ये मानते हैं कि बिहार के लिए चुनौतियां अभी बढ़ सकती हैं.
अगले कुछ दिनों में स्पेशल ट्रेनों के जरिए देश के अलग-अलग हिस्सों से हजारों कामगारों की बिहार में वापसी हो सकती है. वहां के अधिकारियों में इस बात की भी चिंता है कि दूसरे चरण के लॉकडाउन के दौरान कई बाहर से आए लोगों के चलते नए संक्रमण के मामले नए क्षेत्रों तक पहुंच गए हैं.
अप्रैल के आखिरी हफ्ते तक बिहार के कई जिले जैसे मधुबनी, दरभंगा, सीतामढ़ और पूर्णिया में कोरोना संक्रमण का कोई मामला नहीं था लेकिन अब इन सभी जगहों से संक्रमण के मामले आने लगे हैं. मधुबनी और दरभंगा दोनों ही ऑरेंज जोन में हैं.
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