सौराष्ट्र निवासिनी मेलडी माता हैं कलियुग की महाशक्ति
सौराष्ट्र क्षेत्र में पूजित मेलडी माता की शक्ति अपरंपार है. आणंद जिले में उनका भव्य मंदिर है. जहां नवरात्रि के पर्व पर भारी उत्सव होता है. माता मेलडी के प्राकट्य की कथा अलौकिक है.
मेलडी माता की पूजा मुख्य तौर पर सौराष्ट्र क्षेत्र यानी गुजरात में होती है. प्राचीन मान्यताओं के मुताबिक धरती पर अमरुवा दैत्य के अत्याचारों से क्रोधित होकर भगवती उमा प्रकट हुई. उन्होंने अमरुवा दैत्य के विरुद्ध युद्ध शुरु किया. जब क्रोधित देवी उमा ने अमरुवा को पराजित करने के बाद उसकी हत्या करनी चाही. तो वह जाकर मृत गाय की खाल में छुप गया. उसके छिपने के अपवित्र स्थान को देखकर माता वहां से दूर खड़ी हो गईं और क्रोध के मारे हाथ मलने लगीं.
हाथ रगड़ने से देवी के हाथ से मैल निकला और उससे पांच वर्ष की कन्या के रुप में मेलडी माता उत्पन्न हुईं. उन्होंने बात ही बात में अमरुवा दैत्य का वध कर दिया. जिसे देखकर देवी उमा बेहद प्रसन्न हुईं. उन्होंने कन्या मेलडी देवी को चामुंडा माता के पास भेजा.
भगवती चामुंडा ने मेलडी माता की परीक्षा लेने के लिए उनको कामरुप कामख्या में दुष्ट शक्तियों के विनाश के लिए भेजा. जहां उन्होंने मुख्य पहरेदार नूरिया मसान को पराजित कर दिया. जिसके बाद मेलडी माता कामाख्या नगरी में प्रवेश कर गईं.
कामाख्या पहुंचने के बाद उन्होंने तांत्रिकों, कापालिकों और अघोरियों की पूरी सेना को मुकाबले के लिए तैयार होते हुए देखा. जिसे देखकर माता मेडली को लगा कि इस तंत्र-मंत्र, जादू-टोना, काली विद्या, माया की सेना से निपटने में अमूल्य समय नष्ट हो जाएगा. इसलिए उन्होने सभी तांत्रिकों, कापालिकों और अघोरियों को अपनी शक्ति से घोल बना कर बोतल में भर लिया. जिसके बाद मेलडी माता ने कामाख्या में मौजूद इन सभी तांत्रिकों के द्वारा बस में किए गए भूत, प्रेत, जिन्न, मसान, पिशाच आदि अशरीरी ताकतों को बकरा बनाकर उसे अपनी सवारी बना लिया.
मेलडी माता की इस असीम क्षमता से जगदंबा अति प्रसन्न हुईं. उन्होंने अपना नवदुर्गा स्वरुप प्रकट किया. नौ देवियों ने प्रत्यक्ष होकर मेलडी माता को आशीर्वाद दिया और कहा, तुम्हारा स्वरुप कलियुग की महाशक्ति रूप के लिये हुआ है तुम कलियुग के विकार अर्थात मैल, काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह और मत्सर का नाश करने वाली शक्ति हो. इसलिए सारा संसार तुम्हे श्री मेलडी माडी के रूप में पूजा करेगा. तुमने समस्त दुष्टों को बकरा बना दिया है अब यही तुम्हारा वाहन होगा.
मेलडी माता के एक में बोतल, दूसरे में खंजर, तीसरे में त्रिशूल, चौथे में तलवार, पांचवें में गदा, छठवें में चक्र, सातवें में कमल, आठवें में अभय की मुद्रा होती है. मेलडी माता के हाथ में स्थित बोतल में समस्त तांत्रिक शक्तियां बंद होती हैं.
संसार प्रसिद्ध मेलडी माता का मंदिर गुजरात के आणंद जिले में है. जहां भक्तों का मेला लगा रहता है.