Farmer Protest: `कृषि कानून पर विपक्ष का पाखंड`
कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जैसे-जैसे तेज हो रहा है, विपक्ष की सियासत भी तेज होती जा रही है. इस बीच विपक्ष का एक बड़े `पाखंड` का खुलासा हुआ है..
नई दिल्ली: केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है. किसानों ने विरोध तेज करने के लिए आज भारत बंद (Bharat Bandh) बुलाया, जिसका मिला-जुला असर देखने को मिल रहा है. केंद्र सरकार के इस कानून के खिलाफ जहां, किसानों ने मोर्चा खोल रखा है. वहीं विपक्ष की पाखंड रूपी सियासत का खुलासा हुआ है.
कृषि कानूनों पर सियासत
कृषि कानूनों पर सियासत का सिलसिला जारी है. जहां कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि किसानों की जरूरतों को नजरअंदाज कर देशहित में फैसले नहीं लिए जा सकते. वहीं भाजपा ने इसका जवाब देते हुए कहा है कि "विपक्ष की तीनों कृषि कानून रद्द करने की मांग पाखंड है." आपको तफसील से पूरा माजरा समझाते हैं.
दरअसल, केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कृषि कानून को लेकर हो रहे विरोध का ठीकरा विपक्ष पर फोड़ दिया है. उन्होंने इस मामले में विपक्ष पर जोरदार प्रहार करते हुए कई गंभीर आरोप लगाए हैं. प्रकाश जावडेकर ने कहा है कि लोकतंत्र में प्रदर्शन के सभी तरीके है. पंजाब के किसानों को गलतफहमी है, उनकी गलतफहमी दूर करेंगे. राजनीतिक पार्टियां जो चुनावों में हार गई हैं, वो अपना उल्लू सीधा करना चाहती है. कांग्रेस ने इसको काला कानून बोला जबकि अपनी सरकार में रहते हुए इन्होंने MSP और APMC खत्म करना चाहते थे. APMC का मॉडल कानून शरद पवार ने बनाया, वो करे तो अच्छा.. हम करे तो पाखंड?
किसान आंदोलन पर कल होगा फैसला!
जावडेकर ने भरोसा जताते हुए ये कहा है कि "हमेशा आशावान रहना चाहिए, कल निर्णय निकलेगा. आंदोलन से ऐसे तत्वों को भी दूर रखना चाहिए जो देश के हितों के खिलाफ काम करते है. मुझे पूरी उम्मीद है कल मुद्दा सुलझ जाएगा. कल के बारे में आज क्यों बोलना? 95% किसानों ने इसका स्वागत किया है, 5% की गलतफहमी दूर होगी."
प्रकाश जावडेकर ने कृषि कानूनों का फायदा भी गिनवाया. उन्होंने इसे लिए विपक्ष को पाखंडी करार दिया.
पहला फायदा: APMC बानी रहेगी
दूसरा फायदा: MSP चालू रहेगी
तीसरा फायदा: आवश्यक वस्तु अधिनियम कानून
चौथा फायदा: कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग 15 कांग्रेस राज्यों में चल रही है, 22 राज्यों के गलत है?
उन्होंने कहा कि "ये विपक्ष की दो मुखी बात है, इसको पाखंड कहते है. ये फायदा पंजाब के तीन प्रमुख दल ले रहे है ताकि किसानो में मन में भ्रम बना रहे. मोदी (PM Modi) के खिलाफ लड़ने वाले मैदान में परास्त हुए. हम लोग लोकसभा में भी मजबूत है और राज्य सभा में भी अच्छी स्थिति है. किसानों के लिए कल चर्चा के लिए बुलाया है, गलतफहमी दूर होनी चाहिए यही मेरा आग्रह रहेगा."
'किसानों की बल्ले-बल्ले'
जावडेकर ने कहा कि "मेरा विश्वास है मसला हल होगा. किसान हमारे हैं, उनके मन में आशंका है तो हम दूर करेंगे. 2 ही मुद्दा है कि APMC रहेगी की जाएगी, तो APMC है और वो बाहर भी बेच सकते हैं. उनकी बल्ले बल्ले है. MSP भी रहेगी. जैसे 55 साल से चल रही है वैसे ही चलेगी. MSP में मांग थी कि लाभकारी मूल्य मिलना चाहिए और मिलेगा. जो विपक्षी दल आज 3 कानून वापसी की मांग करते है वो पाखंड है. इन्होंने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग लागू किया है."
"मैं शरद पवार से सवाल पूछना चाहता हूं कि आपने APMC कानून क्यों लागू किया था और दूसरी तरफ आप किसान को भड़का रहे है. ये राजनीति है. कांग्रेस का पाखंड सामने आ गया. उन्होंने अपने घोषणा पत्र में लिखा था और आज भूल गए क्योकि सत्ता में नहीं आए. ये तो हद्द हो गई है. जान की नहीं तो मन की होनी चहिये. हम किसानो को नहीं, राजनीति करने वालों को दोष दे रहे है, जो राजनीती कर रहे हैं."
..जब भड़क गए शरद पवार
वहीं शरद पवार ने जवाब देते हुए रहा है कि "बिल में सुधार की जरूरत है, बिल में APMC का कही नाम नहीं है. ये डाइवर्ट करने की कोशिश है. कृषि के विषय पर में नहीं बोलूंगा." कांग्रेस मैनिफेस्टो पर उन्होंने कहा कि उसमें सुधार करेंगे. जब पत्रकारों ने शरद पवार से अन्य सवाल पूछा तो वो भड़क उठे. उन्होंने कहा कि "मैंने जवाब दे दिया है. मैंने आप लोगों को बाहर खड़े देखा तो बुला लिया. गलती हुई, आगे नहीं बुलाऊंगा."
कांग्रेस ने क्या कहा? जानिए..
कांग्रेस नेता पीएल पुलिया (PL Punia) का कहना है कि "कांग्रेस पार्टी का शुरू से ही मानना है कि किसान देश की रीड है. इनकी आवश्यकताओं को नजरअंदाज कर देश हित में निर्णय नहीं लिए जा सकते है. आज पार्टी काले कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के आह्वान पर पूरे देश में भारत बंद का समर्थन करती है."
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