Gauri Teej 2021: जानिए क्या है इस व्रत का महत्व, पूजा विधि और कथा
माघ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि को गौरी तीज के रूप में मनाया जाता है. यह व्रत खासतौर से महिलाओं के लिए विशेष माना जाता है. पूरे विधि-विधान से यह व्रत करने पर हर मनोकामना पूर्ण होती है.
नई दिल्ली: माघ मास को हिन्दू धर्म में बहुत पवित्र माना गया है. माघ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि को गौरी तीज के रूप में मनाया जाता है. इस साल यह पर्व 14 फरवरी को मनाया जा रहा है. मान्यता है कि इस व्रत को मां गौरी और भगवान शिव के विवाह के रूप में मनाया जाता है.
इस पर्व को भी तीज की तरह ही मनाया जाता है. इस व्रत को करने से संतान और सुहाग की रक्षा होती है. पूरे विधि-विधान से यह व्रत करने पर माता पार्वती की असीम कृपा प्राप्त होती है. शास्त्रों के अनुसार यह व्रत करने पर सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
जानिए गौरी तीज की कथा
इस व्रत को लेकर एक प्रचलित कथा यह है कि गौरी तीज के व्रत की ही महिमा के कारण मां जगदम्बिका ने राजा प्रजापित दक्ष की पुत्री सती के रूप में जन्म लिया था. सती ने वर्षों भगवान शिव को पाने के लिए जप किया और फल प्राप्त किया था.
कहते हैं कि जिस दिन भगवान शंकर और देवी सती का विवाह हुआ वह माघ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि थी. माता सती को गौरी भी कहा जाता है. ऐसे में उनके विवाह के इस दिन को उत्तम सौभाग्य की प्राप्ति वाले व्रत गौरी तीज के रूप में मनाया जाने लगा.
जानिए पूजा की विधि
1. इस व्रत को करने के लिए सुबह जल्दी नहा-धोकर माता पार्वती का ध्यान करें और व्रत करने का संकल्प लें.
2. अब चंदन और पंचगव्य से मिले जल से भगवान शिव और माता गौरी की प्रतिमा को स्नान करवाएं.
3. माता गौरी को दूध, दही और जल से स्नान करवाएं और वस्त्र, आभूषण आदी पहनाएं. अब सिंदूर, चंदन, रोली और मेहंदी से लगाकर उनका श्रृंगार करें.
4. अब माता के समक्ष धूप, दीप, नैवेध और फलों को अर्पित कर पूजा करें.
5. पूजन के दौरान श्री गणेश का भी पूरा ध्यान रखें. उन पर जल, रोली, चंदन, सिंदूर, लौंग, मौली, पान, सुपारी, चावल, फल, बेलपत्र, मेवा, फूल और इलायची चढ़ाएं.
6. शिव-पार्वती की प्रतिमा का पूजन कर माता की कथा सुनें.
व्रत को करने से मिलने वाले फल
मान्यता है कि निष्काम भाव से किए गए इस व्रत को करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. इसे खासतौर पर स्त्रियों के अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है.
1. जिन पर कालसर्प दोश है वह आज के दिन गौरी-शंकर की रुद्राक्ष की माला धारण करें. इसे धारण करने से दिमागी तौर पर भी शांति मिलती है.
2. जिन कन्याओं के विवाह में अड़चने आ रही हैं, उन्हें आज के दिन यह व्रत करना चाहिए. ऐसा करने से जल्द ही उनका विवाह हो जाएगा.
3. सुहागिन स्त्रियों के लिए भी यह व्रत बहुत फलदायी होता है. सुहागिन स्त्रियां इस दिन पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्यवती रहने के लिए यह व्रत करती हैं.
4. इस व्रत को करने से स्त्रियों को सुखी दाम्पत्य जीवन और संतान की प्राप्ति होती है.
5. यह व्रत जीवन के सभी कष्टों का नाश करता है और इससे जीवन में सफलता मिलती है.
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