नई दिल्लीः तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में स्वामी रंगनाथ मंदिर के पुजारियों ने शनिवार को उत्तर प्रदेश की अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उपहार दिये. इससे पहले, मोदी ने प्रसिद्ध मंदिर में पूजा-अर्चना की और मंदिर के हाथी 'अंडाल' को खाना भी खिलाया.
उन्होंने एक तमिल विद्वान द्वारा प्रस्तुत 'कंब रामायणम' के छंद भी सुने. ऐसा माना जाता है कि 12वीं सदी के तमिल कवि कंबर - जिन्होंने पहली तमिल रामायणम लिखी थी - ने मंदिर में स्वामी रंगनाथ के सामने छंदों का पाठ किया था.


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चबूतरे का नाम कंबा
मंदिर के अंदर एक चबूतरा है जिसका नाम 'कंबा रामायण' है. मंदिर के अंदर 'मंतपम' नाम की एक जगह है. ऐसा माना जाता है कि यह वह स्थान है जहां कवि कंबर स्वामी रंगनाथनाथ के समक्ष रामायण का पाठ करते हुए बैठे थे.मंदिर में एक विद्वान द्वारा कंब रामायण के पाठ का श्रवण करते समय मोदी ठीक उसी स्थान पर बैठे जहां कंबर बैठते थे. अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए मोदी तमिलनाडु से सीधे अयोध्या पहुंचेंगे.


सोमवार 22 जनवरी को अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर का उद्घाटन समारोह है. इसे लेकर पूरे देश में तैयारियां जोरों पर हैं. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में देश-विदेश से कुल 8000 मेहमानों को आमंत्रित किया गया है. 


राम ने कितने सालों तक अयोध्या पर किया शासन
राम मंदिर के उद्घाटन समारोह को देखते हुए भगवान राम से जुड़ी तमाम तरह की पौराणिक कथाएं एक बार फिर चर्चा में आ गई हैं. ऐसे में आइए जानते हैं जब भगवान राम और रावण के बीच युद्ध हुआ था, उस समय श्री राम की उम्र क्या थी और उन्होंने कितने सालों तक अयोध्या पर शासन किया था. 


11000 सालों तक चला था राम का राज्य
बता दें कि भगवान राम की उम्र को लेकर कई शोध हुए हैं. वाल्मीकि द्वारा लिखित रामायण में भगवान श्री राम के शासन काल का उल्लेख मिलता है. वाल्मीकि जी ने रामायण में लिखा है कि भगवान राम का राज्य 11000 सालों तक चला था. भगवान राम जब अयोध्या की गद्दी पर आसीन थे, उस काल को रामराज्य के रूप में जाना जाता है. शास्त्रों की मानें, तो रामराज्य में लोग निस्वार्थ भाव से प्रेम पूर्वक मिलजुल कर रहते थे.


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