चेन्नई: पोंगल का त्योहार एक दिन नहीं बल्कि चार दिनों (14 से 17 जनवरी) तक मनाया जाता है.  यह पर्व प्रकृति के प्रति कृतज्ञता जताने के लिए मनाया जाता है. परंपरा के मुताबिक पोंगल से दिन पूजन से धन, समृद्धि और शांति मिलती है. 


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पोंगल की परंपरा
पोंगल का शाब्दिक अर्थ है उबालना. इस पर्व के दौरान तमिल लोग अपने घरों में नई चावल की फसल को पका कर खाते हैं.  यह परम्परा तमिलनाडु में सदियों से चली आ रही है. इस पर्व के दौरान घरों में मीठे पकवान बनाए जाते हैं और गायों को सजा कर उनकी पूजा की जाती है.  यह पर्व तमिलनाडु के अलावा पुदुचेरी, श्रीलंका, मलेशिया, मॉरिशस, सिंगापूर आदि देशों में मनाया जाता है. 


चार दिनों में होती है 4 तरह की पूजा
चार दिनों के इस पर्व में चारो दिन अलग अलग तरीके से पूजा की जाती है. पहले दिन यानी 15 जनवरी को बोगी पोंगल मनाया जाता है यह तमिल महिने का आखिरी दिन होता है. इस दिन लोग अपने पुरानी और बेकार चीजों को जलाते हैं और अपने घरों को उत्सव के लिए सजाते हैं.  


दूसरा दिन सूर्य पोंगल  होता है. इस दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है. कृषि कार्य से जु़ड़े लोग इस दिन सूर्य भगवान को उनके कृपा दृष्टि बरसाने और बनाए रखने के लिए धन्यवाद देते हैं. यह दिन तमिल वर्ष का पहला दिन होता है.  इस दिन बर्तनों को सजा कर उसमें विभिन्न प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं. 


सूर्य पोंगल के बाद माटु पोंगल होता है.  यह दिन किसानों के पालतु जानवरों गाय, बैल आदि का होता है. इस दिन इन मवेशियों को सजाकर उनकी पूजा की जाती है. खेती, दूध व अन्य कार्य में सहायक बनने के लिए जानवरों को धन्यवाद दिया जाता है. इस दिन तमिलनाडु के कई हिस्सों में राज्य के पारम्परिक खेल जलीकट्टू की शुरूआत होती है.  इस खेल में दौड़ते हुए सांढ पर लोग काबू पाने की कोशिश करते हैं. 


पोंगल  त्योहार का अंतिम दिन कानूम पोंगल  कहलाता है.  इसदिन घर परिवार के लोग एकसाथ इकट्ठा होते हैं और संबधों को प्रगाढ़ बनाने के लिए कई प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन किए जाते हैं. इस दिन लोग अपने परिवार के साथ बाहर घूमने निकलते हैं या फिर लोग एक दूसरे के घरों में जाते हैं.  



चेन्नई के मरीना बीच पर रही चहल पहल
कानूम पोंगल  के दिन चेन्नई के प्रसिद्ध मरीना बीच पर हजारों की संख्या में राज्य भर से लोग आए. कानूम पोंगल  के दिन लोग अपने घर-परिवार, नाते-रिश्तेदार के साथ एक साथ बैठक करते हैं. यह बैठक घर पर या सार्वजनिक स्थलों पर होती है.  चेन्नई के मरीना बीच, बेसंट नगर बीच, तिरुवानमयूर, नीलांगरै, पालावक्कम और ईसीआर के कई जगहों पर पुलिस ने ट्रैफिक की सुगम आवाजाही की बेहतर व्यवस्था कर रखी थी और किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए पुलिस बंदोबस्त था. इस पूरी व्यवस्था की समय-समय पर खुद निगरानी महानगर के पुलिस आयुक्त ए.के. विश्वनाथन कर रहे थे. 


प्रशासन रहा मुस्तैद
अपनी निगरानी प्रक्रिया के दौरान पुलिस आयुक्त ए.के. विश्वनाथन ने मीडिया से मुखातिब होते हुए उन्होंने कहा कि पूरे कार्यक्रम की देखरेख की जिम्मेदारी ज्वाइंट कमिश्नर स्तर के अधिकारी को दी गई. दस हजार पुलिसबल की तैनाती की गई थी, जिसमें से पांच हजार केवल मरीना बीच पर ही थे. बाकी पुलिसबल को अन्य इलाकों में तैनात किया गया था.  लोगों की मदद के लिए लेबर स्टेचु और गांधी स्टेचु के पास पुलिस कंट्रोल रूम की व्यवस्था की गई है.  एक एम्बुलेंस और दमकल विभाग के वाहनों की व्यवस्था भी रखी गई थी.  इसके अलावा मोटरबोट के साथ 140 तैराकों को बीच पर तैनात किया गया था. 


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