नई दिल्लीः भगवान भोलेनाथ के भक्तों के लिए शिवरात्रि का पर्व जितना अधिक महत्वपूर्ण होता है, मासिक शिवरात्रि का पर्व भी उतना ही खास होता है. देवों के देव कहलाने वाले महादेव भोलेनाथ भगवान शिव ही आदि और अनंत हैं. भगवान भोलेनाथ सचमुच इतने भोले है कि वह जरा सी भक्ति से ही प्रसन्न हो जाते है.


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उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए उन्हें ऐसी बहुत सी चीजें अर्पित की जाती हैं जो अन्य किसी भी देवता को नहीं चढ़ाई जाती. जैसे आक, बेलपत्र , भांग, धतूरा वगैरह. लेकिन क्या आपको पता है कि बहुत सी ऐसी वस्तुएं भी हैं जो बाकी देवताओं को तो चढ़ाई जाती हैं, लेकिन भगवान शिव की पूजा में उन्हें चढ़ाना मना है. New Year 2021 के इस मौके पर जानिए उन वस्तुओं के बारे में जिनका प्रयोग शिवपूजन में नहीं करना चाहिए. 


शंख से जल न चढ़ाएं
हिंदू धर्म में आमतौर पर शंख को बहुत ही पवित्र माना जाता है और लगभग सभी पूजन कार्यों में शंख का प्रयोग होता है लेकिन महादेव के शिवलिंग पर शंख से जल चढ़ाना वर्जित है.



उन्हें कभी भी शंख से जल नहीं चढ़ाना चाहिए. 


हल्दी-कुमकुम भी न लगाएं
धार्मिक कार्यों में कई पूजन कार्य हल्दी के बिना पूर्ण नहीं माने जाते लेकिन भगवान शिव को हल्दी अर्पित नहीं की जाती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि हल्दी स्त्री सौंदर्य प्रसाधन में प्रयोग में लायी जाती है और शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है इसी वजह से महादेव को हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है.



अपने सुहाग की दीर्घायु / अच्छे स्वास्थ्य के लिए विवाहित स्त्रियां अपने माथे पर सिंदूर लगाती है, और सौभाग्य के लिए गौरी माँ को सिंदूर अर्पित करती है लेकिन भगवान शिव पर सिंदूर /कुमकुम नहीं चढ़ाया जाता है.


केतकी के फूल न करें अर्पित
शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव का केतकी के फूल को श्राप है कि उनकी पूजा में कभी केतकी के फूल को अर्पित नहीं किया जाएगा. इसीलिए शिवलिंग पर कभी भी केतकी के फूल नहीं चढ़ाये जाते हैं. भगवान शिव सफेद रंग के फूलों से शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं.



उन्हें कमल और कनेर के अलावा कोई भी लाल रंग के फूल नहीं चढ़ाए जाते हैं. भगवान भोलेनाथ को केतकी और केवड़े के फूल चढ़ाना भी मना है. 


तुलसी दल का प्रयोग भी वर्जित
तुलसी भी बहुत पवित्र मानी जाती है और लगभग सभी देवकार्यों में इसका प्रयोग होता है लेकिन तुलसी को भगवान भोलेनाथ पर चढ़ाना मना है.



ऐसा बहुत से लोगों को पता ही नहीं है और वह नित्य भगवान शिव की पूजा में उन्हें तुलसी दल अर्पित करते है जिससे उनकी पूजा पूर्ण नहीं होती है. 


इन बातों का भी रखें ध्यान
शिवजी की पूजा में बहुत से भक्तजन शिवलिंग पर लोहे या स्टील के लोटे से जल चढ़ाते है जो बिलकुल गलत है. भगवान भोलेनाथ पर हमेशा पीतल, कांसे या अष्टधातु के लोटे से ही जल चढ़ाना चाहिए लोहे या स्टील के बर्तन से नहीं. भगवान शिव को सफ़ेद रंग बहुत ही प्रिय है



इसीलिए उन्हें यथासंभव सफ़ेद चन्दन से ही तिलक लगाना चाहिए लाल या पीले चन्दन से नहीं. मान्यता है कि भगवान शिव की आराधना बेलपत्र के बिना पूरी नहीं होती लेकिन ये बेलपत्र विखंडित नहीं होने चाहिए. भगवान शिव की पूरी परिक्रमा नहीं करनी चाहिए इनकी मात्र आधी परिक्रमा करने का ही शास्त्रों में विधान है. भगवान शिव की परिक्रमा करते समय अभिषेक की धार को लांघना नहीं चाहिए. 


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