Daily Panchang 20 फरवरी 2021: आज मासिक दुर्गाष्टमी और भीष्म अष्टमी का कीजिए व्रत
हर माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि मासिक दुर्गाष्टमी कहलाती है. इसके साथ ही माघ मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को भीष्म अष्टमी भी कहते हैं. पितामह भीष्म ने इस दिन प्राण त्याग किए थे.
नई दिल्लीः आज माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि है. आज 20 फरवरी 2021 और दिन शनिवार है. तिथि के अनुसार आज भीष्म अष्टमी है. आज गुप्त नवरात्रि का आठवां दिन है.
आज ही मासिक दुर्गाष्टमी भी है. मां दुर्गा की विभिन्न स्वरूपों की पूजा संपन्नता लाती है. रोगों की नाशक है. पंचांग में और क्या है खास बता रहे हैं आचार्य विक्रमादित्य-
मास- माघ मास
दिन- शनिवार
तिथि- शुक्ल पक्ष, अष्टमी तिथि
आज का व्रत- आज दुर्गा अष्टमी है. भीष्म अष्टमी भी है.
आज का व्रत- गुप्त नवरात्र का आठवां दिन, अष्टमी पूजा
आज का नक्षत्र- रोहिणी नक्षत्र
आज का योग- वैधृति योग, यह आज पूरे दिन रहेगा.
आज का शुभ मुहूर्त- आज 012:14 से 12:56 तक शुभ मुहूर्त. इस समय में कोई भी काम करना शुभ फलदायक होता है.
आज का राहुकाल- आज सुबह 09 बजकर 47 मिनट से सुबह 11.11 तक राहुकाल रहेगा. इस दौरान आपको कोई भी शुभ कार्य करने से बचना चाहिए.
मासिक दुर्गाष्टमी में करें मां दुर्गा की आराधना
हर माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि मासिक दुर्गाष्टमी कहलाती है. इस दिन मां दुर्गा की पूरे मनोयोग से पूजा करनी चाहिए. जो भक्त प्रत्येक मासिक दुर्गाअष्टमी को व्रत और पूजन करते हैं मां आदिशक्ति जगदंबे उनके सारे कष्टों का हरण कर लेती है. जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है. सुबह उठकर दैनिक क्रिया से निवृत्त होने के बाद स्नान करके शुद्ध हो जाएं.
घर की साफ-सफाई करके पूजा स्थान और घर में गंगाजल छिड़कें. एक साफ चौकी लेकर उसपर लाल वस्त्र बिछाइए. गंगाजल से शुद्ध करें और माता दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित करें. मां दुर्गा के समक्ष धूप दीप जलाएं और उन्हें अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें. फल और मिठाई अर्पित करने के बाद माां दुर्गा की आरती उतारें. दुर्गा चलीसा का पाठ भी करें.
आज भीष्म अष्टमी का व्रत
माघ मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि भीष्म अष्टमी कहलाती है. इस दिन तिल के जल से तर्पण करने वाले को संतान और मोक्ष की प्राप्ति होती है. यह व्रत पाप नाशी भी है. आज के दिन भीष्म पितामह की आत्मा की शांति के लिए भी तर्पण किया जाता है, जिससे उनका आशीर्वाद प्राप्त हो सके.
ऐसा करने वाले व्यक्ति को पितामह भीष्म जैसी आज्ञाकारी संतान की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही इस दिन पितामह भीष्म का तर्पण करने से पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है. इसलिए इस व्रत को अधिक महत्व दिया जाता है.
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